नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना के हालातों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में लगातार 17वें दिन भी सुनवाई जारी रही. सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के सामने दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी और जमाखोरी को लेकर आई अर्जी पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन पर ऑक्सीजन सिलेंडर की जमाखोरी का आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने इसके साथ ही दिल्ली में अस्पताल बेडों की कमी, दवाइयों की कमी और उपलब्धता समेत अन्य मुद्दों पर भी निर्देश जारी किये.
शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक याचिका कोर्ट के सामने आई, जिसमें कहा गया कि ऑक्सीजन सिलेंडर की जमाखोरी और कालाबाजारी हो रही है. याचिका में जमाखोरी का आरोप दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन के ऊपर लगाया गया. जिसके बाद कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे सामने ऐसे सभी लोगों की लिस्ट लाइए जो ऐसा करते हुए पाए गए हैं, खासतौर पर 2 मई को दिए गए आदेश के बाद भी. हम उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे.
याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा कि इस याचिका में साफ तौर पर एक फेसबुक पोस्ट का जिक्र किया गया है जो आम आदमी पार्टी दिल्ली के फेसबुक अकाउंट पर मौजूद है. उस पोस्ट में आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री इमरान हुसैन द्वारा ऑक्सीजन बांटे जाने की बात हो रही है. कोर्ट ने कहा कि पहले हमको यह देखना होगा कि आखिर यह ऑक्सीजन ला कहां से रहे हैं, मुमकिन है कि यह दिल्ली के बाहर से भी ला रहे हों ऐसे तो कुछ गुरुद्वारे भी इसी तरीके से ऑक्सीजन बांट रहे हैं. कोर्ट ने कहा अगर यह दिल्ली को अलॉट किए गए कोटा में से ऑक्सीजन ना लेकर अन्य स्रोतों से उनका इंतज़ाम किया गया है, तो फिर किसी इंक्वायरी की जरूरत नहीं है.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अगर इनको ऐसी कोई शिकायत है तो उन्हें पुलिस में शिकायत देनी चाहिए थी, जो कोई भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, भले ही वह मंत्री क्यों ना हो. फिर चाहे वह सांसद गौतम गंभीर क्यों ना हो, दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन क्यों ना हों पार्टी और नाम मायने नहीं रखेगा. कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा पाया गया तो फिर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई भी शुरू होगी. दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि इमरान हुसैन को कल तक कोर्ट में जवाब देना होगा और कल होने वाली सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर रहना होगा.
सरकार ने हाई कोर्ट के सामने जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी पेश किया. दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को जानकारी दी कि कोर्ट ने 2 मई को जब से ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर आदेश जारी किया है, उसके बाद से अब तक 113 मामलों में 98 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 52 लोग जमाखोरी और कालाबाजारी में शामिल थे.
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट को बताया गया कि हालात ऐसे हैं कि मरीज अस्पताल में भर्ती होने के लिए जा रहे हैं तो उनसे भर्ती करने से पहले पैसे मांगे जा रहे हैं. जिस पर कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा हो रहा है तो आप ऐसा कोई ठोस सबूत हमारे सामने लेकर आए, कोई ऐसा सबूत भी चाहे, वह ऑडियो हो या वीडियो हो, फिर आप देखिए हम क्या करते हैं. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम लोग ऐसे मामलों पर नजर बनाए हुए हैं.
हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि हेल्पलाइन बनाने को लेकर जो दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया था उसका क्या हुआ? दिल्ली सरकार ने कहा कि उस पर काम चल रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह बात हम कई बार कह चुके हैं, लेकिन अब तक उस पर सही से अमल नहीं हुआ. कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने इसकी शुरुआत कर दी है और 44 डॉक्टर 24 घंटे अलग-अलग शिफ्ट में हेल्पलाइन के जरिए लोगों की मदद कर रहे हैं.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने 44 डॉक्टरों का एक पैनल तैयार किया है, जो 24 घंटे शिफ्ट के हिसाब से काम कर घर में मौजूद उन मरीजों को सलाह दे रहे हैं, जिनमें या तो लक्षण हैं ही नहीं या बहुत हल्के लक्षण हैं. इनमें उन डॉक्टरों का सहयोग भी लिया जा रहा है, जो खुद कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन उनमें लक्षण नहीं हैं या फिर वह डॉक्टर जो फिलहाल क्वारंटीन में हैं. दिल्ली सरकार के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों की कमी को कम करने के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल को भी चिट्ठी लिखी गई है. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इन हेल्पलाइन के लिए कुछ एक डॉक्टर नहीं, बल्कि सैकड़ों डॉक्टर की जरूरत पड़ेगी. कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसा इंतजाम भी करना पड़ेगा कि एक मरीज ने जिस डॉक्टर से सलाह ली, अगली बार जब वह मिस कॉल करे, तो उसी डॉक्टर से सीधा बात हो पाए.
