दिल्ली को अब आधिकारिक रूप से अपना शिक्षा बोर्ड मिल गया है. दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (DBSE) को आज आधिकारिक तौर पर रजिस्टर कराया गया है. शुरुआत में एकेडमिक सेशन 2021-22 के लिये दिल्ली सरकार के 20-25 सरकारी स्कूलों को दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से एफिलिएट किया जायेगा.
इन स्कूलों का चयन स्कूल के अध्यापकों, प्रधानाचार्यों और अभिभावकों की राय लेकर किया जाएगा. दिल्ली में अभी 1000 सरकारी स्कूल हैं जबकि 1700 स्कूल प्राइवेट हैं. अभी दिल्ली में अधिकतर स्कूल CBSE से मान्यता प्राप्त हैं जबकि कुछ स्कूलों में ICSE बोर्ड की मान्यता भी है.
हाल ही में दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के गठन को मंजूरी दी गई थी. जिसके बाद बोर्ड बनाने के उद्देश्य को बताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा था कि इस बोर्ड को बनाने का मकसद हैं कि हमारे बच्चे अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा की ओर बढ़ें. इस बोर्ड की मूल्यांकन प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय स्तर की होगी. उन्होंने कहा था कि अब यह तय करने का समय आ गया है कि हमारे स्कूलों में क्या पढ़ाया जा रहा है और क्यों पढ़ाया जा रहा है.
हमारे तीन लक्ष्य हैं जो यह नया बोर्ड पूरा करेगा-
1- हमें ऐसे बच्चे तैयार करने हैं जो कट्टर देशभक्त हों. ऐसे बच्चे तैयार करने हैं जो आने वाले समय में देश मे हर क्षेत्र में जिम्मेदारी उठाने को तैयार हों चाहे कोई भी क्षेत्र हो.
2- हमारे बच्चे अच्छे इंसान बने चाहे किसी भी धर्म या जाति के हो, अमीर हो या गरीब हो. सब एक दूसरे को इंसान समझे. एक तरफ अपने परिवार की तरफ ध्यान दें तो दूसरी तरफ समाज के तरफ भी ध्यान दें.
3- बड़ी बड़ी डिग्री लेने के बाद भी बच्चों को नौकरी नहीं मिल रही लेकिन यह बोर्ड ऐसी शिक्षा प्रणाली तैयार करेगा कि बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो ताकि जब वह अपनी पढ़ाई पूरी करके निकले तो वह दर-दर की ठोकरे ना खाए बल्कि उसका रोजगार उसके साथ हो.
दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन को अन्य राज्यों के बोर्ड से अलग बताते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अभी हमारी शिक्षा प्रणाली में 3 घंटे की परीक्षा के ज़रिये हम बच्चे के पूरे साल के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते हैं, लेकिन नए बोर्ड में इस तरीके को बदलकर बच्चों का पूरे साल लगातार मूल्यांकन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली का शिक्षा बोर्ड दूसरे राज्यों के बोर्ड से काफी अलग होगा.
हमारा उद्देश्य सिर्फ यह नहीं है कि दिल्ली का एक अलग बोर्ड हो, बल्कि दिल्ली सरकार ने पिछले 6 सालों के काम के बाद एक प्रोग्रेसिव शिक्षा-परीक्षा प्रणाली की जरूरत महसूस की है, इसलिए यह बोर्ड बनाया जा रहा है. इस बोर्ड के ज़रिए बच्चों में रटने की बजाय उनमें समझने और व्यक्तित्व विकास पर बल दिया जाएगा. बोर्ड बच्चों की खूबियों को परख कर बाहर निकालेगा और उसके अनुसार उनके समग्र विकास पर शिक्षा दी जाएगी.
यह भी पढ़ें.