नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली करारी मात के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समीक्षा बैठक करेगी. बैठक आज सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा. मन मुताबिक परिणाम न आने के बाद पार्टी हार के कारणों के बारे में पता लगाने में जुट गई है. इस बैठक में प्रत्याशियों के अलावा प्रदेश पदाधिकारी शामिल होंगे. बैठक में मंडल अध्यक्षों को भी बुलाया गया है. बैठक में दिल्ली चुनाव से जुड़े बीजेपी के केंद्रीय नेता भी शामिल होंगे.


वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी नेताओं ने शुरूआती दौर की समीक्षा की और पार्टी सूत्रों ने कहा कि चुनाव में बीजेपी के मत प्रतिशत में वृद्धि होने के बावजूद मुकाबले के 'द्विध्रुवी' हो जाने के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा.


आठ प्रतिशत ज्यादा वोट मिले


बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और महासचिव (संगठन) बी एल संतोष से गुरुवार को मुलाकात की. पार्टी मुख्यालय में हुई यह बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली.


सूत्रों के अनुसार, बैठक में नेताओं ने महसूस किया कि पार्टी पूरे जोश के साथ चुनाव लड़ी और इसके परिणामस्वरूप उसके और उसके सहयोगियों के मतों में आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई. लेकिन चुनाव के 'द्विध्रुवी' हो जाने के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस कभी दिल्ली में प्रमुख पार्टी होती थी लेकिन इस बार वह मुकाबले में कहीं नहीं थी.


कांग्रेस नहीं खोल पाई खाता


अरविंद केजरीवाल नीत सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों में से 62 सीटें जीतीं जबकि शेष आठ सीटें बीजेपी के खाते में गयी. कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी. अपने सहयोगियों के साथ बीजेपी को मिले मत प्रतिशत बढ़कर करीब 40 हो गए. वहीं आप का मत प्रतिशत लगभग 53.5 प्रतिशत रहा जो पिछले विधानसभा चुनावों के लगभग समान है.


बैठक में महसूस किया गया कि भविष्य में, पार्टी को राष्ट्रीय राजधानी में द्विध्रुवी मुकाबले के लिए खुद को तैयार करना चाहिए. बीजेपी ने विभिन्न निर्वाचन क्षेत्र में अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए शुक्रवार को दिल्ली इकाई के कार्यालय में बैठकों की योजना बनाई है.


पार्टी के हारने वाले उम्मीदवारों, विभिन्न क्षेत्रों के प्रभारियों, सांसदों, दिल्ली इकाई के पदाधिकारियों और अन्य लोगों के साथ अलग अलग बैठकें की जाएंगी. पार्टी की दिल्ली इकाई इन बैठकों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करेगी जो केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी जाएगी.


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