नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली में रानी झांसी रोड पर अवैध फैक्ट्री में आग लगने से 43 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में कई परिवार उजड़ गए. इस भीषण हादसे के लिए ज़िम्मेदार कौन है इसपर जमकर राजनीति हो रही है. एक दूसरे पर जमकर आरोप मढ़े जा रहे हैं. इस भयानक हादसे के बाद नेताओं ने मौके पर पहुंचकर मृतकों के परिजनों को मुआवज़े का एलान कर दिया. साथ ही एक दूसरे पर आरोपों की बौछार भी कर दी. लेकिन सवाल ये है कि दिल्ली को अग्निकुंड किसने बनाया? उन चीख़ों का ज़िम्मेदार कौन है जिसने पूरी दिल्ली को दहला दिया?


दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने इस हादसे के लिए बीजेपी शासित एमसीडी पर सारा दोष मढ़ दिया, तो वहीं बीजेपी ने इसके लिए दिल्ली सरकार को लपेटने का भरसक प्रयास किया. दिल्ली की इस दुर्दशा के लिए डीडीए के पूर्व प्लैनिंग कमिश्नर ए के जैन ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में सीधे-सीधे इसके लिए एमसीडी और दिल्ली फायर सर्विस को ज़िम्मेदार बताया. उनके मुताबिक यहां ज़्यादा ज़िम्मेदार एमसीडी है क्यूंकि उसे ये सुनिश्चित करना चाहिए था कि बिल्डिंग बनाते वक़्त बिल्डिंग बायलॉज की कहीं अनदेखी तो नहीं हुई, बिल्डिंग अवैध तो नहीं. इस इलाके का लोकल एरिया प्लान बनाया गया है कि नहीं, ये सब एमसीडी को ही देखना था.


इस गंभीर आरोप पर एमसीडी का पक्ष जानने के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर अवतार सिंह से बात की. अवतार सिंह ने इस सवाल पर कि इस बिल्डिंग में अवैध तरीके से काम चल रहा था तो उसे चेक करने की ज़िम्मेदारी किसकी थी? तो उन्होंने कहा, "चेक एमसीडी को करना था लेकिन जब भी हमारे अधिकारी वहां गए तो वहां ताला लगा रहता था." इस सवाल पर कि जिस बिल्डिंग में आग लगी वो 2005 की बिल्डिंग थी, तो तब से 2019 तक हमेशा वहां ताला मिला? अवतार सिंह इसका जवाब नहीं दे पाए.


कमिटी बैठा दी है, रिपोर्ट आएगी तो एक्शन लेंगे- एमसीडी


एमसीडी ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर ढुलमुल जवाब देते हुए कहा कि हमने कमिटी बैठा दी है, रिपोर्ट आएगी तो एक्शन लेंगे. एमसीडी के अलावा दिल्ली फायर सर्विस जो कि दिल्ली सरकार के अधीन है, उसके बचाव में दिल्ली सरकार ने सबसे पहले आगे आते हुए बयान दे डाला कि DFS ने इस बिल्डिंग को फायर NOC नहीं दिया था. ऐसे में यहां सारी ज़िम्मेदारी या गलती एमसीडी की ही है.


दिल्ली फ़ायर सर्विस ने भले ही इस बिल्डिंग को फ़ायर NOC जारी नहीं किया था लेकिन उसने अपने अधिकार क्षेत्र का सही इस्तेमाल भी नहीं किया. DFS एक्ट 2007 में दिल्ली फ़ायर सर्विस को ये अधिकार है कि वो suo moto यानि खुद ऐसी बिल्डिंग्स का मुआयना करे और वहां voilations पाने पर बिल्डिंग को सील कर दे. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया.


ऐसे हादसे न हों इसके लिए दिल्ली मास्टर प्लान 2021 से लेकर एमसीडी एक्ट 1957, दिल्ली फायर सर्विस एक्ट 2007 में सारे नियम कानून मौजूद हैं लेकिन इनका पालन नहीं कराने का ही नतीजा है उपहार सिनेमा और अनाज मंडी में अग्निकांड हुए. इस भीषण हादसे के बाद राजनीतिक दल एक दूसरे पर टोपी ट्रांसफर कर रहे है. ऐसे में ये जरूरी है कि ऐसे किसी भी हादसे के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति या संस्था की ज़िम्मेदारी तय की जाए.


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