सुनंदा पुष्कर से जुड़ी ख़बरों पर रोक नहीं, थरूर के चुप रहने के अधिकार का हो सम्मान: हाई कोर्ट
थरूर का आरोप है कि गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के वकील 29 मई को दिये गए आश्वासन के बावजूद वे उनको ‘बदनाम’ करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.
नयी दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्रकार अर्णब गोस्वामी और उनके ‘रिपब्लिक’ टीवी चैनल को शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की रहस्यमयी मौत के मामले से जुड़ी ख़बरें दिखाने या इस विषय पर डिबेट कराने से रोकने की मांग को खारिज कर दिया, हालांकि चैनल से कांग्रेस सांसद के ‘चुप रहने के अधिकार’ का सम्मान करने को कहा.
अदालत ने यह भी कहा है कि संविधान के तहत थरूर को ‘चुप रहने का अधिकार’ है और किसी भी व्यक्ति को किसी सवाल पर बोलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. जस्टिस मनमोहन ने 61 पन्ने के फैसले में कहा कि सुनंदा की मौत से जुड़ी किसी ख़बर को चलाने से पहले चैनल को इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में उस पर थरूर की राय जानने के लिए लिखित नोटिस देना चाहिए.
अदालत ने कहा, ‘‘अगर सही समय के भीतर थरूर जवाब देने से इंकार करते हैं या जवाब नहीं देते हैं तो उन्हें बोलने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा और ख़बर इस स्पष्टीकरण के साथ चलायी जाएगी कि उन्होंने टीवी चैनल से बात करने से मना कर दिया.’’
अदालत ने थरूर की ओर से दाखिल की गयी तीन याचिकाओं का निपटारा कर दिया. थरूर ने निचली अदालत में मामला लंबित रहने तक अपनी पत्नी की मौत के संबंध में टीवी चैनल और गोस्वामी को खबरें दिखाने से रोकने के लिए याचिका दायर की थी.
न्यायालय ने गोस्वामी और चैनल के खिलाफ थरूर के दो करोड़ रुपये की मानहानि के तीन मुकदमों पर यह आदेश दिया. कांग्रेस नेता ने पत्रकार और चैनल पर सुनंदा की रहस्यमयी मौत से जुड़ी ख़बर के प्रसारण के समय उनके खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर ये मामले दायर किये थे.
सुनंदा 17 दिसंबर, 2014 को दक्षिणी दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पायी गयी थीं. थरूर का आरोप है कि गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के वकील 29 मई को दिये गए आश्वासन के बावजूद वे उनको ‘बदनाम’ करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.