नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2014 में कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले की जांच में देरी पर नाखुशी जाहिर की है. साथ ही कोर्ट ने अब तक हुई जांच की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी.


न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ ने इस तथ्य का जिक्र कि यह मामला जनवरी 2014 का है. उसने कहा कि साढ़े तीन साल से अधिक समय बीत चुका है और अब तक कुछ भी ठोस निकलकर सामने नहीं आया है. बता दें कि सुनंदा 17 जनवरी 2014 की रात दक्षिण दिल्ली स्थित एक पांच सितारा होटल के कमरे में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत मिली थीं.


एएसजी ने जांच के अंतिम चरण में होने का दावा किया


अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने कहा है कि इस मामले में जांच बहुत तेजी के साथ ही जा रही है. एएसजी ने यह भी कहा है कि जांच अब अंतिम चरण में है और जल्द ही अंतिम निष्कर्ष पर पहुंच जाएगी. उन्होंने दावा किया है कि इस चरण पर अगर जांच का काम किसी अन्य एजेंसी के हवाले किया गया तो उससे जारी जांच में केवल देरी होगी.


पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे कानून अधिकारी ने पीठ को बताया कि है वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अदालत में मौजूद हैं और संपूर्ण केस डायरी उनके पास है ताकि उसे पढ़ा जा सके.


इस पर पीठ ने कहा कि जांच को देखना या निगरानी करना उचित नहीं होगा, लेकिन वह ‘‘निश्चित तौर पर जानना चाहेगी कि जांच आज किस स्तर पर है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि अभी तक क्या हुआ है. लगभग तीन साल बीत चुके हैं लेकिन आज तक कुछ भी ठोस निकलकर सामने नहीं आया.’’


जांच में ज्यादा समय लगने के चिंतित है कोर्ट


अदालत का कहना है, ‘‘निश्चित तौर पर यह (जांच) अनंत नहीं हो सकती.’’ उसने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि जांच पर नजर रखना न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और कोर्ट का इस संबंध में कोई निर्देश देने का इरादा नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘हम जांच का निष्कर्ष निकालने में इतना अधिक समय लिए जाने को लेकर चिंतित हैं और इसलिए, हम देरी होने को लेकर चिंतित हैं.’’


सुब्रमण्यन स्वामी ने की थी एसआईटी जांच की मांग


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुनंदा की मौत के मामले में अदालत की निगरानी में सीबीआई नीत एसआईटी जांच की मांग को लेकर याचिका बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने की थी. स्वामी ने कहा है कि विभिन्न रिपोर्टों में संकेत दिया गया है कि सुनंदा की मौत स्वाभाविक नहीं थी, लेकिन वैज्ञानिक रिपोर्ट हासिल करने में देरी जांच से छेड़छाड़ का प्रयास है. स्वामी ने सुनंदा की मौत को किसी आईपीएल विवाद से जोड़ने की कोशिश की और अदालत से जांच की मांग की.


इस बीच, थरूर के सौतेले बेटे शिव मेनन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने अदालत में कहा है कि वह पुलिस की ओर से एएसजी के रुख की सराहना करते है. पाहवा ने अदालत से कहा कि उसे जांच में हुई प्रगति का पता लगाने के लिए केस डायरी को देखना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि मेनन को स्वामी की याचिका और इस संबंध में अन्य दस्तावेजों की प्रति हासिल करने का अधिकार है क्योंकि वह सुनंदा के बेटे हैं. पीठ पाहवा के तर्क से सहमत हुई और स्वामी के साथ याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता इश्करन सिंह भंडारी को निर्देश दिया कि वह उन्हें प्रतियां उपलब्ध कराएं.


पीठ ने एएसजी को जांच रिपोर्ट के लिए दिया दो हफ्ते का वक्त


एएसजी ने कहा कि यदि कोई विलंब हुआ है, तो वह व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रिपोर्ट मिलने में देरी की वजह से हुआ है. उन्होंने यह भी कहा है कि पुलिस अधिकारियों को चैंबर में सुनवाई के लिए समय दिया जाए ताकि वे अदालत को मामले की पेचीदगियों के बारे में जानकारी दे सकें, क्योंकि वह खुली अदालत में इस पर चर्चा नहीं करना चाहते. पीठ ने एएसजी से कहा कि वह सुनंदा की मौत के मामले में दो हफ्ते बाद जांच की स्थिति के बारे में अवगत कराए.


पीठ ने कहा, ‘‘यदि दो सप्ताह बाद जांच के घटनाक्रम पर आपके पास भिन्न रिपोर्ट हो तो ठीक है, नहीं तो हम इसे देखेंगे. इसमें जाने से पहले हम दो हफ्ते का इंतजार करेंगे और देखेंगे कि आप किस चीज के साथ आए हैं.’’ अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 सितंबर की तारीख तय की.