जंतर-मंतर पर कल 200 किसानों के प्रदर्शन के लिए दिल्ली सरकार ने दी इजाजत, दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट सीपी ने किया प्रदर्शनस्थल का दौरा
दिल्ली पुलिस स्पेशल सीपी (क्राइम) सतीश गोलचा और ज्वाइंट सीपी जसपाल सिंह ने जंतर-मंतर का दौरा किया है, जहां पर कल किसानों का प्रदर्शन होना है.
तीन नए कृषि कानूनों पर कल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के लिए किसानों को केजरीवाल सरकार ने बुधवार को इजाजत दे दी. सभी को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. इसके साथ ही, दिल्ली आपदा प्रबंधन अथॉरिटी ने भी जंतर मंतर पर सुबह 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक 22 जुलाई से लेकर 9 अगस्त तक प्रदर्शन की इजाजत दे दी है. इसमें अधिकतम 200 लोग हिस्सा ले पाएंगे और उन्हें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
इधर, दिल्ली पुलिस स्पेशल सीपी (क्राइम) सतीश गोलचा और ज्वाइंट सीपी जसपाल सिंह ने बुधवार को जंतर-मंतर का दौरा किया है, जहां पर कल किसानों का प्रदर्शन होना है. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्होंने किसानों को अब तक संसद के नजदीक इकट्ठा होने की इजाजत नहीं दी है. सूत्रों का कहना है कि प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने किसानों के सामने कुछ नियम और शर्तें रखी हैं. अगर ये पूरी हो जाती है तो करीब 200 के आसपास किसान कल बसों के जरिए जंतर-मंतर आएंगे और जंतर-मंतर पर ही शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे. वहीं पुलिस निगरानी में बस जंतर-मंतर पहुंचेगी.
Delhi government grants permission to farmers to stage a protest at Jantar Mantar tomorrow, subject to following all COVID protocols: Sources
— ANI (@ANI) July 21, 2021
जानकारी के मुताबिक किसान सुबह 11.30 बजे जंतर-मंतर पहुचेंगे. जंतर-मंतर पर चर्च साइड उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से बैठाया जाएगा. जंतर-मंतर और किसानों की सुरक्षा के मद्देनजर पांच पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों की 5 कंपनियां जंतर-मंतर पर तैनात की जाएंगी. साथ ही सभी के पहचान पत्र चेक करने के बाद ही बैरिकेड के अंदर जाने दिया जाएगा. शाम 5:00 बजे किसान अपना प्रदर्शन खत्म कर वापस सिंघु बॉर्डर लौट जाएंगे.
किसान यूनियन ने मंगलवार को कहा था कि संसद के मौजूदा मानसून सत्र के दौरान जंतर-मंतर पर एक ‘किसान संसद’ का आयोजन किया जाएगा. 22 जुलाई से प्रतिदिन सिंघु सीमा से 200 प्रदर्शनकारी वहां पहुंचेंगे. तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांगों को उजागर करने के के लिये 26 जनवरी को आयोजित ट्रैक्टर परेड राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई थी, क्योंकि हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिये थे, पुलिस से भिड़ गए थे और लाल किले की प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज फहराया था.
रविवार को हुई एक बैठक के दौरान, दिल्ली पुलिस ने किसान यूनियनों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या कम करने के लिए कहा था, लेकिन किसान यूनियन के नेताओं ने इसे अस्वीकार कर दिया था. एक दिन बाद, एसकेएम ने दिल्ली पुलिस पर संसद के बाहर उनके विरोध प्रदर्शन को 'संसद घेराव' बताते हुए इसके बारे में दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया.
एसकेएम ने एक बयान में कहा था कि एसकेएम ने पहले ही कहा है कि संसद के घेराव की कोई योजना नहीं है और विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण और अनुशासित होगा. एसकेएम ने पहले कहा था कि मानसून सत्र शुरू होने से दो दिन पहले, सभी विपक्षी सांसदों को सदन के अंदर कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए एक "चेतावनी पत्र" जारी किया जाएगा. देशभर के हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं, उनका दावा है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देगा, उन्हें बड़े कार्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ देगा.
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