Arvind Kejriwal: क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी का डर सता रहा है? कड़ाके की ठंड में जैसे ही केजरीवाल के पास ईडी का तीसरा नोटिस पहुंचा, तो राजनीतिक तापमान इतनी तेजी से चढ़ा कि बयानों से लेकर एक्शन तक में गर्मी दिखाई देने लगी. बुधवार रात से केजरीवाल की पूरी पार्टी एक्टिव हो गई. केजरीवाल के मंत्री ट्विटर पर दावा करने लगे कि ईडी की पूरी कवायद लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल को गिरफ्तार करने की है.
गुरुवार (4 जनवरी) सुबह होते ही सीएम केजरीवाल भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो गिरफ्तारी वाली बात दोहराई, जबकि बीजेपी इन दलीलों को बचने का हथकंडा बता रही है. गुरुवार सुबह जब दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो करीब 4 मिनट की पीसी में केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी झूठे आरोप लगाकर उनकी ईमानदारी पर चोट कर रही है. जबकि बीजेपी पूछ रही है कि अगर आपने कुछ गलत नहीं किया तो फिर सवालों के जवाब देने से डर काहे का है.
गिरफ्तारी की जताई गई आशंका
3 जनवरी यानि बुधवार को केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने शराब नीति मामले में तीसरा नोटिस भेजा था और नोटिस भेजने के कुछ घंटों बाद ही आम आदमी पार्टी के मंत्री सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने ट्वीटर पर लिखना शुरू कर दिया था कि गुरुवार सुबह केजरीवाल के घर पर ईडी की रेड होगी और उनकी गिरफ्तारी की संभावना है. आम आदमी पार्टी ने नोटिस को साजिश का हिस्सा बताया जबकि बीजेपी की फौज पूरी ताकत के साथ केजरीवाल पर हमलाकर हो गई.
अब सवाल ये है कि क्या तीसरे नोटिस के बाद केजरीवाल वाकई गिरफ्तार हो सकते थे? क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी का सिर्फ माहौल बनाया जा रहा था? क्या केजरीवाल को गिरफ्तारी का डर सता रहा है? ऐसे नोटिस आने के बाद एक सीएम को गिरफ्तार करने की प्रक्रिया क्या है? इन तमाम सवालों का जवाब हम बारी-बारी जानेंगे लेकिन सबसे पहले ये जान लेते हैं कि केजरीवाल को आखिर ईडी ने नोटिस क्यों भेजा?
ईडी का नोटिस क्यों मिला?
शराब घोटाले को लेकर केजरीवाल पर पांच आरोप लगे हैं.
- ईडी के मुताबिक जांच में सामने आया है कि शराफ माफिया से आम आदमी पार्टी को 338 करोड़ रुपए मिले हैं. पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल हैं इसलिए उनसे पूछताछ जरूरी है.
- आबकारी घोटाले के आरोपी समीर महेंद्रू ने बताया कि उसकी मुलाकात केजरीवाल से हुई थी.
- नई एक्साइज पॉलिसी को लेकर केजरीवाल के घर पर बैठक हुई थी.
- केजरीवाल की मंजूरी से मुनाफे का मार्जिन 6 फीसदी से लेकर 12 फीसदी हुआ.
- नई एक्साइज पॉलिसी को लेकर सीएम ने कैबिनेट बैठक बुलाई थी.
बीजेपी केजरीवाल पर तीखे हमले कर रही है जबकि केजरीवाल ईडी के नोटिस को ही गैरकानूनी बता रहे हैं.
ईडी को केजरीवाल ने क्या जवाब दिया?
ईडी के नोटिस पर केजरीवाल ने अपना जवाब भी भेजा है. इस जवाब में केजरीवाल ने क्या कहा है वो जानिए. इसमें केजरीवाल ने कहा है कि वो दिल्ली में राज्यसभा चुनाव में व्यस्त हैं. 26 जनवरी की तैयारियों को लेकर व्यस्तता है. उन्होंने कहा है कि ईडी की तरफ से सवालों की लिस्ट भेजी जाएगी, तो वह उनका जवाब देंगे. केजरीवाल ने कहा है कि मुझे आश्चर्य है कि आपने मेरी आपत्तियों का जवाब नहीं दिया और पहले नोटिस से मिलता-जुलता नोटिस फिर से भेज दिया. ईडी का व्यवहार मनमाना और गैर पारदर्शी है.
