दिल्ली सरकार का बिना कारण बताए AIIMS के आसपास 11 रैन बसेरे खाली करने का आदेश, लोगों के सामने पहाड़ सी मुसीबत
AIIMS के आसपास करीब 11 रैन बसेरे हैं, जिन्हें अचानक खाली कराने के आदेश दिल्ली सरकार द्वारा दे दिए गए हैं. अपने घर रूपी बसेरों को खाली करने से पहले लोगों को 24 घंटे की मोहलत भी नहीं दी गई है. लिहाज़ा परेशान मरीज दिल्ली सरकार से कुछ वक्त की मांग रहे हैं.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तेजी से कोरोना वायरस के आंकड़े बढ़ रहे हैं. ऐसे में जहां तक संभव हो पाए, लोग संक्रमण से बचने के लिए अपने घरों में रहने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उन लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं जिनका इस शहर में कोई ठोर-ठिकाना नहीं है. साथ ही दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल AIIMS में वो महीनों से इलाज करा रहे हैं. AIIMS के आसपास करीब 11 रैन बसेरे हैं, जिन्हें अचानक खाली कराने के आदेश दिल्ली सरकार द्वारा दे दिए गए हैं. अपने घर रूपी बसेरों को खाली करने से पहले लोगों को 24 घंटे की मोहलत भी नहीं दी गई है. लिहाज़ा परेशान मरीज दिल्ली सरकार से कुछ वक्त की मांग रहे हैं.
इलाज के चलते कोई इन रैन बसेरों में तीन महीने से तो कोई चार-पांच महीनों से रह रहा है. आर्थिक रूप से कमज़ोर इन लोगों के सामने मानो पहाड़ सी मुसीबत है. एबीपी न्यूज रैन बैसरों में रहने वाले लोगों के पास पहुंचा. बिहार की रहने वाली 50 वर्षीय दमयंती गुप्ता कहती हैं कि पति का इलाज कराने करीब 6 महीने से दिल्ली में रह रही हैं और तीन महीने से एम्स के बाहर बने रैन बसेरे में रह रही हैं. वह बताती हैं कि पति की रीड़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ है, ना चल सकते हैं ना बैठ सकते हैं. सुबह तक रैन बसेरा खाली करने के आदेश दिए गए हैं. अभी मई तक इलाज होना है, कहां जायेंगे?
अपने दो साल के बेटे का दिल का इलाज कराने आए संजीव शर्मा अपने परिवार के साथ रैन बसेरा में रह रहे हैं. फिलहाल उनके लिए बच्चे की जान बचाना जीवन की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. इसलिए रोजगार छोड़ कर पिछले एक साल से बच्चे और पत्नी के साथ रैन बसेरा में रह रहे हैं. वह बताते हैं कि मैं अपने दो साल के बच्चे का इलाज कराने आया हूं. बच्चे का दिल का ऑपरेशन हुआ है. इलाज अब भी चल रहा है. हमारे पास इतने पैसे नही हैं कि कमरा लेकर रह लें. हमारा यहां कोई रोजगार नहीं है. यहां खाना पीना अच्छा मिलता है. कम से कम होली तक की मोहलत दे दे सरकार. वहीं बच्चे की मां रीना कहती हैं कि इसका इलाज 20 अप्रैल तक का है. अब समझ नहीं आ रहा कि क्या करें, कहां जाएं.
48 वर्षीय कैंसर की मरीज मंजू कहती हैं कि इलाज लम्बा चलता है. इतने दिन कैसे कमरा लेकर हम दिल्ली जैसे बड़े शहर में रहें. जब कमाने का कोई जरिया नहीं है. अब मैं कहां जाऊंगी, मेरे पास कोई पैसा या व्यवस्था नहीं है.
रैन बसेरे के केयरटेकर गोविंद कहते हैं कि ऊपर से ऑर्डर आया है कि कल सुबह तक रैन बसेरा खाली कराना है. कारण हमें नही बताया गया है. 24 घंटे के भीतर रैन बसेरों को खाली कराने के आदेशों के मद्देनजर लोगों में तनाव की स्थिति है. जो लगातार दिल्ली सरकार से अपने घर रूपी बेसरों को खाली करने के लिए कुछ और समय के साथ मानवीय दृष्टिकोण से थोड़ी मोहलत मांग रहे हैं.
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