Manish Sisodia Bail Petition: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की दूसरी जमानत याचिका का विरोध करते हुए महत्वपूर्ण दावा किया है. ईडी ने ट्रायल कोर्ट में सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि मनीष सिसोदिया ही उस शराब नीति को बनाने के लिए जिम्मेदार थे, जिससे घोटाले को अंजाम दिया गया.


केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि मनीष सिसोदिया मुख्य कड़ी थे और उनके बगैर आबकारी नीति भ्रष्टाचार होता ही नहीं. इसलिए उन्हें जमानत देना बिल्कुल ठीक नहीं है. सिसोदिया के वकील ने मुकदमे में हो रही देरी को आधार बनाकर जमानत देने की अर्जी लगाई थी, जिस पर ईडी के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने बताया कि जो भी देरी है, वो आरोपी की वजह से ही हो रही है.


मनीष सिसोदिया ने 90 से ज्यादा बार लगाया जमानत का आवेदन


केंद्रीय एजेंसी ने बताया कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष‌ सिसोदिया की तरफ से लगातार जमानत की मांग करना मुकदमे में देरी की वजह है. उनकी तरफ से करीब 90 से ज्यादा आवेदन दायर किए गए हैं.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक,  ईडी के वकील ने कहा कि शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मनीष सिसोदिया के बिना संभव ही नहीं था. ईडी के आरोपों के मुताबिक पुरानी शराब नीति में जो कमीशन फीस 5 फीसदी थी, उसे नई शराब नीति में बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया था. इसकी वजह से होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर्स ने 581 करोड़ रुपये की निश्चित फीस अर्जित की. 


इस तरह से शराब नीति भ्रष्टाचार को दिया गया अंजाम


नई शराब नीति की वजह से होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर्स ने 338 करोड़ रुपए ज्यादा मुनाफा कमाया था और इसी के आधार पर  सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था. हुसैन ने यह भी तर्क दिया कि सबूत नष्ट कर दिए गए हैं. ईडी ने कहा, "विजय नायर सिसोदिया के निर्देशों के तहत और पूरे विश्वास के साथ काम कर रहा था."


बता दें, इससे पहले ईडी ने ये भी कहा था कि विजय नायर साउथ ग्रुप और आम आदमी पार्टी के बीच शराब नीति को लेकर हो रही डील में बिचौलिए की भूमिका निभा रहा था. इन तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 18 अप्रैल तक बढ़ा दी है.


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