नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि जुलाई के पहले सप्ताह में होम आइसोलेशन में शून्य मौतें हुईं और रोज़ाना होने वाली कुल मौतों में भी भारी गिरावट आई है. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की कमेटी की यह फाइंडिंग्स हैं.


दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग को दिल्ली में पिछले 15 दिन में हुई सभी मौतों का अध्ययन करने का निर्देश दिया था, ताकि यह समझा जा सके कि मौतों को और कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने 10 जुलाई को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने अपनी रिपोर्ट रखी है.


रिपोर्ट के मुताबिक 24 जून और 8 जुलाई - 15 दिन की अवधि के दौरान दिल्ली में कुल 691 मौतें हुईं, वहीं इस अवधि के दौरान रोजाना औसतन 46 मौतें हुई हैं. इन सभी मौतों का अध्ययन और विश्लेषण दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने किया. इसके कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष निम्नलिखित हैं-


- पिछले कुछ दिनों में, प्रतिदिन हो रही मौतों की संख्या में कमी आई है. जून के मध्य में प्रतिदिन सबसे अधिक 101 मौते हुईं, पिछले 15 दिन में मौतें घट कर एक दिन में लगभग 46 पर आ गई हैं, जो कि एक महत्वपूर्ण सुधार दिखाई देता है.


- जून में दिल्ली की कुल मृत्यु दर 3.64 प्रतिशत से घटकर 3.02 प्रतिशत हो गई है. इसमें एक दिन का औसत लगभग 2.5 फीसदी तक कम हो गया है. साथ ही प्रतिदिन मौतों की संख्या औसतन 50 से कम हुई हैं और पिछले 15 दिन में प्रतिदिन करीब 2000 नए केस आए हैं.


- पिछले 15 दिन में हुई कुल 691 मौतों में से केवल 7 मौतें होम आइसोलेशन (24 जून से 30 जून के बीच) में हुईं. होम आइसोलेशन के तहत किसी भी मरीज की जुलाई में एक भी मौत नहीं हुई है. होम आइसोलेशन के तहत सभी मरीजों को ऑक्सीमीटर वितरित करने के निर्णय को इसका श्रेय दिया जा सकता है. ऑक्सीमीटर मरीजों में ऑक्सीजन स्तर में गिरावट के बारे सचेत करता है, जो बिगड़ते स्वास्थ्य का एक शुरुआती संकेत है.


-केंद्र सरकार की डॉ वी के पॉल समिति के मुताबिक भारत में 45 प्रतिशत मौतें पहले 48 घंटों के दौरान होती हैं. दिल्ली में ये 15 प्रतिशत पर आ गया है. सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों की वजह से यह हो सका है.


- 691 मौतों में से 505 मरीज गंभीर हालत में थे, जब उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया था. इनकी जब पॉजिटिव रिपोर्ट आई, तो इन मरीजों में से 291 पहले से ही अस्पताल में थे, बाकी सभी को समय पर अस्पताल में दाखिला मिल गया. अध्ययन में केवल 28 मरीजों के मामले में अस्पताल में भर्ती होने में देरी पाई गई.


- मुख्यमंत्री ने गंभीर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 6 महत्वपूर्ण बिंदुओं और सिस्टम में सुधार करने की योजना शुरू की थी. ये प्वाइंट इस प्रकार हैं-




  1. जांच में वृद्धि- लोगों की समय पर जांच में कठिनाई आने की वजह से कुछ गंभीर मरीजों की मौत हो गई थी. अब जांच की संख्या बढ़ने के साथ ही इसका समाधान हो गया है.

  2. अस्पातालों में बड़ी संख्या में बेड बढ़ाने के साथ एसिम्प्टोमैटिक और हल्के लक्षण वाले मरीजों के होम आइसोलेशन पर बल दिया गया. रोज़ टेली-काउंसिलिंग और ऑक्सीमीटर देकर होम आइसोलेशन के मरीजों में सुधार किया गया, ताकि लोग घरों में सुरक्षित महसूस करें.

  3. एम्बुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम बढ़ाया गया- पिछले महीने में एंबुलेंस के रिस्पॉन्स टाइम को 55 मिनट से घटाकर 30.5 मिनट किया गया है. रिस्पॉन्स टाइम सही करने के लिए कई और एंबुलेंस किराए पर ली गई हैं. इससे अस्पतालों में मरीजों का समय पर परिवहन सुनिश्चित हुआ है.

  4. त्वरित भर्ती प्रक्रिया- इसे एक बड़ी अड़चन के रूप में पहचाना गया. सीएम के प्रतिनिधियों और हर अस्पताल के लिए अलग-अलग अधिकारियों की नियुक्ति की गई, जिन्होंने सुनिश्चित किया कि मरीज को पहले भर्ती किया जाए और बाद में कागजी कार्रवाई की जाए.

  5. अस्पताल में बेड की आसान उपलब्धता- निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों में बेड की संख्या में भारी वृद्धि के लिए कई कदम उठाए गए. अब, अस्पताल में बेड की कमी की समस्याओं का समाधान हो चुका है. कोविड अस्पतालों में 15000 बेड की उपलब्धता है और आज की तारीख में केवल 4500 बेड पर मरीज हैं.

  6. आईसीयू क्षमता में वृद्धि- कोरोना के गंभीर मरीजों में, विशेष रूप से कॉमरेडिटी वाले मरीजों को अक्सर आईसीयू की आवश्यकता होती है, आपातकालीन देखभाल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए. फिलहाल 2000 आईसीयू बेड की उपलब्धता है और आज की तारीख केवल 1100 आईसीयू बेड का इस्तेमाल हो रहा है.


दिल्ली में देश का पहला प्लाज्मा बैंक शुरू होने और लोगों को अपने प्लाज्मा दान करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करने के साथ ही ज्यादा गंभीर मरीज प्लाज्मा थेरेपी से लाभ ले रहे हैं. इससे दिल्ली में मृत्यु दर में और कमी आने की उम्मीद है.


मृत्यु दर को और कम करने के लिए क्या उपाय किए जाने की जरूरत है, इस पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक ली. अब लगभग सभी मौतें अस्पतालों में हो रही हैं, होम आइसोलेशन में मौतें शून्य हैं. इसलिए, ये पाया गया है कि हर अस्पताल के सिस्टम की विस्तृत जांच की जानी चाहिए. हर अस्पताल में छुट्टी पाने वाले मरीजों की कुल संख्या में मृत्यु का अनुपात पता किया जाना चाहिये. कम अनुपात वाले अस्पतालों का मतलब बेहतर प्रबंधन होगा. इन अस्पतालों में अच्छी प्रथाओं का अध्ययन किया जाएगा और उन अस्पतालों में सुधार किया जाएगा, जहां अधिक मौतें हो रही हैं.


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