Delhi Election Results: प्रचार के स्टाइल से मोदी, नाम है अरविंद केजरीवाल
साल 2014 में नरेंद्र मोदी एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे. तब मोदी ने चाय पर चर्चा की थी. इस बार अरविंद केजरीवाल ने टाउन हॉल कार्यक्रम का आयोजन किया और लोगों से ज्यादा गहराई से जुड़ने का फॉर्मूला निकाला.
Delhi Election Results 2020: दिल्ली में हुए चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टाइल में प्रचार किया और बीजेपी को ही मात दे दी. 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी ने चाय पर चर्चा की. इस दौरान वे लोगों के सवाल लेते थे और अपना जवाब देते थे. अरविंद केजरीवाल ने इस बार टाउन हॉल कार्यक्रम का आयोजन किया. इस दौरान उन्होंने अपनी सरकार के काम गिनाए और लोगों के सवालों का जवाब दिया. 2014 में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नरेंद्र मोदी के लिए काम किया तो इस बार वो केजरीवाल का चुनाव कैंपेन देख रहे थे.
जहां एक तरफ केजरीवाल ने मोदी का स्टाइल अपनाया तो दूसरी तरफ इस बात का खयाल रखा कि पीएम मोदी पर हमला नहीं करना है. इसका फायदा ये हुआ है कि बीजेपी के लाख चाहने के बावजूद चुनाव मोदी वर्सेस केजरीवाल नहीं हो पाया. बीजेपी को मात देने में केजरीवाल की ये रणनीति काम आ गई. मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष हैं. आम आदमी पार्टी ने मोदी पर हमले के बजाए मनोज तिवारी को ही अपना टारगेट बनाया. सोशल मीडिया पर मनोज तिवारी की नकारात्मक छवि पेश करके अपने पक्ष में भुनाने की रणनीति बनाई.
आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर चुनाव लड़ा लेकिन बीजेपी के पास कोई चेहरा नहीं था. चुनाव शुरू होने से लेकर प्रचार के अंतिम दिनों तक आम आदमी ने सीएम के सवाल पर बीजेपी को घेरना शुरू किया. बीजेपी के पास इस सवाल का जवाब नहीं था और इस मुद्दे पर केजरीवाल ने मनोवैज्ञानिक रूप से पहले दिन से ही लीड ली. बीजेपी को मनोबल इसपर पहले दिन से ही डाउन रहा.
बीजेपी ने दिल्ली की जंग जीतने के लिए पूरा जोर लगा रखा था. प्रधानमंत्री मोदी ने रैली की. गृह मंत्री अमित शाह ने रोड शो से लेकर घर घर पैदल घूमकर बीजेपी उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे. बीजेपी के मंत्री, सांसद और दूसरे राज्यों से आये नेताओं ने प्रचार में पूरी ताकत झोंकी थी लेकिन सब बेकार गया.
चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को आतंकी बताकर विवाद खड़ा किया था. प्रवेश वर्मा के इस बयान को केजरीवाल ने न सिर्फ मुद्दा बनाया बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में वो भावुक भी हो गये थे. बीजेपी को जवाब देने के लिए केजरीवाल ने खुद को दिल्ली का बेटा बताकर पेश किया और नतीजा सामने है. पहले दिन से ही अरविंद केजरीवाल ये कह रहे थे कि उन्होंने काम किया है और काम के नाम पर वोट मांग रहे हैं. केजरीवाल ने विकास के नाम पर चुनाव लड़ा. स्कूल, फ्री बिजली , फ्री पानी, वाईफाई और सीसीटीवी को अपने काम का आधार बनाया.
हालांकि बीजेपी ने विकास के दावे को हवा हवाई बताकर केजरीवाल को घेरने की कोशिश की. मनोज तिवारी से लेकर प्रवेश वर्मा तक स्कूलों का वीडियो लेकर सामने आये लेकिन केजरीवाल के दावे पर दिल्ली ने ज्यादा एतबार किया और स्थानीय मुद्दे पर ही वोट किया.
करीब दो महीने से दिल्ली के शाहीनबाग में धरना चल रहा है. आरोप लगाये गये कि इस धरने के पीछे अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी है. पीएम मोदी ने भी कड़कड़डूमा की रैली में शाहीनबाग को मुद्दा बनाने की कोशिश की. गृह मंत्री अमित शाह ने तो पहली चुनावी रैली से ही शाहीनबाग को मुद्दा बनाया और करंट पहुंचाने वाला चर्चित बयान तक दिया. मोदी और अमित शाह ने शाहीनबाग के सहारे बीजेपी को जिताने की कोशिश की तो बीजेपी के कपिल मिश्रा, बग्गा, प्रवेश वर्मा जैसे नेता भी शाहीनबाग को प्रचार के मैदान में ले आये. लेकिन बड़ी ही बारीकी से अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे से खुद को अलग रखा और इसका फायदा वो उठा ले गये.
बीजेपी के उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने चुनाव को हिंदुस्तान बनाम पाकिस्तान बताने की कोशिश की. बीच चुनाव में जब पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने ट्वीट करके बीजेपी को हराने की अपील की तो बीजेपी के नेताओं ने इसे मुद्दा बनाकर घेरना शुरू किया. लेकिन केजरीवाल ने पाकिस्तान को हिंदुस्तान के मामले में दखल नहीं देने वाला बयान देकर दिल्ली के वोटरों का दिल जीत लिया और पाकिस्तान वाला ये कार्ड वहीं फेल हो गया.