नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने ओआरओपी आंदोलन के दौरान आत्महत्या करने वाले एक पूर्व सैनिक के परिवार को मुआवजा देने के दिल्ली सरकार के फैसले से मंगलवार को सुनवाई के दौरान असहमति जतायी और कहा ‘‘आप यह परिपाटी बना रहे हैं कि आत्महत्या कीजिए और एक करोड़ रूपए का मुआवजा पाइए.’’

अदालत की यह टिप्पणी पूर्व सैनिक को शहीद का दर्जा देने, एक करोड़ रूपए की वित्तीय सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी के फैसले पर आयी है जिन्होंने वन रैंक, वन पेंशन आंदोलन के दौरान पिछले साल नवंबर में कथित तौर पर कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली थी.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा, ‘‘आप एक परिपाटी बना रहे हैं, आत्महत्या कीजिए और एक करोड़ रूपए का मुआवजा प्राप्त कीजिए. और, जब आप उनके परिवार को एक करोड़ रूपए का मुआवजा दे रहे हैं तो अनुकंपा के आधार पर नौकरी का सवाल कहां पैदा होता है.’’

अदालत ने दो जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. याचिकाओं में राम किशन ग्रेवाल को शहीद का दर्जा दिए जाने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गयी है.अदालत ने कहा कि याचिकाएं समय से पहले दाखिल की गयी हैं और इस चरण में विचार करने योग्य नहीं हैं क्योंकि उपराज्यपाल ने अभी इस पर फैसला नहीं किया है.