नई दिल्ली: भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आने के 11 महीने बाद डीसीजीआई ने आज 'कोविशील्ड' वैक्सीन और 'कोवैक्सीन' को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. इन दो वैक्सीन को अनुमति मिलने के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का बयान सामने आया है.


सत्येंद्र जैन ने कहा, "दिल्ली सरकार की ओर से तैयारियां चल रही हैं. राजधानी में 3 लाख हेल्थकेयर वर्कर और 6 लाख फ्रंट लाइन वर्कर हैं. सबसे पहले हेल्थ केयर वर्कर फिर फ्रंट लाइन वर्कर और उसके बाद 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और 50 साल से कम उम्र के कोमोरबिड लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी."


देश में पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की योजना
डीसीजीआई की मंजूरी के बाद वैक्सीन को करोड़ो लोगों को दिए जाने का रास्ता खुल गया है. यह देश के लिए बड़ी राहत की बात है, क्योंकि दुनिया में अमेरिका के बाद संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले भारत में हैं. केंद्र सरकार ने अगले 6 से 8 महीनों में टीकाकरण अभियान के पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की योजना बनाई है. इसमें 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स, 2 करोड़ फ्रंटलाइन और जरूरी सेवाओं में लगे कर्मचारी और 50 साल से अधिक उम्र के ऐसे 27 करोड़ बुजुर्ग जिन्हें अन्य बीमारियां हैं, शामिल हैं.


बता दें कि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने क्लिनिकल परीक्षण और कोविशील्ड के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ भागीदारी की है. जबकि भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ कोलैबोरेशन किया है. सीरम इंस्टीट्यूट ने 6 दिसंबर और भारत बायोटेक ने 7 दिसंबर को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी पाने के लिए आवेदन किया था.


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