नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने पराली गलाने वाले पूसा इंस्टीट्यूट के बायो डिकम्पोजर को पड़ोसी राज्यों में लागू करवाने के मकसद से 'केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन कमीशन' के सामने एक पेटिशन दाखिल की है. याचिका में बॉयो डिकम्पोज़र घोल के छिड़काव को अनिवार्य करने की मांग की गई है.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, "दिल्ली में प्रदूषण के लिए सबसे बड़ा रोल पंजाब हरियाणा और पड़ोस के राज्य में पराली जलाने का है. दिल्ली में पिछले 15 दिनों में पराली जलने की घटनाएं बढ़ते गयीं और कोरोना के अटैक बढ़ गया है. साथ ही जान का संकट हो गया है. ऐसे में पराली से निपटने के लिए केंद्र के साथ साथ पड़ोसी राज्यों की नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है."
बॉयो डिकम्पोज़र घोल को एक अच्छे विकल्प के तौर पर बताते हुए गोपाल राय ने कहा, "दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के बायो डिकम्पोजर का सफल प्रयोग हुआ है. ऐसे में दिल्ली सरकार ने पराली गलाने वाले बायो डिकम्पोजर केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन कमीशन के सामने एक पेटिशन दाखिल की है. दिल्ली में लगभग 2000 एकड़ खेत मे बायो डिकम्पोजर का फ्री छिड़काव किया गया था. और पराली 95% तक खाद में तब्दील हुई है. दिल्ली में प्रभाव का आंकलन करने के लिए 15 सदस्य की कमिटी बनाई गयी थी. इस कमिटी ने नरेला, बवाना, मुंडका, बिजवासन का दौरा कर 25 गाँव की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की गयी है. इस रिपोर्ट को पेटिशन में शामिल किया गया है."
गोपाल राय ने कहा, "हमने आयोग को बताया है कि पराली हटाने के लिए मशीनों पर हो रहे ख़र्च और किसानों के खर्च के बजाय आधे दाम में सरकारें किसानों से निशुल्क छिड़काव करवा सकती हैं. पड़ोसी राज्यों की मदद के लिए दिल्ली सरकार तैयार है. पराली जलाने की बजाय पराली गलाने से न सिर्फ प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी बल्कि खेत को उर्वरक बनाने में।मददगार साबित होता है. आयोग से मांग है कि दिल्ली में सफल प्रयोग के बाद अन्य राज्यों में पूसा इंस्टीट्यूट के बायो डिकम्पोजर के छिड़काव को अनिवार्य किया जाए. हमें उम्मीद है आयोग गंभीरता से सभी राज्यों को बायो डिकम्पोजर की प्रक्रिया लागू करने के निर्देश जारी करेगा."