Delhi Crime: दिल्ली में कब-कब हुए वीभत्स हत्याकांड, जिन्होंने देश को सन्न कर दिया
Delhi Murders: दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके में हुई एक नाबालिग लड़की की सरेआम हत्या ने पिछली कुछ वीभत्स हत्याओं को याद दिला दिया है.
Delhi Gruesome Murders: दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके में 28 मई को चाकू और पत्थर मारकर एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की की सरेआम हत्या कर दी गई. पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई है. आरोपी का नाम साहिल है, जिसकी उम्र 20 वर्ष बताई जा रही है. आउटर नॉर्थ दिल्ली के एडिशनल डीसीपी राजा बांथिया ने बताया है कि पुलिस की छह टीमें आरोपी की तलाश कर रही हैं.
मृतका के पिता की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा (IPC) 302 के तहत मामला दर्ज किया है. लगभग सालभर पहले दिल्ली में ही श्रद्धा वॉकर की नृशंस हत्या के बाद शाहबाद डेयरी में हुई यह वारदात वीभत्स और रौंगटे खड़े करने वाली है. आइये जानते हैं दिल्ली में कब-कब हुए वीभत्स हत्याकांड.
श्रद्धा मर्डर केस
18 मई, 2022 को दक्षिण दिल्ली के महरौली इलाके में श्रद्धा वॉकर की नृशंस हत्या कथित तौर पर उसके लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला ने कर दी थी. श्रद्धा और आफताब मुंबई से दिल्ली आकर रह रहे थे. आरोप है कि आफताब ने श्रद्धा का गला घोंटकर उसे मारने के बाद शव के 35 टुकड़े किए थे और कई दिनों तक उन्हें फ्रिज में रखते हुए ठिकाने लगाया था.
इस मामले के बारे में सामने आई सनसनीखेज बातों ने पूरे देश को सन्न कर दिया था. पुलिस ने श्रद्धा के पिता की शिकायत पर मामला दर्ज कर आरोपी को पकड़कर सबूत जुटाए थे. शव के टुकड़े जंगल से खोजे गए थे. 24 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 6,629 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. मामले में सुनवाई चल रही है और अदालत का फैसला आना बाकी है.
कंझावला कांड
31 दिसंबर की रात दिल्ली के कंझालवा इलाके में एक 20 वर्षीय युवती को कार से कई किलोमीटर तक घसीटा गया था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी. मामले में सात लोग- दीपक खन्ना, अमित खन्ना, कृष्ण, मिथुन, मनोज मित्तल, आशुतोष भारद्वाज और अंकुश आरोपी है. तीन आरोपी दीपक खन्ना, आशुतोष भारद्वाज और अंकुश जमानत पर बाहर है.
शुरू में पुलिस ने गैर इरादतन हत्या और लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला दर्ज किया था लेकिन बाद में इसमें आईपीसी की धारा 302 को भी जोड़ा गया था. घटना की सीसीटीवी फुटेज भी इतनी खौफनाक थी कि जिसने देखी, सन्न रह गया. कई दिनों तक यह मामला मीडिया में छाया रहा था.
निक्की यादव-साहिल गहलोत केस
इसी साल दिल्ली में निक्की यादव की हत्या का मामला सामने आया था. 10 जनवरी को दिल्ली पुलिस को लड़की की हत्या के बारे में सुराग लगा था. हत्या का आरोपी उसका लिव-इन पार्टनर निकला, जिसका नाम साहिल गहलोत है.
हत्या की वारदात के वाले दिन आरोपी ने दूसरी लड़की से शादी कर ली थी. निक्की यादव का शव आरोपी के एक ढाबे के फ्रिज से बरामद हुआ था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था. आरोपी ने पुलिस पूछताछ में अपना गुनाह भी कबूल किया था.
2012 का निर्भया केस
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक बस में एक 22 वर्षीय मेडीकल इंटर्न के साथ हुई हैवानियत ने पूरे देश को झकझोर दिया था. चलती बस में युवती के साथ छह लोगों ने गैंगरेप किया था और उसे हैवानियत की हद तक यातनाएं दी थीं. दो दिन बाद युवती की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. वारदात को युवती के एक दोस्त के सामने अंजाम दिया गया था.
इस नृशंस हत्या की शिकार बनी युवती को निर्भया नाम दिया गया था. मामले में एक 17 वर्षीय नाबालिग मोहम्मद अफरोज को तीन साल की सजा देकर बालसुधार गृह भेजा गया था. 11 मार्च 2013 को एक राम सिंह नाम के आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी.
10 सितंबर 2013 को चार अन्य आरोपियों पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और मुकेश सिंह को दोषी ठहराकर उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. चारों दोषियों को 20 मार्च 2020 को फांसी दे दी गई थी.
1995 का तंदूर कांड
1995 में दिल्ली में हुई नैना साहनी की हत्या का मामला तंदूर कांड के तौर पर जाना जाता है. दिल्ली में सुशील शर्मा नाम के शख्स ने अपनी पत्नी नैना की शक के चलते हत्या कर दी थी. उसे शक था कि पत्नी के मतलूब करीम नाम के शख्स के साथ अवैध संबंध हैं.
2 जुलाई 1995 की रात सुशील शर्मा ने पत्नी नैना की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद शव के टुकड़े कर उन्हें एक रेस्टोरेंट के तंदूर में जलाकर ठिकाने लगाने की कोशिश की थी. इसमें उसने अपने दोस्त केशव कुमार की मदद ली थी. आरोपी शव के टुकड़े पूरी तरह जलाने में नाकाम रहे थे और पुलिस ने जले हुए टुकड़े बरामद कर लिए थे. 7 नवंबर 2003 को शर्मा को मौत की सजा सुनाई गई थी.
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा कम कर दी थी. उसी साल अक्टूबर में तीन जस्टिस की बेंच ने पहले की सजा को बरकरार रखा था लेकिन उसे आजीवन कारावास में बदल दिया था. अपराध के 20 साल बाद, 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सुशील शर्मा को रिहा करने का आदेश दिया था.
1978 का रंगा-बिल्ला केस
26 अगस्त 1978 में दो लोगों कुलजीत सिंह उर्फ रंगा और जसबीर सिंह उर्फ बिल्ला ने फिरौती की रकम मांगने के लिए नौसेना के अधिकारी मदन चोपड़ा के बच्चों 16 वर्षीय गीता चोपड़ा और 14 वर्षीय संजय चोपड़ा का अपहरण कर लिया था.
जब रंगा-बिल्ला को मामूल हुआ कि बच्चों के पिता नौसेना के अधिकारी है तो पकड़े जाने के डर से उन्होंने मासूमों की हत्या कर दी थी. यह भी बताया जाता है कि दरिंदों ने बच्ची के साथ रेप किया था. 28 अगस्त 1978 को दिल्ली रिज में एक चरवाहे को शवों के बारे में पता चला था.
उसी साल 9 सितंबर को रंगा-बिल्ला को पकड़ लिया गया था. 4 साल तक चली सुनवाई के बाद 31 जनवरी 1982 में दोनों को फांसी दे दी गई थी. बता दें कि दिल्ली पुलिस के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में (2013 से नवंबर 2022 तक) दिल्ली में हत्या की 5,118 वारदातें हुईं. इन वर्षों में हर साल 400 से ज्यादा हत्या की वारदातें हुईं.