नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान कर दिया है. चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 8 फरवरी 2020 को चुनाव करवाए जाएंगे. वोटों की गिनती 11 फरवरी को होगी. आयोग की ओर से चुनाव की घोषणा के साथ ही दिल्ली में आचार संहिता लागू हो गई है. सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों के आधार पर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. सभी दलों के कार्यालयों पर भीड़ देखी जा रही है.


आम आदमी पार्टी एक बार फिर अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनावी मैदान में उतरी है तो वहीं बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए किसी भी नेता का नाम नहीं लिया है.


ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर केजरीवाल से पहले कौन-कौन और किस पार्टी के नेता दिल्ली की गद्दी पर बैठे. तो आईए हम आपको बताते हैं-


दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री


चौधरी ब्रह्म प्रकाश कांग्रेस पार्टी का दिल्ली में कद्दवर नेता जिनका जन्म 16 जून 1918 हो हुआ था. 17 मार्च 1952 से लेकर 12 फरवरी 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे. दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद देशबंधु गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा हुई थी.


लेकिन, प्लेन क्रैश में उनकी आकस्मिक मृत्यु के बाद चौधरी ब्रह्म प्रकाश को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. चौधरी ब्रह्म प्रकाश पश्चिमोत्तर दिल्ली के शकूरपुर के रहने वाले थे.


दूसरे मुख्यमंत्री सरदार गुरूमुख निहाल सिंह


12 फरवरी, 1955 से लेकर 1 नवंबर 1956 तक सरदार गुरूमुख निहाल सिंह दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे. वह कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. इससे पहले वह साल 1952 में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके थे.


14 मार्च 1895 को जन्में सरदार गुरूमुख निहाल सिंह का जन्म अविभाजित पंजाब में हुआ था. वह लंदन विश्वविद्यालय से बीएससी (अर्थशास्त्र) की उपाधि प्राप्त की थी. साल 1920 में वो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर चुने गए थे.


पहली बार बीजेपी का हुआ कब्जा


दिल्ली की सत्ता में पहली बार साल 1993 में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हुआ. बीजेपी के नेता मदन लाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. वह 2 दिसंबर 1993 से लेकर 26 फरवरी 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे खुराना साल 1965 से लेकर 1967 तक जनसंघ के महासचिव रहे थे.


कार्यकर्ताओं के बीच खुराना काफी लोकप्रिय चेहरा थे. खुराना का जन्म फैसलाबाद में हुआ था. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद वह दिल्ली के कीर्ति नगर शरणार्थी शिविर में रहे. ग्रेजुएशन इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से की.


साहिब सिंह वर्मा


15 मार्च 1943 को जन्में साहिब सिंह वर्मा 26 फरवरी 1996 से लेकर 12 अक्तूबर 1988 दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे. साहिब सिंह वर्मा बीजेपी के दूसरे नेता थे जो कि दिल्ली के मुख्यमंत्री बनें. इसके अलावा वह सासंद भी रह चुके हैं.


साहिब सिंह वर्मा पार्टी में कई पदों पर काम कर चुके हैं. इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में श्रम मंत्री भी थे. साहिब सिंह का जन्म बाहरी दिल्ली के मुण्डका गांव में एक किसान परिवार में हुआ था.


दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री


बीजेपी के कद्दावर नेता और भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कई मंत्रालयों में काम कर चुकी सुषमा स्वराज 12 अक्तूबर 1988 से लेकर 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही हैं. सुषमा स्वराज दिल्ली की सत्ता पर बैठने वाली पहली महिला मुख्यमंत्री थीं.


उनका जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था. इसके बाद वह पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री ली थी. सुषमा स्वराज चार साल तक जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहीं.


साल 1977 में, जब सुषमा स्वराज ने हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी तो वे पहली बार विधानसभा पहुंची थी. सुषमा स्वराज भारत में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं. उनका कार्यकाल 52 दिनों का था.


कांग्रेस की महिला मुख्यमंत्री शीला दीक्षित


पंजाब के कपूरथला में जन्में शीला दीक्षित की पढ़ाई जीसस एंड मेरी कॉन्वेंट स्कूल में हुई थी. वह दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की थी. उनका विवाह उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (आईएएस) विनोद दीक्षित से हुआ था.


विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. राजनीति में आने से पहले शीला दीक्षित कई संगठनों से जुड़ी रहीं और उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए दिल्ली में दो हॉस्टल भी बनवाए थे.


शीला दीक्षित ने 3 दिसंबर 1988 से 28 दिसंबर 2013 तक दिल्ली का मुख्यमंत्री पद संभाला.


अरविंद केजरीवाल


हरियाणा के हिसार जन्में अरविंद केजरीवाल साल 1989 में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक इंजीनियरिंग में बीटेक की डीग्री हासिल की. साल 1992 में वह भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्ति मिली.


दिल्ली की राजनीति में आई नई नवेली पार्टी आम आदमी पार्टी का गठन लोकपाल आंदोलन के बाद हुआ. आम आदमी पार्टी ने अपना पहला चुनाव साल 2013 में लड़ा. पहले ही चुनाव में आप ने 28 सीटें जीतकर प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी.


केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. लेकिन, मात्र 49 दिनों में ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद एक बार फिर आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में फरवरी 2015 के चुनाव उतरी और 70 में से रिकॉर्ड 67 सीटों पर जीत दर्ज की. केजरीवाल दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.


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