Supreme Court On Manish Sisodia Affidavit: अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग विवाद में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodiya) के हलफनामे को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गैरज़रूरी बताया है. कोर्ट ने केंद्र से कहा कि इसका जवाब देने की कोई ज़रूरत नहीं. सिसोदिया ने कहा था कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे. कोर्ट ने कहा कि 24 नवंबर से मामले से जुड़े कानूनी सवालों पर संविधान पीठ को सुनवाई करनी है. अब नए हलफनामे की ज़रूरत नहीं थी. जो बात इस तरह कही गई, उसे जिरह के दौरान भी कहा जा सकता था. केंद्र के वकील ने आरोप लगाया कि सिर्फ मीडिया में प्रचार के लिए हलफनामा दाखिल किया गया.
सिसोदिया ने लगाया आरोप
दरअसल, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर दिल्ली सरकार ने अधिकारियों पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार के मई 2021 में जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी. मनीष सिसोदिया की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि सीनियर अधिकारी दिल्ली सरकार के मंत्रियों की ओर से बुलाई मीटिंग में शामिल नहीं हो रहे हैं. अधिकारी मंत्रियों के फोन कॉल तक नहीं उठाते. यहां तक कि मंत्रियों की ओर से लिखित में जारी दिशा निर्देशों का भी पालन नहीं किया जा रहा है. सिसोदिया ने हलफनामें कहा कि विनय कुमार सक्सेना के नए उपराज्यपाल बनने के बाद से हालात और भी खराब हो गए हैं.
ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार केंद्र सरकार और LG के पास
मनीष सिसोदिया ने कहा कि इसकी वजह केंद्र सरकार के पिछले साल 21 मई को जारी किया गया नोटिफिकेशन है. इसी के चलते नौकरशाह दिल्ली सरकार की बजाय केंद्री की बीजेपी सरकार के प्रति जवाबदेह हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के पास है. इसलिए अधिकारी दिल्ली सरकार के प्रति उदासीन रुख बनाए हुए हैं. कई विभागों में लगातार ट्रांसफर हो रहे हैं. दिल्ली सरकार में विभिन्न विभागों में कई पद खाली पड़े हैं. इसके कारण राज्य सरकार को अपनी नीतियों को लागू करने में दिक्कत आ रही है.
संविधान पीठ ने जताई सहमति
दिल्ली की सेवाओं पर किसका कंट्रोल है, इस मामले पर केंद्र के साथ दिल्ली सरकार के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दायर किया गया. दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी और कार्यकारी शक्तियों के दायरे संबंधी कानूनी मुद्दे पर सुनवाई के लिए 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ स्थापित करने पर सहमति जताई थी. मामले में दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अपीलकर्ता है और सिसोदिया ने इसकी तरफ से हलफनामा दायर किया है. भारत सरकार और अन्य इस केस में प्रतिवादी हैं.
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