नई दिल्ली: कोरोना संकट और वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे के कारण दिल्ली के महरौली में ‘एशियन हेरिटेज फाउंडेशन’ ने दशहरे का पर्व बेहद अनूठे अंदाज में मनाया. दरअसल यहां रावण का दहन ना कर के रावण को गिराया गया. यह रावण बांस से बनाया गया था जिसको खपच्ची कारीगरों ने तैयार किया था.
ग्रीन दुर्गा का कॉन्सेप्ट भी रखा गया
इस मौके पर ग्रीन दुर्गा का कॉन्सेप्ट भी रखा गया था. इस दौरान मिट्टी से बनी दुर्गा की 108 छवियां बनाई गई जिसमे बीज बोया गया, ताकि पानी देने के बाद उसमें से पौधे निकलें और उस मिट्टी का मिट्टी में ही विसर्जन किया सके. इस दौरान खास रामलीला का भी आयोजन किया गया था जिसका उद्देश्य महामारी का प्रतिनिधित्व करने वाली लंका में गैर पाइरोजिक रावण का विनाश था.
सरकार सीमित दायरे में संस्कृति को समझती है
एशियन हेरिटेज फाउंडेशन के चेयरमैन राजीव सेठी ने एबीपी न्यूज को बताया कि, "री साइकिल भी करना जरूरी होता है अगर रावण को जला देते तो सिर्फ राख ही बचती. रावण को गिराया गया है. इसमे इस्तेमाल हुई खपच्ची से अब कैंडल बनाई जाएंगी जो दिवाली पर बेची जाएंगी और इनसे जो भी पैसा आएगा उसे खपच्ची के क्राफ्ट्समैन को दिया जाएगा. उन्होने कहा कि सरकार सीमित दायरे में संस्कृति को समझती है. सरकार तक छोड़ना सब हमारा दोष है. सरकार काफी कुछ कर सकती है जो नहीं कर रही है."
दशहरे के मौके पर समाज को पैगाम
रामलीला में ना सिर्फ रामलीला करने वाले आर्टिस्ट मौजूद रहे बल्कि स्ट्रीट परफॉर्मर्स भी मौजूद रहे. इन कलाकारों ने अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन कर दशहरे के मौके पर सबका दिल जीत लिया. कोरोना महामारी के कारण लागू हुए लॉक डाउन का इन पर कितना असर हुआ इसे भी इन कलाकारों ने अपनी परफार्मेंस में दर्शाया. यकीनन प्रदूषण और कोरोना के रावण को गिरा कर इस बार सभी कलाकारों ने दशहरे के मौके पर एक खास मैसेज समाज को दिया है.
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