नई दिल्ली: सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन हुये अभी हफ़्तेभर का वक्त ही बीता है लेकिन आये दिन यहां सेल्फी लेने के चलते ख़तरनाक स्टंट करते हुये लोग नजर आते हैं. ऐसी स्थिति में कोई दुर्घटना न हो इसके लिए दिल्ली सरकार कदम उठाने जा रही है. दिल्ली सरकार जल्द सिग्नेचर ब्रिज पर कुछ सेल्फी स्पॉट बनाने की तैयारी में है. दिल्ली सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिये है कि ब्रिज पर कुछ सेल्फी स्पॉट के साथ पार्किंग की जगह बनायी जाए ताकि आने-जाने वालों को परेशानी न हो.


बता दें कि वजीराबाद में यमुना नदी पर सिग्नेचर ब्रिज जब बनकर तैय़ार हुआ तभी से इस ब्रिज को लेकर जमकर हंगामा हो रहा है. दरअसल दिल्ली सरकार ने ब्रिज के उद्घाटन के कार्यक्रम में ना तो दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को न्योता दिया है ना ही इलाके के सांसद मनोज तिवारी को बुलाया. हालांकि मनोज तिवारी ने एलान किया था कि वो बिना निमंत्रण के भी जाएंगे. जब घटना स्थल पर मनोज तिवारी पहुंचे तो आप कार्यकर्ताओं और वहां मौजूद पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई.


14 साल और 1500 करोड़ खर्च होने के बाद बनकर हुआ तैयार

सिग्नेचर ब्रिज को बनने में 14 साल लगे हैं और करीब 1500 करोड़ रुपये का खर्च आया है. 2004 में शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं तभी इस ब्रिज को बनाने का फैसला हुआ था. .ये ब्रिज अपनी खूबसूरती और अनोखे डिजाइन के लिए चर्चा में है. इस ब्रिज के खुलने से उत्तर और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोगों को ट्रैफिक जाम से काफी हद तक निजात मिली है.


क्या है सिग्नेचर ब्रिज की खासियत?

विषम डिजाइन वाला यह भारत का पहला केबल ब्रिज है. इसकी नदी के तल से ऊंचाई 165 मीटर यानि 541 फीट है. ये कुतुब मीनार से लगभग दोगुना ऊंचा है, इसकी लंबाई 675 मीटर है. सिग्नेचर ब्रिज का मुख्य आकर्षण 154 मीटर ऊंचा पिलर है जो दूर से नमस्कार की मुद्रा में दिखाई देता है. ब्रिज को स्टील के 19 केबल से संतुलित किया गया है. 154 मीटर की ऊंचाई पर ग्लास बॉक्स बना है, जहां तक लोग लिफ्ट से पहुंच सकेंगे और दिल्ली के टॉप व्यू का नजारा ले सकेंगे. एक बार में पचास लोग इस ग्लास बॉक्स में आ सकते हैं. ब्रिज पर कुल आठ लेन हैं, पैदल और साइकिल सवार के लिए अलग लेन बनाई गई है.