Arvind Kejriwal Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 अप्रैल, 2024) को लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल किया. देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस दौरान जांच एजेंसी से इसका जवाब भी मांगा. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से गिरफ्तारी के समय से जुड़े सवाल का जवाब देने के लिए कहा.
बेंच की ओर से कहा गया, ‘‘जीवन और स्वतंत्रता बेहद महत्वपूर्ण हैं. आप इससे इनकार नहीं कर सकते.’’ बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से इसके अलावा कुछ और सवाल भी पूछे. मामले की अगली सुनवाई के दौरान एसवी राजू को इन पांच सवालों के जवाब देने पड़ेंगे:
- न्यायिक कार्यवाही के बिना क्या आप आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं...मामले में अभी तक कुर्की की कोई कार्रवाई नहीं हुई है और अगर हुई है तो बताएं कि अरविंद केजरीवाल इसमें कैसे शामिल हैं?
- आप नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से जुड़े मामले में पक्ष और विपक्ष में निष्कर्ष हैं - हमें बताएं कि अरविंद केजरीवाल मामला कहां है?
- प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत सीमा (जो अभियुक्त पर नहीं बल्कि अभियोजन पक्ष पर डालती है) काफी ऊंची है, जबकि धारा 45 के तहत जिम्मेदारी अभियुक्त पर आती है. ऐसे में इसकी व्याख्या कैसे करें? क्या हम सीमा को बहुत ऊपर बनाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि मानक समान हो?
- कार्यवाही शुरू करने और गिरफ्तारी वगैरह की कार्रवाई के बीच समय का फर्क.
- गिरफ्तारी की टाइमिंग, जो कि लोकसभा चुनाव 2024 के ऐन पहले की है.
अरविंद केजरीवाल केस की अगली सुनवाई तीन मई को
दरअसल, बेंच ने जांच एजेंसी से आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख पर जवाब देने के लिए कहा जिसमें उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी को चुनौती दी है. केस की अगली सुनवाई शुक्रवार (तीन मई, 2024) को होने की संभावना है.
तिहाड़ जेल में बंद हैं आम आदमी पार्टी के संयोजक
मामले में 21 मार्च को गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को ईडी को नोटिस जारी किया था और अरविंद केजरीवाल की याचिका पर उससे जवाब मांगा.
समन नजरअंदाज करने पर क्या बोला था उच्च न्यायालय?
उच्च न्यायालय ने इससे पहले नौ अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कोई अवैधता नहीं थी और बार-बार जारी समन को नजरअंदाज करने और जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ईडी के पास ‘कम विकल्प’ बचा था. यह मामला दिल्ली सरकार की अब निरस्त की जा चुकी आबकारी नीति (2021-22 के लिए) के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है.
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