Batla House Encounter: बाटला हाउस एनकाउंटर केस में आरिज खान दोषी करार, सज़ा का एलान 15 मार्च को
Batla House Encounter: राजधानी दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में आज दिल्ली की कोर्ट ने आरिज़ खान को दोषी करार दे दिया है.13 साल पुराने बाटला हाउस एनकाउंटर में इंडियन मुजाहिद्दीन के 15 लाख के इनैमी आतंकी आरिज़ खान उर्फ जुनैद को दिल्ली पुलिस ने साल 2018 में गिरफ्तार किया था.
Batla House Encounter: राजधानी दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में आज दिल्ली की कोर्ट ने आरिज़ खान को दोषी करार दे दिया है. आरिज की सज़ा का एलान 15 मार्च को होगा. 13 साल पुराने बाटला हाउस एनकाउंटर में इंडियन मुजाहिद्दीन के 15 लाख के इनैमी आतंकी आरिज़ खान उर्फ जुनैद को दिल्ली पुलिस ने साल 2018 में गिरफ्तार किया था. आरिज खान पर 13 सितंबर 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर के अलावा दिल्ली, अहमदाबाद, यूपी और जयपुर में हुए धमाकों में शामिल होने का आरोप है.
बम बनाने में माहिर है आरिज
जानकारी के मुताबिक आरिज़ खान उर्फ जुनैद मूल रूप से यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है. 2008 के बाद से आरिज कभी भी आजमगढ़ वापस नहीं गया था. आरिज़ इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को गोली मारते हुए फरार हो गया था. आरिज बटला हाउस एनकाउंटर के अलावा 2007 में यूपी के लखनऊ कोर्ट ब्लास्ट, फैजाबाद और वाराणसी में हुए ब्लास्ट में भी शामिल रहा है. कहा जाता है कि आरिज बम बनाने में माहिर है.
Delhi Court held guilty and convicted Ariz Khan in Batla House encounter case; says the prosecution has successfully proved the case
— ANI (@ANI) March 8, 2021
क्या था बटला हाउस एनकाउंटर?
19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके के बटला हाउस में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकियों से दिल्ली पुलिस की मुठभेड़ हुई थी जिसमें दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद पुलिस के हाथों मारे गए थे. इस मुठभेड़ में दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया था.
बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद देशभर में हुए हंगामे
इस पूरे अभियान को दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मोहनचंद्र शर्मा लीड कर रहे थे. मुठभेड़ के दौरान सिर के पीछे तरफ गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी. हालांकि शर्मा की मौत काफी विवादों में रही थी और इस पर कई तरह की बातें की जाती रही थी. शर्मा दिल्ली पुलिस में 26 जून 1989 को सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हुए थे. अपने कार्यकाल दौरान मोहनचंद्र शर्मा ने 35 से ज्यादा आतंकियों को मारा था और 80 से अधिक आतंकियों को गिरफ्तार करवाया था. हालांकि इस इनकाउंटर के बाद दिल्ली समेत देश भर में कई जगहों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे. राजनीतिक पार्टियां और मानवाधिकार संगठनों ने इसकी न्यायिक जांच कराने की मांग की थी.
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