नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ दिव्यांगों को नहीं मिलने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उसने सरकार से पूछा कि जब कम कीमत पर अनाज पाने वालों की श्रेणी में मोची, फेरीवाले और घरेलू सहायकों को रखा जा सकता है तो दिव्यांगों को क्यों नहीं शामिल किया जा सकता.


दिल्ली उच्च न्यायाल ने केंद्र सरकार को लिया आड़े हाथ


दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने कड़ा तेवर अपनाते हुए कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती तो “हम आदेश देंगे.” सोमवार को केंद्र सरकार के हलफनामे का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने पूछा, “दिव्यांग श्रेणी को क्यों नहीं शामिल किया गया? जब आप मोची, फेरीवालों और घरेलू सहायकों को शामिल कर रहे हैं तो दिव्यांगों को क्यों नहीं. जिनके लिए संसद ने अलग से एक कानून बनाया गया है. यह केवल उनकी सहायता के लिए है. आप एक श्रेणी को जोड़ रहे हैं तो इस श्रेणी को क्यों भूल गए.”


एक गैर सरकारी संगठन की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि प्रत्येक समाज या सभ्यता में महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, कैदियों और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को प्राथमिकता दी जाती है. लिहाजा सरकार स्पष्ट करे कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून और अन्य योजनाओं के तहत कम मिलनेवाले लाभ की श्रेणी में दिव्यांग भी हैं.


खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दिव्यांगों को लाभ क्यों नहीं?


जनहित याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की गई थी कि कोविड-19 महामारी के समय खाद्य सुरक्षा और गरीबी उन्मूलन योजनाओं का लाभ दिव्यांगों को भी दिया जाए. कोर्ट के सवालों का जवाब देने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता चेतन शर्मा ने और समय मांगा. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 29 सितंबर तय की.


अरूणाचल प्रदेश से ‘अगवा’ पांच युवाओं का अभी तक कोई पता नहीं, केंद्रीय मंत्री बोले- जवाब का इंतजार


मॉस्को रवाना होने से पहले विदेश मंत्री बोले- सीमा की स्थिति को संबंधों की स्थिति से अलग नहीं देखा जा सकता