RO Wate Plants: दिल्ली में हर घर नल से पीने का पानी पहुंचाने की योजना के तहत अब दिल्ली सरकार RO प्लांट यानी रिवर्स ऑस्मोसिस संयंत्र लगाने की योजना बना रही है. इस योजना को दिल्ली के उन इलाकों में लागू किया जाएगा, जहां ग्राउंड वाटर का स्तर ज्यादा है लेकिन खारेपन और टीडीएस (टोटल डिजॉल्वड सॉलिड) के कारण इस्तेमाल करने लायक नहीं है. गुरुवार को दिल्ली के जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ मीटिंग में इस परियोजना की तैयारियों का जायजा लिया. दिल्ली सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक साधारण आरओ सिस्टम में प्यूरिफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान बहुत सारा पानी बर्बाद हो जाता है लेकिन दिल्ली सरकार आधुनिक तकनीक से बने आरओ प्लांट का उपयोग करेगी, जिसकी जल रिकवरी दर 80 फीसदी होगी. दिल्ली सरकार ने इस योजना को एक साल के अंदर पूरा करने का लक्ष्य रखा है.
जानकारी के मुताबिक योजना के पहले चरण में 363 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की कुल क्षमता वाले आरओ प्लांट चिन्हित इलाकों में लगाए जाएंगे. जहां अधिक भूजल उपलब्ध है. इन आरओ प्लांट में पानी की आपूर्ति जमीन से पानी निकालकर की जाएगी. जिसके बाद घरों में साफ पानी पहुंचाया जाएगा. दिल्ली सरकार का कहना है कि इन आरओ प्लांट्स को केवल उन इलाकों में बनाया जाएगा, जहां भूमिगत जल का स्तर अधिक है, लेकिन पानी की खराब गुणवत्ता के कारण उसे इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता. जैसे दिल्ली के नजफगढ़ में पानी 2-3 मीटर की गहराई पर ही उपलब्ध है लेकिन खारेपन की वजह से इस पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता. इस परियोजना के पहले चरण में ओखला, द्वारका, नीलोठी-नांगलोई, चिल्ला और नजफगढ़ इलाकों को चिन्हित किया गया है.
आरओ से ट्रीट करने की जरूरत
केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के भूजल में 22 लाख मिलियन गैलन लीटर से ज्यादा खारा पानी है. इस पानी को पीने योग्य बनाने के लिए इसे आरओ से ट्रीट करने की जरूरत है. जिसके बाद इसे घरों तक पहुंचाया जा सकेगा. दिल्ली सरकार के मुताबिक इस परियोजनाओं को लागू करने के लिए स्थानों को रणनीतिक रूप से चुना गया है ताकि मौजूदा प्रणाली का उपयोग किया जा सके और नई पाइपलाइन बिछाने की भारी लागत को बचाया जा सके. इस परियोजना को लागत प्रभावी बनाने के लिए दिल्ली सरकार एक नए मॉडल को अपनाएगी, जहां निजी निवेशक आरओ प्लांट की स्थापना में निवेश करेंगे और दिल्ली जल बोर्ड उनसे निर्धारित दर पर आरओ द्वारा साफ किया गया पानी खरीदेगा. डीजेबी के अधिकारियों द्वारा किए गए शुरुआती रिसर्च के मुताबिक इस परियोजना में लगने वाली लागत पारंपरिक आरओ से पानी को साफ करने की लागत के बराबर ही होगी. इस प्रक्रिया के दौरान निकले हुए कचरे को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से निस्तारित किया जाएगा.
जलमंत्री सत्येंद्र जैन ने बैठक में अधिकारियों को उन इलाकों में छोटे आरओ प्लांट लगाने के भी निर्देश दिए. जहां टैंकर के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है, ताकि लोगों को पानी के टैंकर आने का इंतजार न करना पड़े. इसके तहत दिल्ली सरकार हर 500 घरों पर एक छोटा आरओ प्लांट लगाएगी ताकि पीने का पानी चौबीसों घंटे उपलब्ध रहे. इसके साथ ही हर झुग्गी में कम से कम एक आरओ प्लांट लगाया जाएगा और जहां भी जनसंख्या 2000 से ज्यादा है वहां एक से अधिक आरओ प्लांट लगाया जाएगा. दिल्ली जल बोर्ड अभी 5130 एमएलडी पानी की मांग के मुकाबले 4230 एमएलडी पानी की आपूर्ति कर रहा है. डीजेबी का दावा है कि इस परियोजना से अतिरिक्त 363 एमएलडी पानी बढ़ेगा, जिससे दिल्ली का 900 एमएलडी पानी का घाटा घटकर 540 एमएलडी हो जाएगा. जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए डीजेबी आधुनिक कुएं बनाने, भूजल पुनर्भरण के माध्यम से झीलों के कायाकल्प, अमोनिया उपचार प्लांट लगाने का भी काम कर रहा है.
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