क्या गिरफ्तार हो सकते हैं केजरीवाल?
बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच बयानों का युद्ध छिड़ा हुआ है लेकिन अब सवाल ये है कि क्या एक सिटिंग सीएम को इस तरह से नोटिस भेजकर गिरफ्तार किया जा सकता है? एक सीएम की गिरफ्तारी के लिए किस तरह की संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है और सीएम केजरीवाल के पास क्या विकल्प मौजूद थे?
संविधान के मुताबिक सिविल और आपराधिक दोनों ही तरह के मामलों में गिरफ्तारी ना होने का कवच देश में सिर्फ राष्ट्रपति और राज्यपाल को ही मिला हुआ है. आपराधिक मामला होने पर भी राष्ट्रपति और राज्यपाल को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, जबकि सीआरपीसी के तहत कोई भी जांच एजेंसी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है, अगर कोर्ट से उसके खिलाफ अरेस्ट वारंट निकला हो. गिरफ्तारी तभी हो सकती है जब आरोपी के भाग जाने या फिर उस पर सबूत नष्ट करने का शक हो.
कानून के जानकारों के मुताबिक सीएम केजरीवाल के बार-बार पेश नहीं होने पर ईडी उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर सकती है. अगर सीएम केजरीवाल आगे पेश नहीं होते हैं तो जांच अधिकारी आवास पर जाकर पूछताछ कर सकते हैं. ठोस सबूत होने पर या सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं. मतलब ये कि ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार है.
केजरीवाल के पास गिरफ्तारी से बचने के क्या विकल्प हैं?
दिल्ली सीएम केजरीवाल वारंट जारी होने के बाद कोर्ट जा सकते हैं. एडवोकेट की मौजूदगी में जांच में सहयोग का वादा कर सकते हैं. इस पर कोर्ट ईडी को उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दे सकती है. हालांकि ये पहली बार नहीं जब आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका जताई है. केजरीवाल को पहला नोटिस 2 नवंबर को भेजा गया था. दूसरा नोटिस केजरीवाल को 21 दिसंबर को भेजा गया और तीसरा नोटिस 3 जनवरी को केजरीवाल के पास पहुंचा.
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने 2 नवंबर को भी केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका जताई थी. केजरीवाल ईडी के तीसरे नोटिस को लोकसभा चुनाव में उन्हें रोकने की साजिश का हिस्सा बता रहे हैं और अब विपक्ष का इंडिया गठबंधन भी इस पर प्रतिक्रिया दे रहा है.
मोहल्ला क्लिनिक घोटाले का खुलासा
वहीं, केजरीवाल के सिर पर सिर्फ एक आफत नहीं है. जवाब सिर्फ आबकारी नीति पर हुए घोटाले पर नहीं मांगा जा रहा बल्कि अब तो मोहल्ला क्लीनिक के मुद्दे पर भी बीजेपी केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है. आरोप है कि मोहल्ला क्लीनिग में चार घंटे के भीतर 500 से ज्यादा मरीजों का टेस्ट हुआ है. करीब 8 साल पहले साल 2015 में सीएम केजरीवाल ने दिल्ली की गरीब जनता को मोहल्ला क्लीनिक नाम का सपना दिखाया था.
कम दामों में महंगे टेस्ट, मुफ्त इलाज और दवाइयां, दिल्ली वासियों के लिए ये एक बहुत बड़ी सौगात थी. लेकिन बीजेपी मोहल्ला क्लीनिक में बड़े घोटाले का आरोप लगा रही ही. दिल्ली की मोहल्ला क्लीनिक में होने वाले पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी टेस्ट के नाम पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा है. आरोपों के मुताबिक प्राइवेट लैब्स को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसे मरीजों के नाम पर टेस्ट किए जा रहे हैं जिनका कोई वजूद ही नहीं है. इन मरीजों को घोस्ट पेशेंट का नाम दिया गया है.
असल में ये मामला तब खुला जब 23 दिसंबर को विजिलेंस डिपार्टमेंट ने उपराज्यपाल को एक रिपोर्ट सौंपी. इसमें मोहल्ला क्लीनिक में चल रहे फर्जीवाड़े की बात लिखी थी. उसके बाद उपराज्यपाल ने स्वास्थ विभाग की एक टीम को जांच के आदेश दिये थे और अब केजरीवाल सरकार की मोहल्ला क्लीनिक्स में होने वाले टेस्ट को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.
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