Delhi Gov vs LG: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Delhi LG VK saxena) ने जब से अपना पदभार संभाला है तब से ही उनके और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल के बीच छत्तीस का आंकड़ा देखा जा रहा है. इसकी वजह भी है, वीके सक्सेना ने आते ही सबसे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार कर दिया और इसके पीछे ये दलील दी कि कार्यक्रम सीएम स्तर का नहीं है, मेयर लेबल का है इसलिए सीएम इसमें शिरकत न करें. इसके बाद तो शराब नीति में भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच ने इस दूरी को और बढ़ा दिया.
बस खरीद मामले पर एलजी-केजरीवाल में छिड़ी जंग
अब नया मामला दिल्ली की केजरीवाल सरकार के 1,000 लो-फ्लोर बसों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार की जांच को उपराज्यपाल ने मंजूरी दे दी है और वीके सक्सेना ने ये शिकायत सीबीआई को भेज दी है. अब इस मामले पर विवाद गहरा गया है और दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल पर आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली को ज़्यादा पढ़े लिखे LG की ज़रूरत है, मौजूदा LG को पता ही नहीं वो कहां हस्ताक्षर कर रहे हैं.
दिल्ली सरकार ने तीखा बयान देते हुए कहा कि उपराज्यपाल पहले खुद के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब दें. उनपर आरोप है कि खादी ग्राम उद्योग आयोग का अध्यक्ष रहते उन्होंने 1400 करोड़ रुपए का घोटाला किया. इसी दौरान उन्होंने बिना टेंडर के अपनी बेटी को ठेका दिया.
LG ने नई शराब नीति को किया रद्द, भ्रष्टाचार की चल रही जांच
इससे पहले दिल्ली की नई शराब नीति के मामले पर जमकर विवाद हुआ. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति पर जांच बैठा दी और सीबीआई से नई एक्साइज पॉलिसी के तहत टेंडर प्रोसेस की जांच करने को कहा. कहा गया कि 'टेंडर में जान-बूझकर प्रक्रियागत खामियां छोड़ी गईं ताकि शराब लाइसेंसियों को अनुचित फायदा पहुंचे.' इसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की संलिप्तता बताकर उनसे पूछताछ की गई. इस मामले की जांच चल ही रही है.
दिल्ली में उपराज्यपाल की नियुक्ति के बाद से ही जारी है तनातनी
बता दें कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और यहां पर चुनी हुई सरकार के अलावा उपराज्यपाल हैं जिनके पास खास पावर निहित हैं. लेकिन सरकार और एलजी के बीच तनातनी हमेशा बनी रहती है. दिल्ली के वर्तमान एलजी विनय कुमार सक्सेना हैं, इससे पहले अनिल बैजल थे और उनसे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग थे. इनमें से किसी भी उपराज्यपाल के साथ सीएम केजरीवाल के रिश्ते अच्छे नहीं रहे और दोनों के बीच आए दिन कोई न कोई विवाद सामने आता रहा है.
2014 के कई साल पहले अटल बिहारी वाजपेई और पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने मदन लाल खुराना ने दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव के मेनिफेस्टो में बीजेपी की तरफ से दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा भी हुई थी. तब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की बात कही थी.
दिल्ली में हुए कई बदलाव
संविधान में पहले दिल्ली को यूनियन टेरिटरी के रूप में शामिल किया गया. बाद में संवैधानिक प्रावधानों में बदलाव कर 69वें संविधान संशोधन के तहत नया अनुच्छेद 239 AA जोड़ा गया जिसके तहत दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया और दिल्ली के केंद्र शासित क्षेत्र को दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र कहा जाने लगा. दिल्ली में विधानसभा भी स्थापित की गई और उपराज्यपाल के साथ चुनी हुई सरकार भी शामिल हुईं.
इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के अगस्त 2016 के निर्णय में कहा गया- “वैसे तो 1991 के बाद से ही दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित किया गया है, लेकिन उपराज्यपाल की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण है. ऐसे में किसी भी प्रस्ताव की मंजूरी से पहले उपराज्यपाल का निर्णय जरूरी है. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि दिल्ली सरकार को विधान बनाने में स्वतंत्रता की छूट दी जाए और साथ में यह भी कहा कि हर मामले में रोक-टोक जरूरी नहीं है.
इस फैसले के बाद ही दिल्ली सरकार ने दिल्ली के लिए बस में फ्री यात्रा, 200 यूनिट बिजली फ्री जैसे निर्णय लिए. The government of National capital territory of Delhi (Amendment) bill, 2021 जिसे GNCT bill 2021 कहते हैं, 15 मार्च 2021 को लोकसभा और 24 मार्च 2021 को राज्य सभा में पास हो गया. इस अधिकार को मिलने के बाद ही समय-समय पर दिल्ली सरकार और एलजी के बीच विवाद होते रहे हैं.
कब-कब और क्यों हुआ दिल्ली सरकार-एलजी के बीच टकराव
- साल 2015 से ही केजरीवाल लगातार उपराज्यपाल पर हमलावर रहे हैं. उन्होंने यहां तक शिकायत कर दी कि मुख्यमंत्री को अपने कार्यालय में तैनात चपरासी तक के तबादले का अधिकार नहीं है.
- दिसंबर 2015 में सरकार के दो विशेष सचिव के निलंबन के आदेश के खिलाफ अधिकारी एक दिन के अवकाश पर चले गए.
- सीसीटीवी कैमरे लगाने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर भी विवाद हुआ. उपराज्यपाल ने जरूरी बदलाव की सिफारिश करते हुए प्रस्ताव दिल्ली सरकार को लौटा दिया था.
- इसके बाद मुख्यमंत्री की मांग थी कि उपराज्यपाल डोर स्टेप डिलीवरी योजना को मंजूर करें. सीएम ने आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल का व्यवहार वायसराय की तरह है, उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने तक की फुर्सत नहीं.
- नजीब जंग ने दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त एमके मीणा को एसीबी का नया प्रमुख बनाया. केजरीवाल ने इस फैसले का जोरदार विरोध किया था.
- उप राज्यपाल नजीब जंग ने वीटो शक्ति का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली सरकार के गृह सचिव धर्मपाल को हटा दिया था.
- दिल्ली सरकार ने स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग (DCW) का अध्यक्ष नियुक्त किया. नजीब जंग ने पूछा- उनकी मंजूरी क्यों नहीं ली गई.
- सीबीआई ने मुख्यमंत्री कार्यालय पर छापा मारा. केजरीवाल ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नजीब जंग को जिम्मेदार ठहराया था.
- एलजी के आदेश पर एसीबी ने पानी के टैंकर घोटाले में अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
- नजीब जंग ने दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव और पीडब्लूडी सचिव को निकाल दिया. इस पर केजरीवाल ने कहा था कि पीएम मोदी जंग के माध्यम से दिल्ली को तबाह करना चाहते हैं.
- विवाद इतना बढ़ा कि मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. न्यायालय ने तब अपने फैसले में कहा कि उपराज्यपाल के पास फैसले लेने का स्वतंत्र अधिकार नहीं, वह सरकार की सलाह मानने को बाध्य है.