देश को शुक्रवार (20 अक्टूबर, 2023) को पहली रैपिडएक्स रेल की सौगात मिली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाकर दिल्ली के साहिबाबाद से ट्रेन को रवाना किया. शनिवार से आम नागरिक रैपिड रेल से सफर कर सकेंगे. समय की बचत के साथ लोगों को ट्रैफिक जाम से भी निजात मिलेगी. 30,274 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई रैपिड रेल पूरी तरह से स्वदेशी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसे अभियानों पर जोर देते रहे हैं. स्वदेशी रैपिड रेल के निर्माण से मोदी सरकार के इन अभियानों को बढ़ावा मिलेगा.


मई, 2022 में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) की रैपिड मेट्रो का सेट नेशनल कैपिट  रीजन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को सौंपा गया था. हैदराबाद में इसका डिजाइन तैयार किया गया और मैन्युफेक्चरिंग गुजरात में हुई है इसलिए यह 100 प्रतिशत शुद्ध देशी रैपिड रेल है.  


100% प्रतिशत शुद्ध देशी रैपिड रेल
एल्सटॉम कंपनी ने देश की पहली रैपिड रेल तैयार की हैं. एल्सटॉम के हैदराबाद इंजीनियरिंग सेंटर ने ट्रेन का डिजाइन तैयार किया और मैन्युफेक्चरिंग गुजरात में कंपनी की सावली साइट में हुई है, जबकि प्रोप्लशन सिस्टम एवं इलेक्ट्रिकल सिस्टम को गुजरात के ही मनेजा साइट में तैयार किया गया. मेट्रो की बोगियां और कार बॉडी सावली साइट पर ही बनाई गईं और ट्रेन की टेस्टिंग भी यहीं पर हुई है. 


फर्स्ट फेज में तैयार किए जाएंगे तीन कॉरिडोर
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के 17 किलोमीटर लंबे पहले हिस्से में गाजियाबाद, गुलधर और दुहाई स्टेशनों के जरिए साहिबाबाद को जोड़ा गया है. पीएमओ के मुताबिक, पीएम मोदी ने 8 मार्च 2019 को दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की नींव रखी थी. बयान में कहा गया कि दिल्ली एनसीआर में कुल 8 आरआरटीएस कॉरिडोर की पहचान की गई है जिसमें पहले चरण में तीन कॉरिडोर दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ, दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी-अलवर और दिल्ली-पानीपत को बनाया जाना है. इनमें से दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ तैयार हो गया है.


रैपिड मेट्रो 160 किलोमीटिर प्रति घंटा की रफ्तार से पटरी पर दौड़ेगी और हर 15 मिनट में यात्रियों को रैपिडएक्स मेट्रो स्टेशन पर मिल जाएगी. प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली से मेरठ तक के 82 किमी लंबा रूट तैयार किया जाना है, जिसमें 17 किमी का निर्माण हो चुका है और शनिवार से यात्री इसका लाभ ले सकेंगे.