नई दिल्ली: राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में गलाघोंटू बीमारी यानी डिप्थीरिया का कहर मासूमों की जान ले रहा है. यह दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाला महर्षि वाल्मीकि संक्रामक अस्पताल है. इस अस्पताल में उन मरीजों को ही भेजा जाता है या दाखिल किया जाता है जिनको संक्रामक बीमारी हो. लेकिन इस अस्पताल में पिछले कुछ दिनों के दौरान 11 से 12 बच्चों की मौत हुई है. वह भी एक ऐसी बीमारी से जो कि कहने को तो खत्म होती जा रही है लेकिन आज भी जानलेवा है.


यह बीमारी है डिप्थीरिया जिसको हिंदी में गलाघोंटू भी कहते हैं. लेकिन आखिर एक बीमारी कैसे एक के बाद एक बच्चों का दम निकाल रही है. वह भी देश की राजधानी दिल्ली में जब इसकी एबीपी न्यूज़ ने पड़ताल शुरू की तो पता चला की बीमारी के इलाज के लिए जो दवा चाहिए होती है वह दवा अस्पताल में मिल ही नहीं रही है.


मरीजों के परिजनों ने क्या कहा?
जब मरीजों के परिजनों से पूछा गया की दवा कहां मिलेगी तो इसके जवाब में कुछ ने बताया कि इस समय अस्पताल में बड़ी संख्या में डिप्थीरिया के ही मरीज मौजूद है. कुछ मरीजों के परिजन फिलहाल जगह-जगह इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा को ढूंढने के लिए चक्कर काट रहे हैं. वजह है की इस बीमारी के इलाज के लिए जिस इंजेक्शन की जरूरत है वह अस्पताल में देने से मना कर दिया गया और बाजार में मिल नहीं रहा है. ऐसे में यह परिजन भी हर जगह से मायूस ही हो रहे हैं और इनकी मायूसी उन परिवारों को देखकर और ज्यादा बढ़ रही है जिन्होंने डिप्थीरिया बीमारी के चलते ही अपने बच्चों को खो दिया.


अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों ने बताया कि यहां तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही हैं. वहीं कुछ परिजनों ने तो यह भी बताया कि पिछले तीन से चार दिनों के अंदर ही पांच से छह बच्चों की मौत हो चुकी है लेकिन दवा है कि मिल ही नहीं रही. इन सब पर अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. लेकिन उन्होंने बिना कैमरा के कुछ जानकारी जरूर साझा की.


इसपर अस्पताल मेडिकल सुपरिटेंडेंट का बयान
अस्पताल मेडिकल सुपरिटेंडेंट के मुताबिक डिप्थीरिया नामक बीमारी की दवा सिर्फ सरकार से सरकार के जरिए अस्पताल में पहुंचती है. यानी कि इसकी दवा आसानी से खुले बाजार में मिलना मुश्किल है क्योंकि दवा कम बनती हैं. ऐसे में यह सिर्फ अस्पताल में ही सीधे भेजी जाती है. लेकिन अभी अस्पताल में यह दवा मौजूद नहीं है वजह है कि दवा कसौली की लैबोरेट्री से इस अस्पताल में आती है. लेकिन कसौली में पिछले काफी महीनों से जिस लैबोरेट्री में यह दवा तैयार होती है. वहां पर दवा तैयार करने का काम नहीं हो पा रहा और उसकी वजह से इस अस्पताल तक दवा पहुंच ही नहीं रही है.


डिप्थीरिया क्या है?
डिप्थीरिया एक ऐसी बीमारी है जिसका बचपन में ही टीका लगाया जाता है. हालांकि, पिछले कुछ दशकों के दौरान इस बीमारी के मरीजों की संख्या लगातार घटती जा रही है क्योंकि सरकार बड़े पैमाने पर टीकाकरण कर रही है लेकिन अभी भी बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. डिप्थीरिया बीमारी के दौरान मरीज को गले में खराश होती है उसके बाद हल्का बुखार आता है और धीरे-धीरे गला फूलने-सा लगता है. हालत इस कदर बिगड़ जाती है कि कुछ भी खाना-पीना भी मुश्किल हो जाता है और धीरे-धीरे करके बीमारी जानलेवा बन जाती है.


अस्पताल प्रशासन द्वारा जानकारी दी गई है कि साल भर में इस बीमारी के साढ़े तीन सौ से चार सौ मरीज अस्पताल में आते हैं. इस हिसाब से अगर गणना की जाए तो एक मरीज को आठ इंजेक्शन लगाए जाते हैं यानी कि साल भर में करीबन 3200 इंजेक्शन की जरूरत पड़ सकती है. लेकिन यह 3200 इंजेक्शन भी अस्पताल प्रशासन इंतजाम नहीं करा पा रहा है. इसके चलते बच्चों की मौत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.


फिलहाल, दिल्ली में यह इकलौता अस्पताल है जहां पर इस बीमारी का इलाज हो सकता है. लेकिन यहां पर भी अब इस बीमारी का इलाज नहीं हो पा रहा क्योंकि दवा ही मौजूद नहीं है.