आरजेडी सांसद अमरेन्द्र धारी सिंह को 10 दिनों की ED हिरासत, उर्वरक घोटाले से जुड़े मनीलांड्रिंग केस के हैं आरोपी
आरोप है कि अमरिंदर धारी सिंह और उनके सहयोगियों ने इंडियन पोटाश लिमिटेड और इफको के बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर विदेशों से आने वाली खाद को बड़े हुए मूल्यों पर खरीदा दिखाया और इस बारे में दलाली के पैसे को विभिन्न कंपनियों में मनी लॉन्ड्रिंग भी किया.
राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद अमरेन्द्र धारी सिंह को दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को 10 दिनों की प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया है. उनके ऊपर कथित उर्वरक घोटाले से जुड़े मनीलांड्रिंग का मामला है. इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशों से आने वाली फ़र्टिलाइज़र में 800 करोड रुपए की कमीशनखोरी को लेकर दर्ज हुए मामले में आरजेडी सांसद के राज्यसभा सांसद ए डी सिंह को गिरफ्तार किया.
कमीशनखोरी के इस मामले में इफको और इंडियन पोटाश लिमिटेड के प्रबंध निदेशकों समेत अगस्ता वेस्टलैंड मामले का आरोपी राजीव सक्सेना भी शामिल है. राष्ट्रीय जनता दल से राज्यसभा के सांसद अमरिंदर धारी सिंह के बारे में बताया जाता है कि जब इनका नाम राज्यसभा से सांसद उम्मीदवार के तौर पर सामने आया तो आरजेडी के ही ज्यादातर लोग इन्हें नहीं जानते थे अब प्रवर्तन निदेशालय ने इन्हीं अमरिंदर धारी सिंह विदेशों से आने वाली खाद में हुई दलाली और मनी लांड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया.
आरोप है कि अमरिंदर धारी सिंह और उनके सहयोगियों ने इंडियन पोटाश लिमिटेड और इफको के बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर विदेशों से आने वाली खाद को बड़े हुए मूल्यों पर खरीदा दिखाया और इस बारे में दलाली के पैसे को विभिन्न कंपनियों में मनी लॉन्ड्रिंग भी किया.
जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय ने अमरिंदर धारी सिंह से अनेकों बार पूछताछ की थी लेकिन वे पूछताछ में पूरी तरह से सहयोग नहीं कर रहे थे लिहाजा जानकारी छुपाने और ईडी को सहयोग न करने के आरोप में उन्हें उनके दिल्ली स्थित डिफेंस कॉलोनी निवासी से गिरफ्तार कर लिया गया. अब ईडी जानना चाहता है कि इस मामले में शामिल घोटाले की रकम को किस तरह से ठिकाने लगाया गया और इसमें अमरिंदर धारी सिंह का कितना कमीशन था.
जांच एजेंसियों के सामने अब तक जो रिकॉर्ड आया है उसके मुताबिक अमरिंदर धारी सिंह और उनके सहयोगियों की कंपनियों के खातों समेत उनके अपने खातों में कमीशन खोरी के लगभग 685 करोड़ रुपए आए थे और कमीशन खोरी की इस रकम को अमेरिका में रहने वाले एन आर आई भारतीयों की कथित कंपनियों में ट्रांसफर किया गया.