Supreme Court On Fire Crackers Ban: दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (13 सितंबर को सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने दलील दी कि ग्रीन क्रैकर के उत्पादन और बिक्री को लेकर गाइडलाइन तैयार की जा चुकी है.


वहीं एक वकील ने दिल्ली समेत कुछ राज्यों में पटाखों पर पूरी तरह रोक लगाए जाने का मसला उठाया. कोर्ट ने जवाब में कहा कि जहां सरकार की तरफ से बैन लगाया गया है, हम उसमें दखल नहीं देंगे. आप त्यौहार मनाने के दूसरे तरीके अपनाओ.


दरअसल दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सर्दियों में प्रदूषण पर अंकुश लगाने की कार्ययोजना के तहत पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है. 


क्या दलील दी गई?
सांसद और बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने  दिल्ली में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की आलोचना करते हुए जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ को बताया कि हरित पटाखों को अदालत की मंजूरी के बावजूद ऐसा किया गया है.


कोर्ट ने मनोज तिवारी की दलील पर उनके वकील से कहा कि लोगों का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, जहां सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है, वहां इसका मतलब पूर्ण प्रतिबंध है. आपको पटाखे फोड़ने हैं तो वहां जाओ जहां पर कि बैन नहीं है.  


मनोज तिवारी से कोर्ट ने क्या कहा?
बेंच ने उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से सांसद मनोज तिवारी से कहा, ‘‘आप लोगों को समझाएं कि वे पटाखे न जलाएं. यहां तक कि चुनाव के बाद विजय जुलूस के दौरान भी पटाखे नहीं फोड़ने चाहिए. जीत का जश्न मनाने के और भी कई तरीके हैं. ’’


मामला क्या है?
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार (11 सितंबर) को बताया कि सर्दियों में प्रदूषण के स्तर को कम करने की कार्ययोजना के तहत सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर फिर से प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है.


राय ने कहा कि दिल्ली पुलिस को शहर में यह प्रतिबंध लागू करने के सख्त निर्देश जारी किए जाएंगे. दिल्ली सरकार पिछले दो साल से सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाती आ रही है. ये लगातार तीसरा साल है. 


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