Delhi Mayor Election: दिल्ली सरकार का उपराज्यपाल से फिर हुआ टकराव, मेयर चुनाव को लेकर पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति पर बवाल
Delhi MCD Mayor Election: बीजेपी पार्षद सत्या शर्मा दूसरी बार पार्षद बनी हैं, जबकि आम आदमी पार्टी पार्षद मुकेश गोयल 1997 से पार्षद हैं. अब पीठासीन अधिकारी को लेकर बवाल शुरू हो चुका है.
Delhi MCD Mayor Election: दिल्ली की केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. अब मामला नगर निगम में मेयर का चुनाव कराए जाने का है. जिसमें उपराज्यपाल ने शुक्रवार को होने वाले मेयर चुनाव के लिए बीजेपी की पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया, जबकि दिल्ली सरकार ने पीठासीन अधिकारी के लिए आम आदमी पार्टी के पार्षद मुकेश गोयल के नाम का प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजा था. अब इस मुद्दे पर एलजी और केजरीवाल सरकार आमने-सामने हैं.
क्या है पूरा विवाद
मुकेश गोयल के बारे में बताये तो वो साल 1997 से अब तक लगातार नगर निगम के पार्षद बने हुये हैं. ये छठवीं बार है जब वे पार्षद की शपथ लेने जा रहे हैं. यही वजह है कि केजरीवाल सरकार ने उनके नाम को प्रोटेम स्पीकर के तौर पर मंज़ूरी के लिए LG के पास भेजा था, लेकिन LG ने इसे नामंज़ूर कर दिया. जबकि दिल्ली के उपराज्यपाल ने मुकेश गोयल की जगह बीजेपी की पार्षद सत्या शर्मा के नाम पर मुहर लगा दी. सत्या शर्मा तीसरी बार बीजेपी से पार्षद चुनी गई हैं. पहली बार 2007 में सीलमपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले वार्ड से पार्षद चुनी गयी थीं. जिसके बाद 2012 में भी वो दोबारा पार्षद चुनी गईं. फिर इस बार 2022 में भी सत्या शर्मा पर बीजेपी ने भरोसा जताया और उस भरोसे को क़ायम रखते हुये सत्या शर्मा एक बार फिर चुनाव जीत गईं. वहीं सत्या शर्मा साल 2016 में मेयर के पद पर रह चुकी हैं.
AAP ने उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने एलजी के इस फैसले का विरोध किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ये परंपरा रही है कि सबसे सीनियर सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर और पीठासीन अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया जाता है, लेकिन बीजेपी लगातार सभी लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थानों को तबाह करने का काम कर रही है.
10 पार्षदों को किया मनोनीत
इससे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम में 10 पार्षदों को मनोनीत किया था. इन नियुक्तियों को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि ये सभी नगर निगम के जोन के चुनाव में भी वोटिंग करते हैं. खास बात ये है कि एलजी की तरफ से मनोनीत किए गए सभी 10 पार्षद बीजेपी के हैं. इनमें से दो नामों पर विवाद भी हुआ था, क्योंकि वो उस जोन से नहीं थे जिसमें उन्हें चुना गया था. आम आदमी पार्टी के विरोध के बाद दोनों ही नामों को बदल दिया गया.
पार्षदों की नियुक्ति पर भी बवाल
मनोनीत किए गए पार्षदों को ‘एल्डरमेन’ भी कहा जाता है. ‘एल्डरमेन’ उन लोगों को कहा जाता है जो अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं. हालांकि, महापौर चुनाव में उनके पास मतदान का अधिकार नहीं होता है. इस पूरे मामले को लेकर आम आदमी पार्टी ने एलजी पर गंभीर आरोप लगाए. AAP नेता आतिशी ने कहा, ‘‘मैं भाजपा से ये घटिया चालें रोकने का आग्रह करती हूं. सभी 10 ‘एल्डरमेन’ भाजपा कार्यकर्ता हैं. यह एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) के काम को रोकने का एक प्रयास है. ये ‘एल्डरमैन’ विभिन्न समितियों का हिस्सा होंगे और एमसीडी के काम को बाधित करेंगे. भाजपा को आप को एमसीडी चलाने का मौका देकर जनादेश का सम्मान करना चाहिए. कृपया दिल्ली के फैसले का सम्मान करें.’’
चार दिसंबर के निकाय चुनावों के बाद शुक्रवार को पहली बार निगम सदन आहूत किया जाएगा जब सभी नवनिर्वाचित पार्षद शपथ लेंगे और महापौर (मेयर) और उप महापौर चुने जाएंगे. बता दें कि एमसीडी में इस बार आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला है.