नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी सरकार ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने मृतकों की कोरोना जांच करना बंद कर दिया है. जिसके कारण संक्रमण से मौत की आशंका होने पर मृतकों के रिश्तेदार शव लेने नहीं आ रहे हैं. जिससे अस्पतालों को पार्थिव शवों का निस्तारण करने में देर हो रही है.
दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय में एक दाखिल एक हलफनामे में कहा, “ कोरोना के संदिग्ध मरीजों की बिना जांच हुए मौत हो गई और जांच रिपोर्ट के अभाव में उनके रिश्तेदार शव लेने नहीं आ रहे हैं और शवों की जांच बंद कर दी गई है.”
शवों के समय पर निस्तारण की जिम्मेदारी तय
अधिवक्ता संजय घोष के माध्यम से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि उठाए गए कदमों में से एक यह है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना से होने वाली मौत वाले शवों के समय पर निस्तारण की जिम्मेदारी तय कर दी गई है. जिसके तहत उस अस्पताल के निदेशक पर शवों के निस्तारण की जिम्मेदारी होगी जहां मरीज की मौत हुई या उसे मृत अवस्था में लाया गया.
मृतकों के रिश्तेदारों को गलत जानकारी दी गई
हलफनामे में कहा गया कि शवों के निस्तारण में देरी का एक कारण यह भी है कि मृतकों के रिश्तेदारों को गलत जानकारी दी गई कि अस्पताल शव का निस्तारण करेगा. जबकि अस्पताल इसमें केवल सहायता ही कर सकता है और शवों को मृतक के परिजनों को ले जाना होगा.
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