नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली की एक फैक्टरी में आग लग जाने से मारे गये लोगों के शवों को घर ले जाने के लिए सोमवार को उनके रिश्तेदारों की यहां मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के मुर्दाघर के बाहर भीड़ लगी रही. वहीं, मामले की पुलिस जांच ने थेजी पकड़ ली है।


इस बीच, शहर की एक अदालत ने अनाज मंडी इलाके की संकरी गली में स्थित इस चार मंजिला इमारत के मालिक और प्रबंधक को सोमवार को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने उनसे हिरासत में पूछताछ करने की पुलिस की याचिका स्वीकार कर ली.


इमारत में रविवार सुबह भीषण आग लग जाने के कारण 43 लोगों की मौत हो गई थी और 16 अन्य घायल हो गए थे.


अदालत ने कहा कि घटना की विभीषिका को देखते हुए इसकी बहुआयामी जांच की जरूरत है और इसलिए आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की जरूरत है.


पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 285 (आग के संदर्भ में लापरवाह रवैया अपनाने के लिए) के तहत मामला दर्ज किया था। यह मामला अपराध शाखा के पास भेज दिया गया है.


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस भीषण घटना को लेकर दिल्ली सरकार, शहर के पुलिस प्रमुख और उत्तरी एमसीडी से छह हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.


आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त को नोटिस जारी किए हैं.


दिल्ली सरकार ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया है और सात दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है.


दिल्ली अग्निशमन सेवा के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह इसी इमारत में फिर से आग भड़क गई. इमारत के अंदर रखी कुछ चीजों में आग लगी. काफी कोशिशों के बाद आग पर काबू पा लिया गया.


दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने घटना की जांच में सोमवार को थ्री डी लेजर स्कैन तकनीक का प्रयोग करते हुए साक्ष्य जुटाए.


फॉरेंसिक लैब की एक टीम घटनास्थल पर पहुंची और चार मंजिला इमारत से नमूने इकट्ठा किए. इस इमारत में कई सारी निर्माण इकाइयां हैं और वहां गत्ते, प्लास्टिक सीटें और रैक्सिन जैसी कई चीजें रखी हुई थी.


यह दूसरा मौका है, जब दिल्ली पुलिस जांच में थ्री डी लेजर स्कैन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. पुलिस ने फरवरी में करोल बाग के होटल अर्पित पैलेस में भीषण आग की जांच के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल किया था. यहां पर 17 लोगों की मौत हो गयी थी.


अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर अफरातफरी का माहौल देखने को मिला. इस अग्निकांड में मारे गए लोगों के शवों का वहां पोस्टमार्टम किया गया है. वहां उनके परिवार के सदस्य अपने प्रियजनों के शवों को सौंपे जाने का इंतजार कर रहे थे.


इस बीच, मृतकों के परिजनों के दबाव के आगे झुकते हुए, बिहार सरकार ने तय किया है कि राज्य के निवासियों के शव ट्रेन के बजाए सड़क मार्ग से उनके घर ले जाए जाएंगे. इससे पहले यह फैसला किया गया था कि ये शव स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के एसएलआर कोच में रखकर ले जाये जायेंगे.


पीड़ितों के परिवारों ने इस तरह की व्यवस्था पर आपत्ति प्रकट की थी और शवों को सड़क मार्ग से ले जाने का विकल्प चुना. रविवार की आग में जान गंवाने वाले 43 लोगों में से अधिकतर उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासी मजदूर थे.आग लगने के वक्त सोये रहने के कारण वे इमारत में ही फंसे रह गए थे.


तीन सगे भाइयों के नाम थी फैक्ट्री


सूत्रों के मुताबिक यह फैक्ट्री 600 गज की है, तीन सगे भाई रेहान, शान व इमरान इसके मालिक हैं. तीनो भाई बाड़ा हिंदू राव में रहते है. पुलिस का ये भी कहना है कि एक बड़ा हिस्सा खुद रेहान के पास भी था, बाकी उसने किराये पर दिया था. आग रेहान की फैक्ट्री से शुरू हुई थी. मामले की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर की गई है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और फॉरेंसिंक की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर सैम्पल्स उठाये हैं, जिससे आग की असली वजहों का पता चल सके. दिल्ली सरकार ने भी घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिये हैं.


PM मोदी सहित दिल्ली और बिहार सरकार ने किया मुआवजे का एलान


दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आग लगने की घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये और झुलसे लोगों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का एलान किया. प्रधानमंत्री मोदी ने भी घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिवारों के लिए 2-2 लाख रुपए और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपए का मुआवजा देने का एलान किया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना में बिहार के मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रूपये श्रम विभाग की तरफ से और एक-एक लाख रूपये मुख्यमंत्री राहत कोष से देने की घोषणा की है.


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