ऑक्सीजन के मुद्दे पर दिल्ली HC का केंद्र को अवमानना का नोटिस, कहा- आप शुतुरमुर्ग की तरह ज़मीन में मुंह छुपा सकते हैं, हम नहीं
दिल्ली हाईकोर्ट में करीबन 4 घंटे की सुनवाई के बाद जो आदेश है, उसमें केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हमको जानकारी मिली है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक केंद्र सरकार दिल्ली को उसकी मांग के मुताबिक 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नहीं मुहैया करा रही.
नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना के माहौल में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए शो कॉज नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्यों न केंद्र के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू की जाए. इस बीच कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया कि केंद्र सरकार शुतुरमुर्ग की तरह ज़मीन में मुंह छुपा सकती है, लेकिन हम नहीं, क्योंकि ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जान जा रही है और केंद्र सरकार छोटी-छोटी बातों में फंसी हुई है. इन सब के बीच दिल्ली को जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है वह आज तक नहीं मिल पाई है.
दिल्ली हाईकोर्ट में करीबन 4 घंटे की सुनवाई के बाद जो आदेश है, उसमें केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हमको जानकारी मिली है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक केंद्र सरकार दिल्ली को उसकी मांग के मुताबिक 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नहीं मुहैया करा रही. इतना ही नहीं केंद्र सरकार दिल्ली को एक दिन भी उसके पहले के कोटे 490 मीट्रिक टन के मुताबिक भी ऑक्सीजन नहीं मुहैया करा पाई.
केंद्र सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहीं पर भी 700MT ऑक्सिजन देने की बात नहीं कही. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र की उस दलील से इत्तेफाक नहीं रखते क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार की जरूरत मुताबिक उस को ऑक्सीजन मुहैया कराई जाए. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार की भविष्य की जरूरत 976 मीट्रिक टन का भी जिक्र किया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहीं पर भी कोई सन्देह का सवाल नहीं है.
हाइ कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में भरोसा दिया था कि दिल्ली के लोगों को प्रताड़ित नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. क्योंकि अभी भी ऑक्सीजन की मांग को लेकर छोटे छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम हमारे पास अर्जी लगा रहे हैं. हम केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज करते हैं, यह दुखद है कि केंद्र सरकार ऐसे मुद्दे पर भी इस तरीके की दलीलें दे रही है.
हालात ऐसे हो गए हैं कि अस्पताल अब अपने अस्पतालों में बेड तक कम करने को मजबूर हो गए हैं. जरूरत इस बात की है कि हम आने वाले दिनों की जरूरतों को देखते हुए तैयारी को और पुख्ता करें, लेकिन यहां तो उल्टा जो कुछ है भी उसमें भी कमी हो रही है. लिहाज़ा केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा जा रहा है कि क्यों ना उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू की जाए. कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्र सरकार के नोडल अधिकारियों को कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश दिया.
इस बीच में केंद्र सरकार के वकील ने सफाई देते हुए कोर्ट को ये बताने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सीधे तौर पर 700 मीट्रिक टन देने की बात कही नहीं कही. जिस पर हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश साफ है कि दिल्ली सरकार की जितनी जरूरत है उसको वह दी जाए. आज की तारीख में हम 976MT की बात नहीं कर रहे, लेकिन 700 मीट्रिक टन की मांग दिल्ली सरकार पहले से करती रही है और वह उसको दिया जाना चाहिए. केंद्र सरकार की दलील पर दिल्ली हाई कोर्ट में टिप्पणी करते हुए कि उन्होंने ( दिल्ली सरकार) 300MT की मांग की थी, सवाल ये है कि क्या इसका मतलब यह है कि दिल्ली के लोगों को प्रताड़ित होने दें? केंद्र सरकार इन छोटी-छोटी बातों में फंसी रहे और लोगों को मरने दें? इसी दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको कुछ नहीं पता, आप अपना सर एक शुतुरमुर्ग की तरह जमीन में छुपा सकते हैं, पर हम नहीं. यह हाल तब है जब हमारे पास रोज़ाना कोई ना कोई अस्पताल आता है और ऑक्सीजन की किल्लत की बात करता है.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा यह दुख की बात है कि केंद्र सरकार हलफनामा हलफनामा खेलना चाहती है. वह भी तब जब लगातार लोगों की जान जा रही है.
दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि कल रात यानी सोमवार रात तक दिल्ली को 433 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिल चुकी थी. आज यानी मंगलवार सुबह 8:15 बजे तक 307MT ऑक्सीजन और पहुंच चुकी है और उम्मीद कर रहे हैं कि शाम तक और ऑक्सीजन दिल्ली पहुंच जाएगी यानी इस हिसाब से दिल्ली की जरूरत भर की ऑक्सीजन दिल्ली में उपलब्ध होगी. दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि आपको दिल्ली सरकार को 590MT ऑक्सीजन देनी थी, लोग यहां पर मर रहे हैं. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि आप सिर्फ कही सुनी बातों पर मत ध्यान दीजिए, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम सिर्फ बयानबाजी नहीं कर रहे. क्या यह एक तथ्य नहीं है? आप अंधे हो सकते हो, हम नहीं हैं. आप इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं. कोर्ट की इस टिप्पणी पर केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा कि हमको भावनाओं में नहीं बहना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि यह भावनात्मक मामला ही है क्योंकि यहां पर लोगों की जान जा रही है.
केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हम कोर्ट को यही जानकारी दे रहे हैं कि कल रात तक 433 मेट्रिक टन आ गई थी. आज सुबह से ही 307 मेट्रिक टन और आ चुकी है और शाम तक और ऑक्सीजन आ रही है. हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दिल्ली के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक क्रायोजेनिक टैंकर की कैपेसिटी 16000 मेट्रिक टन की होती है, जबकि दिल्ली की जरूरत उससे कहीं कम है तो क्यों नहीं दिल्ली को एक बार में उसकी जरूरत की ऑक्सीजन मुहैया करा दी जाती. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम दिल्ली का कोटा बढ़ाकर 2000 मीट्रिक टन तक कर सकें.
सुनवाई के दौरान कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि 16 हजार मीट्रिक टन की कैपेसिटी जरूर है, लेकिन वह टैंकर जब ऑप्शन खत्म होने के बाद जाता है तो खाली जाता है लिहाजा हर बार मुमकिन नहीं है कि 16 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध ही रहे. कोर्ट के सलाहकार ने कहा और दूसरे राज्यों को भी ऑक्सीजन टैंकर की जरूरत है, लिहाजा हमको उस बात का भी ध्यान रखना होगा.
हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आपको स्थिति को और बेहतर करना होगा. केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि इसी दिक्कत को देखते हुए 138 क्रायोजेनिक टैंकर और मंगाए जा रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हमको नहीं पता यह टैंकर कब आएंगे 1 हफ्ते में या 2 हफ्ते, लेकिन आज की तारीख में देशभर में लोग ऑक्सीजन न मिलने से परेशान हैं, लोग मर रहे हैं. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फिलहाल कोशिश यह होनी चाहिए कि जो भी उपलब्ध संसाधन है उनका पूरा इस्तेमाल हो.
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि अगर उनको लगता है कि इस दिक्कत के हल के लिए कुछ एक्सपर्ट की जरूरत है तो आईआईएम जैसे संस्थानों जुड़े रहे एक्सपर्ट की मदद भी ली जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता यह है कि हमारे पास इतने संसाधन हैं, उनका अच्छे से अच्छा इस्तेमाल हो पाए.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि आज हालत यह है कि किसी दिन हमको 6 टैंकर ऑक्सीजन मिलती है और किसी दिन 2-3 टैंकर भी नहीं मिल पाती. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली को फिलहाल कम से कम 10 टैंकर की और जरूरत है. अगर केंद्र उनको मुहैया करा दे तो हालात सुधर सकते हैं.
कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट को बताया कि ऑक्सीजन सप्लाई में आने वाली कमी की वजह और भी है. कहीं पर बिजली कटौती की वजह से उत्पादन नहीं हो पा रहा तो कहीं कोई और दिक्कत. कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि अगर हमको दिल्ली को 590 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचानी है तो 700MT के हिसाब से इंतजाम करना होगा. केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि कल ही दिल्ली के लिए 12 टैंकर का और इंतजाम किया गया है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सारे टैंकर दिल्ली के लिए ही इस्तेमाल हों, जब तक दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई की जरूरत हो. इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि क्या यह भी मुमकिन है कि एंपावर्ड ग्रुप इन सभी टैंकर्स को अपने अधीन ले और वह जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन सप्लाई सुनिश्चित करें.
इससे पहले कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए सलाहकार ने कोर्ट को बताया कि अगले 3-4 दिनों के दौरान दिल्ली को 480 से 520 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलनी शुरू हो जाएगी और उम्मीद की जा रही है कि अगले 1 हफ्ते के दौरान यह बढ़कर साढ़ा 550 से 600 मीट्रिक टन हो जाएगी. कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट को बताया दिक्कत ऑक्सीजन रिजर्व की भी है. जिस पर कोर्ट ने सवाल पूछा कि क्या पेट्रोलियम डिपो की तरह ऑक्सीजन डिपो नहीं तैयार हो सकता? कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट से कहा कि ऑक्सीजन डिपो तैयार करने में बहुत ज्यादा वक्त लग जाएगा फिलहाल मौजूदा हालात में ISO कंटेनर का सहारा लिया जा सकता है. कोर्ट के सलाहकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम सभी लोगों को जागरूकता फैलानी होगी कि अगर कोई भी व्यक्ति एक भी सिलेंडर गैरकानूनी तरीके से अपने पास रखे हुए हैं तो वह पता नहीं कितने लोगों की जान ले रहा है.
इसी दौरान कोर्ट ने सवाल पूछा कि जैसे ब्लड बैंक है क्या उस तर्ज पर हम ऑक्सीजन बैंक नहीं बना सकते और उसकी निगरानी का जिम्मा सेना या अर्ध सैनिक बल के हवाले कर दिया जाए? कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि मौजूदा हालातों में इसकी बहुत ज्यादा जरूरत है और आने वाले दिनों में हमको ऑक्सीजन की सप्लाई दुगनी करने को लेकर भी अभी से तैयारी करनी होगी.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम उस योजना पर काम कर रहे हैं कि लोग खाली सिलेंडर लेकर आएं और हम उनको भरा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर देंगे. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल अब गुरुद्वारे के पास भी ऑक्सीजन खत्म हो गई है, वहीं प्राइवेट सेक्टर के पास भी ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी है. इस ओर भी ध्यान देना जरूरी है. कोर्ट को बताया गया कि फिलहाल निजी लोगों के पास जो ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद है, उसकी कहीं कोई जिम्मेदारी तय नहीं हुई है, इस ओर भी ध्यान देना जरूरी है. दिल्ली हाई कोर्ट को जानकारी दी गई कि फिलहाल जो निजी रिफिलर्स हैं, उनके पास भी काफी दिक्कत हो रही है लोग सुबह से लेकर शाम तक कई घंटों तक कतारों में लगे रहते हैं, हालांकि वहां पर सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस संभाल रही है.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि जब एक बार रिज़र्व तैयार हो जाएगा तो फिर लोगों की दिक्कत भी कम होगी ऐसे में जब हमारे पास सिलेंडर और ऑक्सीजन दोनों होगा तो हम लोगों को जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया करा पाएंगे. इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा कि क्या हम ऑक्सीजन सिलेंडर का विकेंद्रीकरण नहीं कर सकते.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप देखिए कहां दिक्कत आ रही है और उसका समाधान निकालिए जिससे कि लोगों को दिक्कत ना हो.
इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि अगर महाराष्ट्र में अभी ऑक्सीजन उतनी जरूरत नहीं है तो फिर वहां पर मौजूद टैंकर को दिल्ली भेज दिया जाए और दिल्ली में ऑक्सीजन रिज़र्व तैयार किया जाए. केंद्र सरकार के वकील ने बताया लेकिन फिलहाल अभी कर्नाटक में मामले काफी तेजी से बढ़ गए हैं, जिस पर कोर्ट ने कहा कि जहां कहीं भी जरूरत हो जरूरत के हिसाब से टैंकर एक जगह से दूसरी जगह भेजे जा सकते हैं.
दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि केंद्र सरकार के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि फिलहाल देश भर में 1671 टैंकर हैं, जिसमें से 1224 ऑक्सीजन टैंकर हैं. इन टैंकर के ज़रिए 16,732 मेट्रिक टन ऑक्सीजन लाई ले जाई जा सकती है. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम इन टैंकर्स की संख्या बढ़ाकर 2000 तक ले जाएं. इस आधार पर दिल्ली सरकार ने कहा कि फिलहाल तो यह कहा जा सकता है कि देश में ऑक्सीजन लाने ले जाने वाले टैंकर की दिक्कत नहीं है, बस दिक्कत यह है कि राज्य अपनी अपनी सुविधा के मुताबिक टैंकर को अपने कब्जे में लिए हुए हैं. कोर्ट ने कहा कि यह जानकारी तो केंद्र के पास ही होगी हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र इस ओर ध्यान देगा.
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक केंद्र को दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मुहैया करानी है. हम इस बीच किस राज्य को कितनी दी जा रही है और कितने टैंकर्स का इस्तेमाल हो रहे हैं इस पर नहीं जाते. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा अब तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश है अब आप कैसे दिल्ली को उसकी मांग के हिसाब से ऑक्सीजन देते हैं यह देखना केंद्र का काम है. अगर आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते तो यह कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. हाई कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति तब है जब देश भर में टैंकर मौजूद हैं उन टैंकर का कैसे इस्तेमाल करना है यह केंद्र को देखना है.
इस बीच कोर्ट ने आईसीएमआर के वकील को कोर्ट में हाजिर रहने को कहा जिसके बाद आईसीएमआर के वकील कोर्ट में हाजिर हुए. कोर्ट ने आईसीएमआर के वकील से कहा कि कई सारी चीजों को लेकर कई तरह की सुविधाएं हैं. मसलन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल कैसे करना है. कई लोग बंद कमरे में भी उसका इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास जानकारी नहीं है, इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल कब करना है कैसे करना है इसके बारे में भी लोगों को जानकारी नहीं है. कोर्ट ने आईसीएमआर को सलाह देते हुए कहा कि वह यह सारी जानकारियां मीडिया और अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर लोगों तक पहुंचाएं, जिससे कि उनकी दुविधा दूर हो. कोर्ट ने आईसीएमआर से कहा कि उनको लोगों को बताना होगा कि मुमकिन है कि 4 दिन के बाद बुखार ना हो लेकिन इतने दिनों के बाद टेस्ट करवाना है या नहीं करवाना यह भी लोगों को पता होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि लोगों को यह भी पता होना चाहिए कि कोरोना वायरस की पुष्टि के कितने दिनों के बाद कौन सा टेस्ट करवाना है. क्योंकि इस जानकारी के अभाव में ही कई लोगों की हालत ज्यादा बिगड़ रही है. आईसीएमआर के वकील ने कहा कि कोर्ट के जो भी सुझाव हैं उस पर कोर्ट एक आदेश जारी करे, जिससे कि उन पर अमल करना आसान होगा. आईसीएमआर के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि फिलहाल अब मेडिकल के स्टूडेंट की भी मदद ली जा रही है, लोगों को इलाज मुहैया कराने में.
