इन 9 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद थम सकती है दिल्ली और केंद्र की लड़ाई
दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच जारी लड़ाई की कई वजहें हैं. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र की अधिसूचनाओं को चुनौती दी है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नियमित बेंच सुनवाई कर सकती है.
नई दिल्ली: दिल्ली की केजरीवाल सरकार और उप-राज्यपाल के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी विवाद जारी है. पक्ष और विपक्ष दोनों अपने-अपने तरह से फैसले की व्याख्या कर रहे हैं. इसकी बड़ी वजह विवादित मामलों पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आना है. अदालत ने कल केवल संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या की थी. शीर्ष अदालत ने विवादों की वजह बने मामलों कहा है कि ऐसे मामलों पर नियमित बेंच सुनवाई करेगी.
अब जिन मामलों पर अलग से सुनवाई हो सकती है उनमें दिल्ली सरकार और केंद्र की कुल 9 अधिसूचनाएं हैं. पहले बात दिल्ली सरकार की तरफ से केंद्र की अधिसूचनाओं को दी गई चुनौती की. दिल्ली सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय की 2 अधिसूचनाओं को चुनौती दी है. 21 मई 2015 की अधिसूचना में दिल्ली में 'सर्विसेस' को एलजी के तहत करार दिया था. यानी दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार एलजी को दिया गया. दूसरी अधिसूचना 23 जुलाई 2014 की थी. इसमें दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को केंद्र सरकार के अधिकारियों के ऊपर मामले दर्ज करने से रोका गया था.
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने 100 करोड़ रुपए के CNG फिटिंग घोटाले में एलजी की तरफ से विशेष सरकारी वकील नियुक्त करने के आदेश को चुनौती दी. अब बात दिल्ली सरकार की उन अधिसूचनाओं की, जिनके मामले कोर्ट तक पहुंचे.
दिल्ली सरकार ने 4 अगस्त 2015 को कृषि भूमि का सर्किल एरिया रेट बढ़ाने का ऐलान किया. इसको अपनी उपलब्धि बताते हुए खूब प्रचार भी किया. लेकिन ये नोटिफिकेशन बिना एलजी की मंज़ूरी के जारी किया गया था. इसलिए, मामला फंस गया.
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की निजी बिजली वितरण कंपनियों में बिना एलजी की इजाज़त लिए अपने प्रतिनिधि डायरेक्टर नियुक्त कर दिए. ये मामला भी अभी कोर्ट में है. 12 जून 2015 को दिल्ली सरकार ने बिजली कटने पर उपभोक्ताओं को वितरण कंपनियों की तरफ से हर्जाना देने की नीति बनाई. इसके लिए भी एलजी की मंज़ूरी नहीं ली गई.
इसके अलावा ट्रांसपोर्ट घोटाले में बिना एलजी की इजाज़त के जांच का आदेश देने जैसे मामले भी अभी लंबित हैं. इन सभी मामलों में दिल्ली हाई कोर्ट जा फैसला एलजी के पक्ष में रहा था. अब सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या ज़रूर की है. लेकिन इन मामलों पर अभी अलग से सुनवाई नहीं हुई है.
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