Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 जुलाई) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत दी. हालांकि, केजरीवाल का जेल से बाहर आने का रास्ता साफ नहीं हो पाया है, क्योंकि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जरिए दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिली है. केजरीवाल को सीबीआई ने भी कथित भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था, जिसके चलते वह अभी जेल में रहने वाले हैं. 


जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी. पीठ ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तारी की जरूरत से संबंधित सवालों को बड़ी बेंच को भेज दिया. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की गिरफ्तारी की शक्ति और शराब नीति से संबंधित तीन सवाल तय किए और कहा कि केजरीवाल को 10 मई के आदेश की शर्तों के अनुसार अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा. 


केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा? 


फैसले को पढ़ते हुए जस्टिस खन्ना ने इस बात को माना कि गिरफ्तारी के लिए विश्वास करने की वजह पीएमएलए के सेक्शन 19 के मापदंडों के आधार पर हैं, जो ईडी अधिकारियों को अरेस्ट की शक्ति भी देता है. जस्टिस खन्ना ने कहा, "हालांकि, ऐसा कहने के बाद भी हम एक अन्य मुद्दे को उठा रहे हैं, जो गिरफ्तारी की जरूरत से जुड़ा है. हमें लगता है कि इस मुद्दे को कि क्या सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तारी को जरूरी माना जाना चाहिए. हमने इन सवालों को बड़ी बेंच को भेजा है."


जस्टिस ने कहा, "हमने ये भी माना है कि सिर्फ पूछताछ से आपको गिरफ्तारी की इजाजत नहीं मिल जाती है. सेक्शन 19 के अंतर्गत इसका कोई आधार नहीं है." मामले को बड़ी बेंच को भेजने के दौरान वर्तमान पीठ ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी. पीठ ने माना कि केजरीवाल लंबे समय से जेल में रह चुके हैं. पीठ ने स्पष्ट किया कि अंतरिम जमानत के सवाल को बड़ी पीठ द्वारा संशोधित किया जा सकता है.


जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र: सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "जैसा कि हम मामले को बड़ी बेंच को भेज रहे हैं. हमने विचार किया है कि क्या अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलनी चाहिए. यहां इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र होता है. केजरीवाल पहले ही 90 दिनों की कैद में रह चुके हैं. इन सवालों पर एक बड़ी बेंच के जरिए गहन विचार की जरूरत है. फिलहाल हम निर्देश देते हैं कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए."


पीठ ने आगे कहा, "हम इस बात को जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल चुने हुए नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. ये एक ऐसा पद है, जो महत्वपूर्ण और प्रभावशील होता है. हमने आरोपों का हवाला दिया है. क्या कोई अदालत किसी निर्वाचित नेता को पद छोड़ने या फिर मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में काम नहीं करने का निर्देश दे सकती है. हम इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दे रहे हैं, क्योंकि हमें इस पर संदेह है. हम इसका फैसला अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं."


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