नई दिल्ली: दिल्ली में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, बीजेपी के विजेंदर गुप्ता और कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली समेत करीब 600 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. नामांकन भरने के आखिरी दिन केजरीवाल समेत करीब 200 उम्मीदवारों ने अपना पर्चा दाखिल किया. सेंट्रल दिल्ली के जामनगर हाउस में नयी दिल्ली के निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में उम्मीदवारों की भारी भीड़ के चलते केजरीवाल को अपनी बारी के लिये छह घंटे से भी ज्यादा समय तक इंतजार करना पड़ा.
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय की तरफ से साझा की गई जानकारी के मुताबिक मंगलवार रात नौ बजे तक 55 विधानसभा क्षेत्रों के लिये 592 नामांकन मिल चुके थे. राष्ट्रीय राजधानी के नामांकन दफ्तरों में आज दिनभर गहमा-गहमी रही जहां बड़ी संख्या में उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ आखिरी दिन पर्चा दाखिल करने पहुंचे थे. कई सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान मंगलवार सुबह किया गया.
मंगलवार को तड़के बीजेपी ने 10 सीटों को लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया जबकि कांग्रेस ने सुबह करीब 10 बजकर 40 मिनट पर पांच सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की. जामनगर हाउस में नई दिल्ली सीट के लिये नामांकन भरने के लिये 66 लोग कतार में थे. केजरीवाल कतार में 45वें स्थान पर थे और उन्हें घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा.
केजरीवाल ने कहा, “अपना नामांकन भरने का इंतजार कर रहा हूँ. मेरा टोकन नंबर 45 है. यहां बहुत से लोग नामांकन भरने आए हैं. मैं खुश हूँ कि लोकतंत्र में इतने सारे लोग भाग ले रहे हैं.” आम आदमी पार्टी नेताओं ने दावा किया कि अधूरे कागजात के साथ आए 35 उम्मीदवारों ने कहा कि जब तक वह नामांकन नहीं भर लेते तब तक मुख्यमंत्री को नामांकन नहीं भरने देंगे. पार्टी नेताओं को इसमें साजिश दिखी.
दिल्ली सीईओ कार्यालय ने शाम को बयान जारी कर कहा, ‘‘आज नामांकन के आखिरी दिन उम्मीदवारों की भारी भीड़ थी. शाम तीन बजे की अंतिम समय सीमा तक नयी दिल्ली क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी के समक्ष 66 उम्मीदवार मौजूद थे. भारी भीड़ के कारण नामांकन प्रक्रिया में तीन बजे के बाद तक का समय लगा.’’
दूसरी तरफ भाजपा विधानसभा चुनावों में भी 2019 के लोकसभा चुनावों वाली अपनी सफलता दोहराना चाहती है, जब उसने सातों लोकसभा सीट बड़े अंतर से जीती थीं. बीजेपी ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. पार्टी ने अपने अनुभवी उम्मीदवारों पर दांव लगाने के साथ ही केंद्र के नेतृत्व वाली पार्टी की सरकार के काम पर मतदाताओं से वोट मांगने का फैसला किया है. पार्टी के 67 उम्मीदवारों में से 30 से ज्यादा पूर्व में विधायक रह चुके हैं या चुनाव लड़ चुके हैं.
बीजेपी ने सहयोगी जेडीयू और राम विलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी को भी हिस्सेदारी दी है. उसकी पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने हालांकि सीएए के मुद्दे पर मतभेद की वजह से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.
दूसरी तरफ 2015 के विधानसभा चुनावों में खाता भी नहीं खोल पाई कांग्रेस को इस बार किस्मत के साथ देने की उम्मीद है और वह शीला दीक्षित सरकार के अच्छे कामों के भरोसे चुनाव में उतर रही है. कांग्रेस ने दिल्ली में चार सीटें सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल के लिये छोड़ी हैं जो पूर्वांचलियों की खासी संख्या वाली-बुराड़ी, किराड़ी, उत्तम नगर और पालम- सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि पार्टी को आठ फरवरी को होने वाले चुनावों में केजरीवाल सरकार को हटाने का पूरा भरोसा है.