नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को डीजीसीए से पूछा कि क्या फार्मेसी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा क्षेत्र के संस्थान भी एविएशन सेक्टर की तरह आमजन की "मुश्किलों का फायदा उठाकर" अपना शुल्क बढ़ा सकते हैं? अदालत ने देश में अलग-अलग एविएशन कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले हवाई किराए की सीमा तय करने संबंधी दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह जानना चाहा.


मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा, "दूसरों और मुख्य रूप से आमजन की मुश्किलों और नकारात्मक हालात का फायदा उठाकर एविएशन की तरह और कौन से संस्थान व्यवहार कर रहे हैं."


अदालत ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के वकील से यह जानना चाहा. वकील ने दलील दी थी कि डीजीसीए के नियमों में कीमत तय करना शामिल नहीं है और वह आर्थिक नियामक नहीं है. अदालत ने कहा कि अगर स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, फार्मेसी और मीडिया जैसे संस्थान भी इसी प्रकार करने लगें, तो क्या होगा? अदालत ने याचिकाओं के अंतिम निस्तारण के लिए मामले को सात नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया.


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