Delhi Election Result 2020: एक अच्छे छात्र से ब्यूरोक्रेट, ब्यूरोक्रेट से आंदोलनकारी, आंदोलनकारी से राजनेता और अब राजनेता से सफल राजनेता. इस ट्रांसफॉर्मेशन का नाम अरविंद केजरीवाल है. अरविंद केजरीवाल के चेहरे की बदौलत आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में जीत की हैट्रिक लगाई है. लगातार दूसरी बार AAP ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है. 2015 में 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी और इस बार 63 सीट पर जीत की ओर है. पूरे चुनाव पर नजर डालें तो अरविंद केजरीवाल अपने एजेंडे और मकसद से नहीं हटे और यही वजह रही कि बीजेपी-कांग्रेस को नकार कर दिल्ली ने उन्हें सिर माथे पर बैठाया.

हरियाणा के हिसार में एक साधारण परिवार में जन्में केजरीवाल पढ़ाई में अव्वल रहे. उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद टाटा स्टील में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी की. तीन साल तक नौकरी करने से ऊब जाने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा की तैयारी शुरू की. साल 1995 में उन्होंने आईआरएस ज्वाइन कर लिया. इस दौरान सोशल सर्विस का काम चलता रहा. उन्होंने पीडीएस (राशन वितरण प्रणाली) में बड़े स्तर पर मौजूद भ्रष्टाचार का खुलासा किया. उनकी छवि एंटी करप्शन एक्टिविस्ट की बनी. केजरीवाल ने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के साथ कोलकाता में भी काम किया.

इस बार के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर कहा था कि अगर हमारा मकसद पैसा कमाना होता तो हम आज इनकम टैक्स में रहते और राजनीति में नहीं आते. उनका इशारा सिस्टम के भीतर मौजूद भ्रष्टाचार की ओर था.

इनकम टैक्स विभाग में अस्सिटेंट कमिश्नर रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम शुरू की. 1999 में परिवर्तन नाम की संस्था बनाई. इसी दौरान केजरीवाल की मुलाकात मनीष सिसोदिया से हुई. नौकरी के दौरान केजरीवाल काफी समय तक लीव (छुट्टी) पर भी रहे. अरविंद केजरीवाल ने 2006 में ज्वाइंट इनकम टैक्स कमिश्नर की नौकरी छोड़ दी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से जुड़ गए. नौकरी के दौरान ही अरुणा रॉय, गोरे लाल मनीषी और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर, उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के लिए अभियान शुरू किया. साल संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित हुआ. आरटीआई कानून लागू कराने की दिशा में किए गए प्रयासों को लेकर केजरीवाल को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किए गया.

साल 2010 में अरविंद केजरीवाल के जीवन की सबसे अहम कड़ी रही. यही से उनके राजनेता बनने की पटकथा लिखनी शुरू हो गई. केजरीवाल 2010 में समाजसेवी अन्ना हजारे के करीब आए और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम शुरू कर दी. इसी दौरान मनमोहन सिंह का दूसरा कार्यकाल चल रहा था और आए दिन भ्रष्टाचार के आरोप लग रह थे. इस दौरान अन्ना हजारे के नेतृत्व में केजरीवाल ने जनलोकपाल आंदोलन की नींव डाली. देश के कोने-कोने से दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रहे इस आंदोलन को समर्थन मिला. केजरीवाल और अन्ना कई दिनों तक अनशन पर रहे. सरकार लोकपाल कानून लाने को लेकर मजबूर हुई.

आंदोलन के बाद अन्ना हजारे की कोर टीम में फूट पड़ गई. अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल में दूरी बढ़ी. नवंबर 2012 में आम आदमी पार्टी के गठन का एलान किया और वैकल्पिक राजनीति की बात की. साधारण वेशभूषा में रहना, नीली वैगनआर 10 कार से चलना और भ्रष्टाचार विरोधी छवि को लोगों ने पसंद किया. मफलर मैन के नाम से उन्हें पुकारा जाने लगा. 2013 के विधानसभा चुनाव AAP ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की. AAP ने कांग्रेस के साथ मिलकर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बना ली. अरविंद केजरीवाल को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा कि जिस कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन किया उसी के साथ सरकार बना ली. फिर उन्होंने 47 दिन तक सरकार चलाने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

दिल्ली में फिर 2015 के विधानसभा चुनाव कराए गए और इस चुनाव में उन्होंने ऐतिहासिक सफलता हासिल की. आम आदमी पार्टी (आप) को 70 में से 67 सीटों पर जीत मिली. करीब 15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस खाता खोलने में भी नाकामयाब रही और तब मोदी लहर के बावजूद बीजेपी मात्र 3 सीट पर सिमट गई. इसी तरह की जीत AAP को फिर मिली है.