नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस मामले को फिर से खोला जिसमें सीबीआई और ईडी ने चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इससे पहले मामले को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था. कोर्ट ने साल सितंबर में मामले को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था (सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित किए बगैर). कोर्ट ने कहा था कि दोनों जांच एजेंसियां स्थगन के बाद स्थगन की मांग कर रही थीं.


कोर्ट ने पिता- पुत्र को अग्रिम जमानत भी दे दी थी. इसे दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है जो मामले पर 4 मार्च को सुनवाई करेगी. निचली अदालत ने 28 जनवरी को मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की और शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से स्थिति रिपोर्ट मांगी. बहरहाल, उन्होंने और समय की मांग की और कोर्ट ने उन्हें दो हफ्ते का समय दे दिया.


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जिला न्यायाधीश सुजाता कोहली ने कहा कि चार्जशीट में जिन आरोपों का जिक्र किया गया है वे काफी गंभीर प्रकृति के हैं और मामले को अनिश्चित काल के लिए रोक कर रखना न्याय के हित में नहीं है. एजेंसियों की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल संजय जैन ने रिपोर्ट दायर करने के लिए समय मांगा जिसकी अनुमति दे दी गई.


क्या है एयरसेल-मैक्सिस मामला?


कार्ति चिदंबरम पर 2007 में आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने के लिए पैसे लेने का आरोप है. उस वक्त उनके पिता पी चिदंबरम यूपीए सरकार में वित्तमंत्री थे. सीबीआई ने 15 मई 2018 को मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी. सीबीआई का आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी दिलाने में अनियमितताएं बरती गईं और 305 करोड़ रुपये विदेशी निवेश हासिल किया गया. सीबीआई ने शुरू में आरोप लगाया था कि एफआईपीबी मंजूरी को सुविधाजनक बनाने के लिए कार्ति को रिश्वत के रूप में 10 लाख रुपये मिले थे.


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