Delhi Girl Dragged Case: दिल्ली के कंझावला कांड (Kanjhawala Case) में कई और चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की जांच में सामने आया है कि रविवार, 31 दिसंबर की रात की घटना के वक्त कार सवार जिन 5 युवकों ने 20 साल की एक लड़की को रौंदा था, वो लड़की स्कूटी पर अपनी दोस्त के साथ थी. एक अधिकारी ने कहा कि पहली लड़की को मामूली चोटें आईं और वह घबराकर मौके से भाग गई, जबकि दूसरी लड़की टक्कर के बाद पूरी तरह उन युवकों की कार की चपेट में आ गई. उसके पैर कार के एक्सल में फंस गए जिसके बाद उसे चलती गाड़ी से लगभग 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, जिससे लड़की की दर्दनाक मौत हुई.
इस मामले में पुलिस 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. उन आरोपियों की पहचान दीपक खन्ना (26), अमित खन्ना (25), कृष्णन (27). मिथुन (26) और मनोज मित्तल (27) के रूप में हुई है. दावा किया जा रहा है कि वे पांचों नशे में धुत थे और जो ग्रे बलेनो कार वो दौड़ा रहे थे वे उनकी नहीं थी, बल्कि उनके किसी दोस्त की थी. उन पर आरोप है कि लड़कियों की स्कूटी को टक्कर मारने के बाद उन्होंने कार रोकी नहीं बल्कि स्पीड और तेज कर दी.
एक लड़की उसी कार के एक्सल में फंस गई और इन लोगों ने उसे उसी दिशा में 12 किलोमीटर तक घसीटा. बहरहाल, इन सबकी गिरफ्तारी हो चुकी है और पुलिस की ओर से इन सभी के ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, जिससे पता चल सके कि इन्होंने नशा किया था या नहीं. वैसे पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने कई बातें कुबूल भी ली हैं.
आज होगी मृतका का अंतिम संस्कार
जान गंवाने वाली लड़की का आज अंतिम संस्कार होगा. घटना के बारे में पता चलने के बाद से ही दिल्ली के कई इलाकों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली LG वीके सक्सेना के ऑफिस पर 'आप' कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. 'आप' ने LG, पुलिस कमिश्नर और सुल्तानपुर के SHO को बर्खास्त करने की मांग की है. सोमवार (2 जनवरी) को LG ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे 'आप' कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. वहीं सुल्तानपुरी थाने के सामने मृतक लड़की के परिजनों के साथ आमजन ने प्रदर्शन किया. पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाए गए हैं.
चश्मदीद ने कहा- मैंने कार को लाश को घसीटते देखा
सुल्तानपुरी (कंझावला) कांड से जुड़े नए-नए खुलासे हो रहे हैं. एक चश्मदीद ने दावा किया है कि लड़की को कार से कुचले जाने की घटना उसने देखी. उसका कहना है कि उसने 45 मिनट तक उस कार का पीछा भी किया, जिसने लड़की को सड़क पर कई किलोमीटर तक घसीटा. दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी इलाके के लाडपुर गांव में एक डेयरी की दुकान के मालिक दीपक दहिया ने कहा, "मैं हर रात को तकरीबन 2.30 बजे दूध के डिब्बे उतारने के लिए अपने व्यवसाय के स्थान पर जाता हूं. 1 जनवरी की बात है...जो नए साल का दिन था, उस दिन मैं तड़के लगभग 3.15 बजे अपनी दुकान के बाहर खड़ा था, तभी एक कार को के गुजरने की आवाज सुनी, ऐसा लग रहा था जैसे कि उसका टायर फट गया हो. मैंने मुड़कर उस ओर देखा तो मारुति सुजुकी बलेनो कार दिखी, उसे देखते ही मैं कांप गया."
'कार की रफ्तार काफी कम थी, मैंने उसका पीछा किया'
दहिया ने कहा, "मैंने उस कार का शोर सुना. शुरू में ऐसा लगा कि उसका टायर फट गया है, लेकिन वह चलती जा रही थी. वह बमुश्किल 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थी, इसलिए मैं स्पष्ट रूप से देख सकता था कि क्या हुआ. मैंने कार के नीचे एक लड़की की लाश देखी..जो बाईं ओर के दो टायरों के बीच फंसी हुई थी. कार उसे घसीटते हुए ले जा रही थी."
बकौल दहिया, "यह देखकर मैंने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम में फोन किया. उसके बाद मैंने उस कार का पीछा करना शुरू किया, मुझे एहसास हुआ कि जो लोग उसमें सवार थे वे बहुत धीमी गति से कार चला रहे थे और लाश अभी भी कार के नीचे फंसी हुई थी. इस बीच मैं पुलिस को कॉल कर-करके मिनट-दर-मिनट अपडेट दे रहा था. मैं 45 मिनट में उन्हें 18-20 बार कॉल किया, जिनमें से एक कॉल 10 मिनट से ज्यादा चली."
'पुलिसवालों को बताया, किसी ने कार नहीं रोकी'
दहिया ने कहा, "सड़क पर आगे जब एक मोड़ आ गया तो वे लोग उस ओर मुड़ गए. मैं उन्हें पहचानन तो नहीं सका, लेकिन मैंने देखा था कि वे कुतुबगढ़ की ओर जा रहे थे. मैं लगातार उनका पीछा करता रहा." बकौल दहिया, "वे मुझसे लगभग 2 किलोमीटर आगे निकल गए और मुझे एहसास हुआ कि लाश अब कार से नहीं जुड़ी थी. यानी वह गिर चुकी थी." दहिया के मुताबिक रास्ते में उन्होंने 2 पीसीआर वैन देखी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. पुलिस का कहना है कि वे उनके एसओएस कॉल से अनजान थे. दहिया ने कहा कि बेगमपुर में उन्होंने तीसरी पीसीआर वैन में बैठे अधिकारियों को बताया कि उन्होंने क्या देखा.
'मैंने पुलिस को 18-20 बार कॉल किया था'
दहिया ने कहा, "उन्होंने (पीसीआर वैन के पुलिस अधिकारी) कार को जाने दिया, यह बड़ी लापरवारही थी." दहिया ने कहा कि कई बार बताने के बावजूद पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया कि उन कार सवारों को रोका या पकड़ा जा सके. मैं शुरू से ही कार का पीछा कर रहा था. पुलिस सक्रिय होती तो अपराधी मौके से ही पकड़ लिए जाते. मेरे पास पुलिस कंट्रोल रूम के अधिकारियों के साथ मेरी बातचीत की रिकॉर्डिंग है.
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