इस बीच एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि अभी तक हमको केंद्र सरकार की तरफ से वह जवाब नहीं मिला, जिसमें कोर्ट ने यह जानना चाह था कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जो चिट्ठी लिखी है उस पर अब तक क्या हुआ? कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि उनको इस पर जल्द ही कार्रवाई करनी होगी. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सेना पहले से ही काम कर रही है. कोर्ट ने कहा कि फौज को फिलहाल देश के नागरिकों के लिए काम करना चाहिए. एक और वरिष्ठ वकील ने कहा कि सेना की जरूरत आज है 15 दिन बाद हो सकता है वह जरूरत ना हो. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि अगर सेना को नहीं बुलाया जा रहा तो उसका कोर्ट को जवाब दें कि ऐसा क्यों नहीं हो रहा? कोर्ट ने कहा यह ऐसी मांग है जिस पर जल्द से जल्द फैसले की जरूरत है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट के सलाहकार वकील ने कहा कि हमको लोगों को समझाना होगा कि वह ऑक्सीजन सिलेंडर अपने पास रख कर नहीं बैठ सकते हैं. यह लोगों के दिमाग में डालना होगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर आप ऑक्सीजन सिलेंडर बैंक बनाते हैं तो हम उम्मीद करते हैं कि लोग वहां पर आकर ऑक्सीजन सिलेंडर देंगे और जरूरत पड़ने पर वहां से ले जाएंगे. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल हमारे पास इतनी ऑक्सीजन है ही नहीं कि हम बैंक बनाने पर मौजूदा हालात में विचार कर सकें. अगर ऑक्सीजन की सप्लाई आने लगेगी तो हम इस पर भी विचार करेंगे. कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया कि मीडिया को भी यह लोगों को समझाना होगा कि वह सिलेंडर को अपने पास रख कर नहीं बैठ सकते हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से सवाल पूछा कि क्या ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर घर में ना बैठे इस बाबत किसी राजनीतिक दल ने कोई अपील की है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि जल्द ही इसको लेकर भी अपील की जाएगी.
सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा कि हम लोगों को जानकारी पहुंचाने के लिए और उनको शुरुआती इलाज के लिए मोहल्ला क्लीनिक का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा मोहल्ला क्लीनिक में इतनी जगह नहीं होती, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके, वहां पर एक डॉक्टर और नर्स मौजूद होते हैं. दिल्ली सरकार ने कहा कि वह टेस्टिंग के लिए तो सही है, लेकिन उससे ज्यादा आगे के इलाज के लिए नही. दिल्ली हाई कोर्ट ने मोहल्ला क्लीनिक के इस्तेमाल को लेकर दिल्ली सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर आपने कोई जगह तैयार की और उसका ऐसी महामारी के दौरान इस्तेमाल तक नहीं हो सकता तो ऐसी जगह का क्या फायदा.
इसी दौरान हाई कोर्ट में वरिष्ठ वकील ने बताया कि Tru NAT और CB NAT के जरिए सटीक परीक्षण किया जा सकता है. यह टेस्ट करीब ₹3000 का है, अगर इस टेस्ट की लागत कम की जा सकती है तो काफी मदद मिल सकती है. वरिष्ठ वकील वेणुगोपाल ने कहा कि कई बार RT PCR निगेटिव आ रहा है और CB NAT पॉजिटिव है. हालांकि इस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस संघी ने अपने कोर्ट स्टाफ का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे कोर्ट स्टाफ की पत्नी की तबीयत खराब थी, लेकिन उन्होंने कोई टेस्ट नहीं करवाया और ना ही कोई दवा ली, क्योंकि किसी ने उनको सलाह नहीं दी और कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई. जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि ऐसा ही कुछ मेरे परिवार में भी हुआ. फिलहाल अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.