नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 का बिगुल बच चुका है. दिल्ली में किस पार्टी की सरकार बनती है, ये देखना दिलचस्प होगा. हालांकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दिल्ली में सरकार बनाने का दावा कर रही है. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनका जवाब जनता को चाहिए ही चाहिए. इन्हीं में से एक मुद्दा भ्रष्टाचार का भी है. बीते पांच सालों में केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार के मु्द्दे पर कितनी खरी उतरी है इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने पोल किया, जिसमें सवाल पूछा गया क्या भ्रष्टाचार पर हुआ कंट्रोल?
पोल में क्या नतीजा सामने आया
हमारे इस पोल में कुल 16 हजार 200 लोगों ने भाग लिया. जिसमें से 47 प्रतिशत लोगों ने 'हां' कहा वहीं, 53 फीसदी लोगों ने 'नहीं' में जवाब दिया. इसका मतलब साफ-साफ कि भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली की जनता की मिली जुली राय है.
2015 में आप ने भ्रष्टाचार को बनाया था चुनावी मुद्दा
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) का जन्म ही भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों से हुआ. दिल्ली में पांच साल तक सत्ता में रहने के बाद केजरीवाल सरकार का दावा है कि उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त शासन दिया. इन दावों से इतर बीजेपी और कांग्रेस दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही हैं. साल 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था. अरविंद केजरीवाल ने उस वक्त दिल्ली की जनता को विश्वास दिलाया था कि उनकी सरकार बनने के बाद वह भ्रष्टाचार को वो जड़ से खत्म कर देंगे. दिल्ली की जनता ने उनकी बात पर भरोसा करते हुए उन्हें पिछले विधानसभा चुनाव में वोट दिया था. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा की कुल 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की.
इस बार 8 फरवरी को वोटिंग, 11 फरवरी को नतीजे
बता दें कि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर 8 फरवरी को वोटिंग होगी और 11 फरवरी को मतगणना होगी. साल 2015 में 7 फरवरी को वोटिंग हुई थी और 10 तारीख को मतगणना हुई थी. नतीजों में आम आदमी पार्टी को 67 और बीजेपी को तीन सीटों पर जीत मिली थी. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में आम जनता के लिए भ्रष्टाचार कितना बड़ा मुद्दा बनता है.