हाई कोर्ट को सुनवाई के दौरान एक वकील ने बताया कि अस्पतालों के बाहर एंबुलेंस खड़ी हुई हैं, जिनमें जो मरीज पहुंचते हैं, उनको 10 से 15 मिनट तक देने के बाद वापस घर भेज दिया जाता है. इस बीच एक वकील ने कोर्ट को बताया कि अस्पताल वेट लिस्ट बना लेते हैं और उसी आधार पर मरीजों का दाखिला लेते हैं, लेकिन कभी-कभी वेट लिस्ट में जिसका नंबर 10वां है, हो सकता है कि उसको पहले इलाज की जरूरत हो यानी हालत गंभीर हो रही हो, इन चीजों का ध्यान रखा जाना जरूरी है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि बेड की उपलब्धता की सही जानकारी के लिए गूगल से भी संपर्क किया है. गूगल मदद के लिए तैयार है. फिलहाल दिल्ली सरकार और गूगल सम्पर्क में है. इसी दौरान कोर्ट के सलाहकार ने कहा अस्पताल में बेड देने में थोड़ी और पारदर्शिता होनी चाहिये. कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि कभी-कभी तो एक ट्वीट के आधार पर बेड दिए गए ( जिनको कुछ लोगों ने फ्लैग/टैग किया). ऐसे में मरीजों के हालात देखते हुए कुछ प्राथमिकता तय होनी चाहिए. अस्पतालों को और अधिक संवेदनशील बनाना होगा क्योंकि अस्पतालों के बाहर अभी भी कई लोग बेडों के इंतजार में बैठे हैं.
दिल्ली में सेना की मदद के मुद्दे पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सेना जितनी मदद कर सकती है वह कर रही है. कोर्ट ने कहा कि क्या आप समझ रहे हैं कि अगर यह बीमारी सेना में फैल गई तो कितना बड़ा नुकसान हो सकता है और हालात कितने खराब हो सकते हैं. सेना को हर वक्त अपनी ड्यूटी करने के लिए मुस्तैद और तैयार रहना होता है.
सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल दिल्ली सरकार कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आ रहे मरीजों को ऑक्सीमीटर तक मुहैया करा रही है. दिल्ली सरकार के वकील ने अपनी बेटे का उदाहरण देते हुए कोर्ट को बताया कि जब मेरे बेटे को कोरोना हुआ तो दिल्ली सरकार के मार्शल खुद ऑक्सीमीटर लेकर घर तक आ गए और जब एक बार हालात सामान्य हो जाते हैं तो उस ऑक्सीमीटर को वापस ले लिया जाता है. जिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि आप झूठ बोल रहे हैं, यह सब पिछले साल हो रहा था. कोर्ट की टिप्पणी के बाद दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि मैं तो इसी साल की बात कर रहा हूं, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि पूरे शहर में हर व्यक्ति के साथ ऐसा हो रहा होगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अगर आप ऑक्सीमीटर भेज रहे हैं, तो उसके साथ में कुछ जरूरत की दवाओं को भी भेजा जाना चाहिए.
चार ऑक्सीजन प्लांट शुरू
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि 8 में से 4 ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो गए हैं. 1 और ऑक्सीजन प्लांट 9 मई तक शुरू हो जाएगा. और 2 के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं कब तक शुरू हो पाएंगे. दिल्ली सरकार ने कहा कि यह वह प्लांट हैं, जो दिल्ली सरकार ने चंदा की मदद से लगवाए हैं, इनके जरिए 43MT ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकता है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इसके अलावा कई और ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर भी तैयारी चल रही है, जो अगले कुछ महीनों के दौरान लग जाएंगे.
सुनवाई के दौरान जब दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या कल किसी तरह की कोई कमी रही है? तो कोर्ट के सवाल का जवाब देते हुए दिल्ली सरकार के वकील ने कहा जी नहीं. फिलहाल हमारी कोशिश अब यह है कि कैसे भी हो अस्पतालों को सुचारू ढंग से चलाया जा सके और मरीजों को उनके घर भेजा जा सके. दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि इस बाबत चीफ सेक्रेटरी और गृह मंत्रालय के सेक्रेटरी के बीच बातचीत भी हुई है.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल दिल्ली में अब मुद्दा ऑक्सीजन सिलेंडर का है. दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट से मांग की कि कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि वह ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद करें. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम भी ऑक्सीजन सिलेंडर आयात करने की कोशिश में लगे हैं.
