Delhi Pollution: मार्च 2023 तक यमुना के प्रदूषण को 90 प्रतिशत खत्म करेगी दिल्ली सरकार
योजना के तहत हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली के घरों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को आधुनिक तकनीक से शोधित करके करीब 400 MGD पानी का सिंचाई और पार्क आदि में दोबारा उपयोग किया जाएगा.
नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये दिल्ली सरकार ने मार्च 2023 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन और दिल्ली जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की. दिल्ली जल बोर्ड ने 2023 तक यमुना नदी के प्रदूषण को 90 प्रतिशत तक कम करने जुड़ी कार्य योजना का खाका तैयार किया है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस प्लान को हरी झंडी देते हुए DJB को हर हाल में 2023 तक यमुना के प्रदूषण को 90 प्रतिशत तक कम करने का निर्देश दिया है.
कार्य योजना के तहत हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली के घरों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को आधुनिक तकनीक से शोधित करके करीब 400 MGD पानी का सिंचाई और पार्क आदि में दोबारा उपयोग किया जाएगा. अभी दिल्ली में करीब 90 MGD पानी का ही दोबारा उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा, जिन घरों में सेप्टिक टैंक का इस्तेमाल हो रहा है, उन टैंकों से जल बोर्ड ठोस कचरा खुद उठाएगा और उससे बिजली बनाने की तैयारी की जा रही है.
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दिल्ली जल बोर्ड की समीक्षा बैठक में दो अहम बिन्दुओं पर चर्चा की गई. यमुना को कैसे प्रदूषण से मुक्त किया जा सकता है? और जल बोर्ड द्वारा शोधित किए जा रहे पानी का कितना दोबारा उपयोग किया जा सकता है. DJB ने यमुना को साफ करने के संबंध में प्रजेंटेंशन देते हुए मुख्यमंत्री को बताया कि जल बोर्ड चार प्रमुख बिंदुओं पर हस्तक्षेप करेगा, ताकि यमुना को निर्धारित समय सीमा के अंदर साफ किया जा सके.
पहला- हरियाणा से बादशाहपुर ड्रेन के जरिए यमुना में करीब 90 एमजीडी गंदा पानी गिरता है. इस गंदे पानी को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ड्रेन के अंदर ही शोधित किया जाएगा.
दूसरा- दिल्ली में छोटे-बड़े नालों से होकर जो भी गंदा पानी बह रहा है, उस पानी को टैप करके एसटीपी में लेकर जाया जाएगा.
तीसरा- अभी दिल्ली में जो एसटीपी चल रहे हैं, उनकी गुणवत्ता को बढ़ाया जाएगा. एसटीपी की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सभी उपकरणों को अपग्रेड करने के साथ कई कदम उठाए जाएंगे.
चौथा- जब गंदे पानी को साफ किया जाता है, तो उसमें से कचरा निकलता है. साथ ही दिल्ली में करीब 50 प्रतिशत घर सीवर लाइन से कनेक्ट नहीं हैं, अभी इस पर काम चल रहा है. इन घरों में सेप्टिक टैंक का इस्तेमाल किया जाता है. जल बोर्ड की योजना है कि आने वाले समय में वो उन सेप्टिक टैंकों से ठोस कचरा को एकत्र करेगा और बाॅयो गैस प्लांट की मदद से बिजली बना कर अपने प्लांट में उपयोग करेगा.
समीक्षा बैठक में सभी प्रमुख नालों और एसटीपी से निकल कर यमुना नदी में गिरने वाले प्रदूषित पानी को लेकर भी चर्चा की गई. दिल्ली के प्रमुख चार से पांच नालों से गंदा पानी निकल कर यमुना में गिरता है। इसमें नजफगढ़, शहादरा ड्रेन, बारापुला ड्रेस न, दिल्ली गेट नाला और मोरी गेट का नाला शामिल है. इन सभी नालों में गंदा पानी आने के दो प्रमुख स्रोत हैं. पहला, एसटीपी से इन नालों में पानी डाला जाता है या दूसरा, घरों का गंदा पानी नालियों से होकर आता है.केवल नजफगढ़ और शहादरा के नालों में एसटीपी व घरों के अलावा हरियाणा और उत्तर प्रदेश से भी गंदा पानी आता है. DJB पहले सभी एसटीपी को अपग्रेड करेगा और नालों से होकर आने वाले गंदे पानी को टैप करके एसटीपी में ले जाकर शोधित करेगा. हरियाणा से बादशाहपुर नाले के जरिए 90 एमजीडी पानी यमुना में आकर गिरता है, इस पानी को नाले के अंदर ही शोधित किया जाएगा. हरियाणा से आने वाला 15 एमजीडी गंदे पानी को नरेला स्थित एसटीपी में ले जाकर शोधित किया जाएगा. उत्तर प्रदेश से 50 एमजीडी गंदा पानी आता है, उसे कोंडली एसटीपी में ले जाकर शोधित किया जाएगा. कई चरणों में इस कार्य को पूरा किया जाएगा और सभी के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी गई. जल बोर्ड ने मोटे तौर पर मार्च 2023 तक यमुना के प्रदूषण को 90 प्रतिशत तक कम करने की कार्य योजना तैयार की है.
दिल्ली सरकार के मुताबिक इस दौरान दिल्ली में लगे एसटीपी से शोधित होने वाले पानी और उसके पुनः उपयोग को लेकर भी समीक्षा की गई. दिल्ली में मौजूदा एसटीपी से करीब 520 MGD पानी को साफ करके वापस नालों में डाला जाता है. इसमें से करीब 90 MGD पानी का अभी पीडब्ल्यूडी और पार्कों में उपयोग कर लिया जाता है, लेकिन अभी 430 MGD पानी का दोबार उपयोग नहीं किया जा रहा है. मुख्यमंत्री के सामने जलबोर्ड ने इस पानी को भी दोबारा उपयोग करने की कार्य योजना भी प्रस्तुत की. इस शोधित पानी का फसलों की सिंचाई, पार्कों, सड़कों पर छिड़काव, निर्माण कार्यों में दोबारा उपयोग किया जाएगा.