Delhi Principal Selection: दिल्ली (Delhi) में लगभग एक दशक के लंबे अंतराल के बाद संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की ओर से दिल्ली सरकार के स्कूलों (Delhi Government School) में प्रधानाचार्यों (Principal) की भर्ती के लिए चयन परीक्षा आयोजित की गई है. इसको लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy Chief Minister and Education Minister Manish Sisodia) ने यूपीएसई के चेयरमैन डॉ. मनोज सोनी (Dr. Manoj Soni) को चिट्ठी लिख कर उनका आभार व्यक्त किया और यूपीएसई की ओर से प्रधानाचार्यों के चयन के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले 6 विषय वस्तुओं के अतिरिक्त 5 और योग्यताओं पर ध्यान देने की बात कही.
दरअसल यूपीएसई की ओर से प्रधानाचार्यों के चयन के लिए आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षा 300 अंकों की होती है और पूरे रिजल्ट में इसका वेटेज 75% होता है. यूपीएससी 6 विषयों पर प्रधानाध्यापकों के लिए एक उम्मीदवार की जांच करता है, इनमें शामिल है- 1. सामान्य ज्ञान समकालीन सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मुद्दे, 2. हिंदी और अंग्रेजी भाषा कौशल, 3. तर्क क्षमता और मात्रात्मक योग्यता, 4. शिक्षा नीतियां और शिक्षा माप और मूल्यांकन, 5. मैनेजमेंट और फाइनेंसियल एडमिनिस्ट्रेशन, 6. कार्यालय संबंधी कामकाज प्रक्रिया.
मनीष सिसोदिया ने दिए सुझाव
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इन 6 बिन्दुओं के अतिरिक्त इस बार प्रधानाचार्यों की चयन प्रक्रिया के लिए यूपीएसई को 5 और बिंदु पर ध्यान देने का सुझाव दिया है, इनमें शामिल है
1. प्रत्येक बच्चे और उसकी सीखने की क्षमता के प्रति विश्वास
2. दिल्ली की संस्कृति और विविधता का सम्मान
3. दिल्ली की जमीनी हकीकत की समझ
4. शिक्षकों को प्रेरित करने और उन्हें गाइडेंस देने में सक्षमता
5. रिसर्च ओरिएंटेड माइंडसेट, हमेशा पढ़ने-सीखने के लिए तत्परता
स्कूल लीडर की भूमिका निभाते हैे प्रधानाचार्य: मनीष सिसोदिया
मनीष सिसोदिया ने कहा कि प्रधानाचार्यों के चयन के दौरान यूपीएसई इन सभी बिन्दुओं का भी ध्यान रखे क्योंकि प्रधानाचार्य न केवल एक अकेडमिक एडमिनिस्ट्रेटर होते हैं बल्कि वो एक स्कूल लीडर की भूमिका भी निभाते हैं. ऐसे में एक प्रधानाचार्य के अंदर ये सभी गुण होना बेहद महत्वपूर्ण है.
मनीष सिसोदिया ने चिट्ठी में लिखा कि 17 जुलाई 2022 भारत की शिक्षा प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित होगा क्योंकि इस दिन शिक्षा निदेशालय, दिल्ली में प्रधानाचार्यों के 363 पदों के लिए यूपीएससी द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाने के बाद से स्कूल एजुकेशन सिस्टम को मजबूत करने की सबसे बड़ी कवायद होगी.
गवर्नमेंट स्कूल सिस्टम पर जनता का बढ़ा विश्वास
उन्होंने आगे लिखा कि 2012 में हुई पिछली परीक्षा और 2022 की वर्तमान भर्तियों के बीच के समय अन्तराल में बहुत से सराहनीय बदलाव आए है और इसमें एक सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह आया है कि पिछले 7 सालों में, दिल्ली सरकार ने गवर्नमेंट स्कूल सिस्टम के प्रति दोबारा जनता के विश्वास को बढ़ाने का काम किया है.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने लिखा कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के "भारत को एक ग्लोबल नॉलेज सुपर-पॉवर" के विज़न और "सोशल-इकोनोमिकल बैकग्राउंड की परवाह किए बिना सभी बच्चों के लिए उच्चतम गुणवत्ता वाली एक समान शिक्षा प्रणाली के लक्ष्य" में विश्वास रखती हैं.