वहीं दिल्ली हाई कोर्ट के सुझाव के मुताबिक दिल्ली में ऑक्सीजन स्टोरेज बनाने के मुद्दे पर दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि आईनॉक्स ऑक्सीजन सप्लाई से ऑक्सीजन स्टोरेज 10 को लेकर बातचीत चल रही है. फिलहाल आईनॉक्स के पास 50 मीट्रिक टन के 2 स्टोरेज टैंक मौजूद हैं और उनको लेकर बात चल रही है. इस बीच केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि सेना ने एक नोडल ऑफिसर की नियुक्ति कर दी है जो दिल्ली सरकार के साथ मिलकर ऑक्सीजन की स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन को लेकर काम करेंगे.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर दिक्कत यह आ रही है. लोग उसकी जमाखोरी कर रहे हैं और उसकी वजह से कमी नजर आती है. कोर्ट ने सवाल पूछा कि आप ऑक्सीजन सिलेंडर बैंक बनाने की बात कर रहे थे, उसका क्या हुआ? दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि जो लोग घर में हैं, उनको ऑक्सीजन देने के लिए जरूरी है कि ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हो. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल हर एक जिले में हमारे पास महज़ 20 ऑक्सीजन सिलेंडर ही मौजूद हैं, जबकि जरूरत उससे कहीं ज्यादा की है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इस ओर भी प्रयास किए जा रहे हैं कि ऑक्सीजन सिलेंडर की डीलर के हिसाब से जियो टैगिंग कर दी जाए, जिससे कि पता चले कि सिलेंडर गए कहां और उनकी ताज़ा स्थिति क्या है.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमको ऑक्सीजन सिलेंडर बैंक बनाने के लिए कम से कम हर जिले में 500 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होगी. जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 500 भी काफी कम हैं. वहीं मौजूद दिल्ली सरकार के एक दूसरे वकील ने कहा कि कम से कम 3000 से 4000 सिलेंडर की जरूरत होगी. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में सरकार को जनता से अपील करनी चाहिए और आरडब्ल्यूए का भी सहयोग लेना चाहिए जनता को जागरूक करने के लिए. कोर्ट ने कहा कि अगर इन ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल नहीं हो पाता तो यह एक मृत संपत्ति ( dead asset) की तरह ही होगी. दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने ऐसा आदेश जारी किया है कि जो लोग सिलेंडर वापस करेंगे आकर उनको जरूरत पड़ने पर प्राथमिकता के आधार पर ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराया जाएगा.
इस बीच कोर्ट ने सवाल पूछा कि हम को सुनने में आ रहा है कि अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है!! दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उम्मीद है कि तब तक हम सारी दिक्कतों को दूर कर लेंगे. कोर्ट ने कहा कि हमको जानकारी मिली है कि लोगों को ऑक्सीजन से संबंधित उपकरण मिलना बंद हो गया है. जिस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम पता करेंगे.
दिल्ली के अस्पताल द्वारा मरीजों से मनमाने पैसे वसूले जाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर अर्ज़ी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि वैसे तो अस्पतालों ने कोविड पैकेज बना रखा है लेकिन उसके अलावा भी कई और तरह के पैसे वसूले जाते हैं. सुनवाई के दौरान एक वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि वैसे तो दिल्ली सरकार ने अस्पतालों द्वारा हर एक दिन वसूले जाने वाले बिल पर कैप लगाते हुए ₹18000 की अधिकतम सीमा तय कर दी है लेकिन हकीकत में आज की तारीख में भी अस्पताल 60,000 रु प्रति दिन तक वसूल रहे हैं. कभी ऑक्सीजन के नाम पर तो कभी पीपीई किट और ग्लव्स नाम पर. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि जून 2020 में जब भी आदेश जारी हुआ था उस समय की परिस्थितियां अभी से बहुत अलग थी अभी मरीजों की जरूरत पहले के मुकाबले काफी अलग है लिहाजा सरकार को देखना होगा कि क्या ₹18,000 प्रतिदिन कम तो नहीं है और इसकी वजह से अस्पतालों को नुकसान तो नहीं हो रहा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार को यह भी देखना होगा कि मरीजों के लिए एक समान नीति हो. यह गंभीर मामला है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है.
इसी बीच दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि अब सरकार द्वारा जारी किए गए पोर्टल पर आईसीयू बेड और वेंटिलेटर बेड की भी जानकारी उपलब्ध करवाई गई है. कोर्ट ने पूछा कि क्या यह मुमकिन है कि ऑनलाइन ही पोर्टल पर देखकर बेड बुकिंग की जा सके. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगले कुछ दिनों में जब ऑक्सीजन की सप्लाई सुचारु ढंग से शुरू हो जाएगी तो फिर बेड की संख्या भी बढ़ जाएगी और लोगों की दिक्कतें कम हो जाएंगी.
वहीं दिल्ली में कम हो रही टेस्टिंग को लेकर भी दिल्ली सरकार ने कोर्ट को जानकारी दी कि फिलहाल दिल्ली में 65,000 से 70,000 टेस्ट हो रहे हैं. हालांकि पहले यह संख्या एक लाख तक पहुंच गई थी क्योंकि तब बाजारों में भी टेस्ट हो रहे थे लेकिन लॉकडाउन के चलते सब बंद हो गया है लिहाजा टेस्टिंग पहले के मुकाबले थोड़ी कम हुई है.
शुक्रवार को ही सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट को वकील ने जानकारी दी कि जिस मरीज के लिए गुरुवार को कोर्ट से गुहार की थी जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए आदेश भी जारी किया था उस मरीज की मौत हो गई है. कोर्ट ने कहा की हमने तो इस मामले में आदेश भी दिया था. कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले पर 10 मई यानी सोमवार को सुनवाई करेंगे. इसी दौरान दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार से दिल्ली के अस्पतालों में उपलब्ध बेडों की संख्या को लेकर जवाब मांगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से इस बाबत स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखने को कहा. कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर भी 10 मई को विस्तृत सुनवाई होगी.