दिल्ली में भव्य राम लीलाओं का हर साल आयोजन होता है लेकिन इस बार कोरोना के चलते कई सारी राम लीलाएं आयोजित नहीं हो पा रहीं हैं. दिल्ली सरकार ने कहा है कि 31 अक्टूबर किसी तरह के मेला, फूड स्टॉल, झूला, रैली, प्रदर्शनी और जुलूस को इजाजत नहीं दी जाएगी. हालांकि राम लीलाओं को नियमों का पालन करते हुए आयोजन की इजाजत मिल गई है लेकिन कम समय सीमा में कई सारी राम लीलाएं आयोजित नहीं हो पा रहीं हैं जिससे राम लीला में भाग लेने वाले कलाकारों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रहीं हैं.


इस बार दशहरे में रावण की हंसी और ठहाकों की आवाज सुनाई नहीं देगी और ना ही सुनाई देगी लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट. रावण इस बार दशहरे के अवसर पर आप को लोगों की तस्वीरें उतारता हुआ दिखे तो चौकिएगा नहीं. क्यूंकि ये कोरोना के काल का रावण है, जो विवश है अपनी परिस्थितियों से, जिसके पास कोई काम नहीं है. पेट की आग बुझाने के लिए ये रावण कभी कभार किसी इवेंट में जाकर फोटोग्राफी करता है.


रामलीला में भाग लेने वाले कलाकारों की कैसी है स्थिति
दिल्ली के लाजपत नगर में रहने वाले प्रदीप भागोत्र उर्फ बिट्टू पिछले 25 सालों से दिल्ली की राम लीलाओं में भाग लेते आ रहे हैं और रावण का किरदार निभा रहे हैं. राम लीला में हिस्सा लेने की लिए वो महीनों पहले ही प्रेक्टिस करना शुरू कर देते हैं. हर कलाकार इस दौरान काफी परेशानी से गुजर रहा है. प्रदीप जी ने अपने बेटे के स्टडी रूम को किराए पर दे दिया है ताकि कुछ पैसे निकल सकें.


प्रदीप का कहना है कि उनको रामलीला का इंतजार था और आर्थिक रूप से जो परेशानियां है उसमें कुछ राहत मिलती. लेकिन ऐसा ना होने वजह से काफी परेशानियां उठाईं. जहां एक तरफ कोरोना वायरस से रामलीला का आयोजन प्रभावित हुआ, वहीं कलाकार अलग से काम कर रहे थे उससे भी हाथ धोना पड़ा और अब उन्हें कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है.


रामलीला कलाकारों को नहीं मिली कोई मदद
रावण लंकापति था जो सोने की लंका पर राज करता था. वहीं इस युग का रावण घर से भी ना निकल पाए. प्रदीप (रावण) का कहना है कि अब तो सारी सेविंग्स भी खत्म हो चुकी है. सरकार लोगों को राशन देती है लेकिन उन कलाकारों को कोई सहायता नहीं मिलती.


उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार ने रामलीला की इजाजत तो दी है लेकिन उसकी तीन शर्ते हैं. कम समय में रामलीला का आयोजन हो पाना बहुत मुश्किल नजर आ रहा है. कोरोना के चलते जो अलग काम कर रहे हैं वह भी नहीं हो पा रहा है. सोचा था कि 4 गुना से जो नुकसान हुआ है स्थिति थोड़ी सुधरेगी लेकिन अभी कलाकारों की कोई आवाज नहीं सुन रहा. मेरे परिवार में पत्नी है एक बेटा है. हर बार का खर्चा कैसे मैनेज कर रहे हैं यह बस हम जानते हैं. पिछले कई दिनों में जो बचा कुचा पूंजी है वह भी खत्म हो रहा है.


कलाकारों को अब कोई उम्मीद नहीं
वहीं रोहिणी के विनीत कई सारे किरदार रामलीला में निभाते चले आ रहें हैं. उनका कहना है कि पहले रामलीला से उम्मीद थी कि रामलीला होगी तो चार चीजें घर की सही हो सकती हैं लेकिन अब कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. बच्चों की फीस के लिए भी पैसे जुटाना बहुत मुश्किल है. कई सारी ईएमआई चल रही है जिसमें सारी सेविंग चली जाती है. किसी तरह से घर चल रहा है.


विनीत ने आगे कहा, दिल्ली की राम लीलाएं भव्य और प्रसीद होती हैं. इस बार सोचा था कि रामलीला होगी तो चंद पैसे आ जाएंगे, घर बार चल जाएगा लेकिन फिर इतनी देर से दिल्ली सरकार ने अपना फैसला बताया कि इतने कम समय में तैयारी नहीं हो सकती.


दिल्ली में न जाने ऐसे कितने कलाकार होंगे जो कोरोना के प्रभाव के चलते अब रामलीला के आयोजन में हिस्सा नहीं ले सकते हैं क्योंकि ज्यादातर रामलीला आयोजित ही नहीं हो रही.


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