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Delhi: लोन डिफाल्टरों के ऑटो अब दूसरे व्यक्ति को नहीं होगा सीधा ट्रांसफर, ऑटो रजिस्ट्रेशन और ट्रासंफर प्रक्रिया में हुआ बदलाव 

Delhi News: लोन डिफाल्टरों के कब्जे में लिए गए ऑटो अब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को सीधा ट्रांसफर नहीं होगा. दिल्ली सरकार ने ऑटो पंजीकरण और ट्रासंफर प्रक्रिया में नए बदलाव किया है.

Auto Permit in Delhi: दिल्ली सरकार(Delhi Government) ने ऑटो परमिट(Auto Permits) की कालाबाजारी की शिकायतों को देखते हुए ऑटो पंजीकरण और ट्रासंफर(Auto Registration and Transfer) की प्रक्रिया में नया बदलाव किया है. इसके तहत लोन(Loan) नहीं चुकाने की स्थिति में फाइनेंसरों(Financiers) के कब्जे किए गए ऑटो को अब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को सीधे ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है.

इसके साथ ही लोन डिफॉल्टर होने पर फाइनेंसरों की ओर से कब्जा किए गए ऑटो को बिना परमिट के पहले वित्तीय सस्थांनों के नाम पर रजिस्ट्रेशन या ट्रांसफर करना होगा. इसके बाद ही वो किसी अन्य थर्ड पार्टी के नाम पर रजिस्ट्रेशन या ट्रांसफर किया जा सकेगा. इस संबंध में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि नियम होने के बावजूद बहुत से वास्तविक लोन डिफाल्टरों को फाइनेंसरों की तरफ से परेशान किया जा रहा है.

ऑटो पंजीकरण और ट्रासंफर प्रक्रिया में बदलाव

ऑटो पंजीकरण और ट्रासंफर की प्रक्रिया में नए बदलाव के अनुसार मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहन फाइनेंसरों को भुगतान करने में असफल होने के कारण पंजीकृत मालिक से ऑटो कब्जा करने की स्थित में फाइनेंसरों (एनबीसी/बैंकों) के नाम पर पहले ऑटो को ट्रासंफर किया जाएगा. इसके साथ ही ऑटो मालिक को इस पंजीकरण की एक कॉपी उनके पते पर भेजकर सूचना दी जाएगी. 

ऐसे सभी मामलों में किसी अन्य खरीदार को वाहन को सीधा ट्रांसफर करने और परमिट की अनुमति नहीं होगी. इस तरह के कब्जा किए गए वाहन को कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार फाइनेंसर की ओर से नीलामी में बेचा जा सकता है. जो व्यक्ति नीलामी के माध्यम से ऐसा वाहन खरीदता है, वह परिवहन विभाग से संपर्क कर एमवी अधिनियम, 1988 के प्रावधान के तहत अपने नाम पर पंजीकरण करा सकता है.

जानें क्या है नियम

बताया गया है कि नीलामी के माध्यम से खरीदने वाला दिल्ली का निवासी होना चाहिए, जिसके पास दिल्ली के पते का आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस हो. इसके अलावा, खरीदार के पास परिवहन विभाग से ऑटो-रिक्शा (टीएसआर) के लिए जारी वैध एलओआई और वैध परमिट होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में उसके नाम पर कोई ऑटो-रिक्शा (टीएसआर) नहीं होना चाहिए. जबकि फाइनेंसर वाहन को अपने पास रख सकता है. सरेंडर करने वाले परमिट के मूल आवंटित को सरेंडर करने की तारीख के छह महीने के भीतर उस परमिट के खिलाफ एक और टीएसआर पंजीकृत कर सकता है, जिसके बाद विभाग एक नया एलओआई जारी कर देगा.

विभाग अन्य परिवहन/गैर-परिवहन वाहनों को भी इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है. विभाग ऐसे सरेंडर किए गए परमिटों की सूची और फाइनेंसरों के नाम पर वाहनों के पंजीकरण को प्रवर्तन शाखा के साथ साझा करेगा, ताकि किसी भी अनाधिकृत संचालन की जांच की जा सके.

ऑटो चालकों को मिलेगी राहत

परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत(Transport Minister Kailash Gehlot) ने कहा कि एक नियम होने के बावजूद बहुत से वास्तविक लोन डिफाल्टरों(Loan Defaulter) को फाइनेंसरों(Financiers) द्वारा परेशान किया जा रहा है. हमारी सरकार ऐसे सभी प्रकार के भ्रष्टाचारों(Corruptions) के खिलाफ लड़ने और कदाचार को समाप्त करने में विश्वास करती है. यह कोविड से पहले के परिदृश्य में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां ऑटो चालक भारी लोन को चुकाने में असमर्थता का खामियाजा भुगत रहे हैं. कैलाश गहलोत ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि विभाग की ओर से सख्त प्रवर्तन के साथ यह उपाय इस तरह की परेशानी को कम करेगा और बहुत सारे ऑटो चालकों को राहत देगा.

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