Delhi High Court on Maternity Leave: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश से इनकार करने के खिलाफ तीन महीने के बच्चे की याचिका पर जवाब देने के लिए एनडीएमसी (NDMC) को आखिरी मौका दिया है. दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट में तीन महीने के बच्चे की ओर से एक याचिका दायर की गई है. जिसमें NDMC में कार्यरत उसकी मां को मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) दिए जाने की मांग की गई है. हाईकोर्ट ने कहा है कि इस मामले में तत्काल विचार की जरुरत है क्योंकि बच्चा अपनी मां की देखभाल से वंचित होने के कारण पीड़ित है. 


मां को मातृत्व अवकाश दिलाने 3 माह का बच्चा पहुंचा कोर्ट


जस्टिस नजमी वज़ीरी और जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ता की "निविदा उम्र" को ध्यान में रखा और उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) और अन्य प्रतिवादियों को दो सप्ताह के भीतर याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए "एक अंतिम अवसर" की अनुमति दी. अदालत ने जवाब दाखिल न करने पर नाराजगी भी जताई है और निगम पर 25000 का जुर्माना लगाया. मामले की प्रकृति को देखते हुए अदालत द्वारा नियुक्त वकील शाहरुख आलम को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया और निर्देश दिया कि मामले को 17 मई को विचार के लिए सूचीबद्ध किया जाए.


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NDMC ने मातृत्व अवकाश देने से किया था मना


वर्तमान मामले में, याचिकाकर्ता के अपने माता-पिता की तीसरी संतान होने के कारण एनडीएमसी की ओर से मातृत्व अवकाश के लाभ से इनकार किया गया था और याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसे मातृ देखभाल से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उसके अधिकारों का उल्लंघन है. NDMC ने नियमों का हवाला देकर कहा है कि सरकारी सेवारत महिलाओं को सिर्फ दो बच्चों तक ही 180 दिनों का मातृत्व अवकाश यानी मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) दी जा सकती है. तीसरा बच्चा होने की वजह से उन्हें ये छुट्टी नहीं दी जा सकती.


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