Firing In Rajouri Garden: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दो शार्प शूटर्स को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए शूटर्स का नाम दीपांशु उर्फ मोनू और मोइनुद्दीन उर्फ सलमान है. दोनों बदमाश सलमान त्यागी गैंग के हैं. बता दें कि सलमान त्यागी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा हुआ है. दोनों बदमाशों ने 19 तारीख की रात राजौरी गार्डन इलाके में दो अलग-अलग जगह पर व्यापारियों की दुकानों पर फायरिंग की थी और मौके से फरार हो गए थे.
क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी रविंद्र यादव के मुताबिक, फायरिंग से पहले दोनों व्यापारियों के पास वर्चुअल कॉल के जरिए फिरौती के लिए कॉल किया गया था. दोनों व्यापारियों से 50-50 लाख की फिरौती देने की मांग की गई थी. पैसे न मिलने पर दोनों की दुकान पर फायरिंग करवा दी गई.
सीसीटीवी से हुई पहचान
क्राइम ब्रांच ने इस मामले को सुलझाने के लिए घटनास्थल के आसपास लगे दर्जनों सीसीटीवी कैमरों को खंगाला. इसके बाद दोनों बदमाशों की पहचान की गई. पुलिस ने उन्हें 2 पिस्टल के साथ गिरफ्तार कर लिया. दीपांशु उर्फ मोनू के पिता और सलमान त्यागी आपस में दोस्त हैं. दीपांशु और उसका साथी उनकी मदद से ही सलमान त्यागी से मिलने के लिए जेल में जाते थे.
जेल में सलमान त्यागी से मिलने जाते थे बदमाश
पूछताछ में इन दोनों ने बताया कि वे अक्सर सलमान त्यागी से मिलने के लिए जेल में जाया करते थे. सलमान त्यागी ने दोनों को अपने गैंग में शामिल कर लिया था. उसने दोनों बदमाशों को जेल के अंदर से ही कॉल के जरिए जानकारी दी थी कि हथियार कहां से मिलेंगे, गोलियां कहां से मिलेंगी और स्कूटी किस इलाके से चोरी करनी है. इसके बाद दोनों ने सलमान त्यागी के कहने पर वारदात को अंजाम दे डाला.
लॉरेंस बिश्नोई गैंग में शामिल होना चाहते थे दोनों
जब क्राइम ब्रांच ने आरोपियों से गैंग में शामिल होने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि उनको लॉरेंस बिश्नोई गैंग में शामिल होना था. इसी लालच में उन्होंने गैंगस्टर सलमान त्यागी का हाथ थाम लिया. गौरतलब है कि सलमान त्यागी पहले नीरज बवानिया गैंग के साथ जुड़ा हुआ था, लेकिन जैसे-जैसे लॉरेंस बिश्नोई गैंग का नाम ऊपर बढ़ा वैसे-वैसे लोकल बदमाश और नाबालिक लड़के, लॉरेंस गैंग में शामिल होने लगे हैं और यही वजह थी कि सलमान त्यागी ने भी लॉरेंस बिश्नोई गैंग का हाथ थाम लिया.
यह भी पढ़ें- Rajasthan Election: बीजेपी की परिवर्तन संकल्प यात्रा में दिख रही गुटबाजी, कहीं चला थप्पड़ तो कहीं नारेबाजी