नई दिल्लीः दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को कल यानी 14 फरवरी 2019 को चार साल पूरे होने जा रहे हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 14 फरवरी 2015 को दिल्ली की सत्ता पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा जमाया था. अब जब अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में दिल्ली सरकार अपने 4 साल पूरे करने जा रही है तो इसके सफर पर नजर डाल लेते हैं.
साल 2015 में हुए चुनाव में हासिल की थी बंपर जीत
साल 2015 में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की थी और केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को दिल्ली के रण में केवल 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था. इसके बाद 2015 में कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा में एक भी सीट नहीं मिल पाई. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 32 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस के खाते में 8 सीटें आई थीं.
दिल्ली की सरकार का 4 सालों का रिपोर्ट कार्ड
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई अच्छे काम किए हैं. सरकारी स्कूल के रखरखाव में सुधार हो या बस पास को ऑनलाइन करना, ऐसे कई कदम सरकार उठाए जो काबिले तारीफ रहे. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कई अच्छे काम सरकार ने किए. मोहल्ला क्लीनिक की शुरूआत हुई उससे कई गरीब लोगों को उपचार में राहत मिली. वहीं बिजली के दाम आधे करने के अपने वायदे को भी सरकार ने पूरा किया. पार्टी लगातार अपने काम को लेकर चर्चा में रही साथ ही दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ अनबन को लेकर काम प्रभावित होने के आरोप भी पार्टी पर लगते रहे.
डोरस्टेप डिलीवरी का फैसला लिया
दिल्लीवासियों को ड्राइविंग लाइसेंस और विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र सहित 40 सरकारी सेवाओं की आपूर्ति उनके घरों तक करने के लिए केजरीवाल सरकार ने 10 सितंबर को कार्यक्रम की शुरूआत की थी. दिल्लीवासी फोन नंबर 1076 पर कॉल कर घर तक सेवा के लिए अनुरोध कर सकते हैं. यह सेवा सुबह आठ बजे से रात के 10 बजे तक उपलब्ध रहती है. इसके अलावा 9 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने उन बस पास को भी मंजूरी दी जिनके तहत छात्र एसी और क्लस्टर बसों में भी किराए पर छूट पा सकते थे.
आम आदमी पार्टी ने 2013 में बनाई पहली बार सरकार
पार्टी ने पहली बार दिसंबर 2013 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा. झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ आप चुनावी मैदान में उतरी. आप ने उस चुनाव में 28 सीटों पर जीत हासिल की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बनाई थी. आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के 7वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
लोकपाल की मांग की उपज रही पार्टी ने 49 दिनों के बाद ही विधानसभा में उसे पेश किया, लेकिन समर्थन नहीं मिला. इसके बाद केजरीवाल ने त्यागपत्र दे दिया और सरकार गिर गई. इसके बाद फरवरी 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की झाड़ू ऐसी चली कि पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीत कर इतिहास रच दिया. एक बार फिर दिल्ली की जनता ने केजरीवाल की सरकार पर पूरा विश्वास दिखाया.
आम आदमी पार्टी की स्थापना
केंद्र में सत्तासीन पार्टी द्वारा मिल रहीं चुनौतियों को लेकर केजरीवाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर 24 नवंबर 2012 को जंतर मंतर पर राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की थी और 26 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी.
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