शिक्षा दिल्ली सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता: मनीष सिसोदिया
उन्होंने आगे लिखा कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति की इस बात से पूरी तरह सहमत है कि एक अच्छी शैक्षणिक संस्था वह है जिसमें हर बच्चे का स्वागत किया जाता हो, उसे सीखने के लिए सुरक्षित और प्रेरणादायक वातावरण मिले और उन्हें हर बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाई जाए.
मनीष सिसोदिया ने लिखा कि शिक्षा दिल्ली सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में मैं अपने अनुभव के आधार पर यह कह सकता हूं कि यदि कोई एक ऐसा फैक्टर है जो एनईपी 2020 के विज़न को वास्तविकता में बदल सकता है, तो वह है एक स्कूलों के प्रधानाचार्य.
प्रधानाचार्य के व्यक्तित्व पर ही निर्भर करता है स्कूल का भविष्य: मनीष सिसोदिया
उन्होंने आगे कहा कि सरकारें बेशक पर्याप्त संसाधन मुहैया कर सकती हैं, बदलाव लाने के एजेंडे को स्पष्ट कर सकती है लेकिन उसे पूरा करने का काम प्रधानाचार्य ही करते हैं. इसलिए प्रधानाचार्य की भूमिका केवल एक अकादमिक प्रशासक की नहीं बल्कि एक स्कूल लीडर की भी होती है. यह स्कूल के प्रधानाचार्य के व्यक्तित्व पर ही निर्भर करता है कि कोई स्कूल सिर्फ शिक्षा विभाग के एक आउटपोस्ट के रूप में कार्य करेगा या फिर लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले एक संस्थान के रूप में काम करेंगे.
उपमुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में औसत नामांकन लगभग 1800 है और य इन छात्रों का जीवन अपने स्कूल के प्रधानाचार्य के नेतृत्व, प्रतिबद्धता और विश्वास से प्रभावित होता है. जहां एक स्कूल अपने छात्रों के चरित्र और समाज को आकार देता है. वहीं राष्ट्र को उसके छात्रों द्वारा आकार दिया जाता है. इसलिए, यह जरूरी है कि एक प्रधानाचार्य को प्रशासनिक प्रक्रिया से तो अच्छी तरह वाकिफ होना ही चाहिए, साथ ही उनमें बच्चे की सीखने की प्रक्रिया की गहरी समझ, उनके मनोविज्ञान और वो चीजें जो बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित करती है, उसकी समझ भी होना बेहद जरूरी है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy Chief Minister and Education Minister Manish Sisodia) ने यूपीएसई के चेयरमैन डॉ. मनोज सोनी (Dr. Manoj Soni) को लिखा कि, मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रत्येक उम्मीदवार का चयन करते समय आप स्वयं से यह सवाल पूछें कि “क्या मैं इस व्यक्ति पर अपने खुद के बच्चे के स्कूल के प्रधानाचार्य (Principal) के रूप में भरोसा करूंगा? और जिनके लिए इस सवाल का उत्तर प्रतिबद्धता के साथ ‘हां’ हो उन्ही का चयन करें. दरअसल दिल्ली (Delhi) में लगभग एक दशक के बाद यूपीएससी (Union Public Service Commission) की ओर से प्रधानाचार्यों की सीधी भर्ती की जा रही है. इससे पहले 58 प्रधानाचार्यों के पिछले बैच ने 2012 में अपनी लिखित परीक्षा दी थी और 2015 में स्कूलों को ज्वाइन किया था. 2010 में शुरू हुई यह भर्ती प्रक्रिया 2015 में पूरी हुई थी.
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