नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के बीचों बीच स्थित रानी झांसी रोड पर एक फैक्ट्री में रविवार सुबह भीषण आग लग गई. इसमें 43 लोगों की अब तक मौत हो गई है और 16 लोग घायल हैं. घटना के बारे में सुनते ही फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिकों के परिजन यहां पहुंच गए हैं. परिवार वाले यहां अपने लोगों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. सभी झुलसे हुए लोगों और मृतकों को आरएमएल अस्पताल, एलएनजेपी और हिंदू राव अस्पताल ले जाया गया है, जहां लोग अपने रिश्तेदारों को ढूंढने के लिए चक्कर काट रहे है. पुलिस के अनुसार उत्तरी दिल्ली में रविवार सुबह लगी इस भीषण आग में 43 लोगों की जान चली गई और कई घायल हुए हैं. इनमें से अधिकतर श्रमिक हैं.


एलएनजेपी में अपने ससुर जसीमुद्दीन (56) और अपने अन्य रिश्तेदार फैसक खाक (25) को ढूंढने पहुंचे मोहम्मद ताज अहमद (40) ने कहा कि उन्हें सुबह-सुबह दोनों के आग में फंसने की जानकारी मिली. उन्होंने कहा, ‘‘वे अनाज मंडी इलाके में कपड़े की एक फैक्ट्री में काम करते थे. मैं अनाज मंडी पहुंचा लेकिन पुलिस प्रतिबंध और बचाव अभियान जारी होने के कारण अपने रिश्तेदारों को नहीं ढूंढ पाया. इसके बाद में एलएनजेपी गया लेकिन पुलिस और अस्पताल के कर्मचारियों ने कुछ नहीं बताया.’’


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मोहम्मद ताज अहमद ने कहा कि आखिरी बार उनसे कल दोपहर तीन बजे बात हुई थी लेकिन अब कोई फोन नहीं उठा रहा है. मोहम्मद आसिफ ने कहा कि उनके रिश्ते के भाई इमरान (32) और इकरम (35) थैले बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे और हादसे में झुलस गए. दोनों उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं भजनपुरा में रहता हूं. सुबह करीब छह बजे मुझे मुरादाबाद से मेरे भाईयों के घायल होने की जानकारी देने के लिए फोन आया. मैं अनाज मंडी पहुंचा लेकिन पुलिस की भारी तैनाती की वजह से उन्हें कहीं ढूंढ नहीं पाया. पुलिस ने हमें बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया है लेकिन किस अस्पताल यह नहीं पता. हमने यहां (एलएनजेपी) उन्हें ढूंढा, लेकिन उनको यहां लाए जाने की पुष्टि नहीं हो पाई है.’’


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बिहार के बेगूसराय के रहने वाले 23 वर्षीय मनोज ने बताया कि उनका 18 साल का भाई इस ‘हैंडबैग’ बनाने वाली इकाई में काम करता है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे भाई के दोस्त से मुझे जानकारी मिली कि वह इस घटना में झुलस गया है. मुझे कोई जानकारी नहीं है कि उसे किस अस्पताल में ले जाया गया है.’’ वहीं, एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, ‘‘कम से कम इस इकाई में 12-15 मशीनें लगी हुई हैं. मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि फैक्ट्री मालिक कौन है.’’ व्यक्ति ने कहा, ‘‘मेरे संबंधी मोहम्मद इमरान और इकरमुद्दीन फैक्ट्री के भीतर ही थे और मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि अब वे कहां हैं.’’


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