दिल्ली चुनाव: CAA विरोधी माहौल को भुनाने की तैयारी में कांग्रेस, कहा- सरकार बनी तो नहीं लागू होने देंगे CAA, NPR, NRC
साफ है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कांग्रेस का आक्रामक रुख मुस्लिम वोटबैंक को साधने की कवायद है. दिल्ली में विधानसभा की आठ सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम समुदाय बहुमत में है.
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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी, एनपीआर को लेकर जारी देशव्यापी बहस और राजनीति का मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी गर्म रहेगा. दिल्ली में सीएए विरोधी माहौल को भुनाने के लिए कांग्रेस ने एक बड़ा दांव चलते हुए एलान किया है कि अगर वो दिल्ली की सत्ता में आई तो नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए और मौजूदा प्रारूप में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर लागू होने नहीं देगी. साथ ही एनआरसी भी नहीं होने देगी. दिल्ली कांग्रेस ने कहा है कि ये उनके घोषणापत्र का अहम एलान होगा. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बनी कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के प्रमुख अजय माकन ने रविवार को ये एलान किया.
इसके साथ ही कांग्रेस ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार से मांग की है कि वो इस मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए. दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि सीएए, एनआरसी के खिलाफ दिल्ली में इतना कुछ हो रहा है लेकिन मुख्यमंत्री चुप क्यों हैं? केजरीवाल सरकार दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सीएए, एनआरसी, एनपीआर को लेकर अपना रुख साफ करे.
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि "सीएए असंवैधानिक है. केजरीवाल हर छोटी बात पर विधानसभा का सत्र बुलाते हैं लेकिन जामिया मिल्लिया के छात्रों पर हुए अत्याचार के मुद्दे पर विधानसभा का सत्र क्यों नहीं बुला रहे?" माकन ने आरोप लगाया कि केजरीवाल बीजेपी की 'बी टीम' हैं. उन्होंने कहा कि संसद में अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा हो या दूसरे मुद्दे केजरीवाल बीजेपी की 'बी टीम' की तरह दिखते हैं. आम आदमी पार्टी दूसरे राज्यों में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर सेक्युलर वोट का बंटवारा करने की कोशिश करती है.
साफ है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कांग्रेस का आक्रामक रुख मुस्लिम वोटबैंक को साधने की कवायद है क्योंकि ये वोटर पिछले विधानसभा चुनाव में उनसे छिटक कर आम आदमी पार्टी के पास चला गया था. संसद में आम आदमी पार्टी ने भी इस बिल का विरोध किया था और मुस्लिम बहुल इलाकों में आप के स्थनीय नेता भी विरोध प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं. लेकिन आरोप लग रहे हैं कि इस मुद्दे पर खुद केजरीवाल का रवैया ढुलमुल है. दूसरी तरफ बीजेपी सीएए के समर्थन मे अभियान चला रही है.
आपको बता दें कि दिल्ली में विधानसभा की आठ सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम समुदाय बहुमत में है. वहीं दूसरी कई सीटों पर भी इस वोट बैंक से जीत-हार तय होती है. मुस्लिम इलाकों में सीएए के खिलाफ नाराजगी है. जामिया, सीलमपुर में बड़े प्रदर्शन भी हुए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि इस मुद्दे का असर विधानसभा चुनाव में पड़ेगा. हालांकि इसका असर कितना होगा ये भविष्य ही बताएगा.
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